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गरीबी की आग में झुलसे कई परिवार, टूटा दुखों का पहाड़

दिल्ली अग्निकांड में सिघिया प्रखंड के तीन गांव हरिपुर ब्रह्मापुर और बेलाही के कुल 13 युवकों की मौत हो गई। किसी की उम्र 30 से ज्यादा नहीं। दो तो 16 के आसपास के थे। यहां की हालत ऐसी कि घरवाले मुश्किल से दो वक्त की रोटी जुटा पाते। समय से पहले जवान होते किशोर आसानी से लोगों के बहकावे में आ जाते। घर की हालत समझ उसे ठीक करने निकल जाते।

By JagranEdited By: Published: Wed, 11 Dec 2019 01:17 AM (IST)Updated: Wed, 11 Dec 2019 01:17 AM (IST)
गरीबी की आग में झुलसे कई परिवार, टूटा दुखों का पहाड़
गरीबी की आग में झुलसे कई परिवार, टूटा दुखों का पहाड़

समस्तीपुर । दिल्ली अग्निकांड में सिघिया प्रखंड के तीन गांव हरिपुर, ब्रह्मापुर और बेलाही के कुल 13 युवकों की मौत हो गई। किसी की उम्र 30 से ज्यादा नहीं। दो तो 16 के आसपास के थे। यहां की हालत ऐसी कि घरवाले मुश्किल से दो वक्त की रोटी जुटा पाते। समय से पहले जवान होते किशोर आसानी से लोगों के बहकावे में आ जाते। घर की हालत समझ उसे ठीक करने निकल जाते। बेहतर जीवन की आस में दो पैसे जोड़ने। लेकिन, लापरवाही की लपट में सबकुछ खाक हो गया। जिन नाजुक कंधों पर परिवार की जिम्मेदारी थी, वे साथ छोड़ गए। कैसे चलेगा घर-परिवार। गांव में बूढ़े और लाचार मां-बाप, बेजार पत्नी और अबोध बच्चे, कौन देखेगा इन्हें..।

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अब बूढ़ी होतीं हड्डियों पर परिवार की जिम्मेदारी

हरिपुर में सदरे के पिता मो. मंसूर बताते हैं कि उसके दो बच्चे हैं। पत्नी को फिर बच्चा होनेवाला है। घर की स्थिति ऐसी है कि जैसे-तैसे काम चल रहा। बेटा दिल्ली में मुश्किलों के बीच एक-एक रुपये जोड़ रहा था। अब वह दुनिया में नहीं रहा। परिवार को कौन देखेगा। हमारी उम्र कितने दिन की है। बूढ़ी होती हड्डियों में इतनी जान नहीं कि पूरे परिवार का बोझ उठा सकें। उसकी पत्नी को इसी महीने बच्चा होनेवाला है। उसी के लिए पैसे इकट्ठा कर रहा था। 25 को घर आना था उसे। आखिर, इसकी पूíत कहां से होगी। सरकार से कुछ सहायता राशि मिली है। लेकिन, यह बेटे को खोने की कीमत पर किसे मंजूर होगा।

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सांत्वना देने में भावुक हो रहे लोग

हृदय विदारक घटना के बाद सांत्वना देने में भी लोग भावुक हो रहे। हरिपुर में एक साथ नौ घरों में मातम है। वही हाल बेलाही और ब्रह्मापुर में है। इन दोनों गांवों में दो-दो युवकों की मौत हुई है। बेलाही में मंगलवार को दोपहर बाद दोनों युवकों के शव एंबुलेंस से लाए गए। वहां कुछ अधिकारी और जनप्रतिनिधि भी पहुंचे थे। चीख और चीत्कार के बीच उनकी भी हिम्मत जवाब दे रही। आमतौर पर दृढ़ रहनेवाले पुलिस अधिकारी भी किनारे हो जा रहे। कुछ रिश्तेदार आए हैं, पीड़तों को समझा-बुझा रहे।

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अब तो ऊपरवाले का ही सहारा

ब्रह्मापुर में तीसरे दिन भी सन्नाटा है। यहां के दो युवकों की जलकर मौत हो गई थी। इनकी भी वही स्थिति जो हरिपुर और बेलाही की है। घर की आíथक स्थित ठीक करने दिल्ली गए युवक हमेशा के लिए साथ छोड़ गए। हादसे में मारे गए महबूब के पिता इदरीश बेटे के गम के सहारे बेसुध हैं। सहमत के घर में भी मातम है। कोई कुछ बोलने की स्थिति में नहीं। वर्तमान के साथ भविष्य की चिता।


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