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स्वामीजी के आदर्शो को जीते रहे, पढ़ाया मानवीय मूल्यों का पाठ

समस्तीपुर। ये स्वामी विवेकानंद के आदर्शों को दशकों से जी रहे। उम्र 78 वर्ष।

By JagranEdited By: Published: Sat, 04 Jul 2020 12:08 AM (IST)Updated: Sat, 04 Jul 2020 06:08 AM (IST)
स्वामीजी के आदर्शो को जीते रहे, पढ़ाया मानवीय मूल्यों का पाठ
स्वामीजी के आदर्शो को जीते रहे, पढ़ाया मानवीय मूल्यों का पाठ

समस्तीपुर। ये स्वामी विवेकानंद के आदर्शों को दशकों से जी रहे। उम्र 78 वर्ष। पटोरी प्रखंड के शाहपुर उंडी स्थित तिवारी टोले के निवासी कृष्ण मुरारी त्रिवेदी। प्रारंभ से अब तक मानवीय मूल्यों की रक्षा का पाठ पढ़ाते रहे। समय बीतता गया, दायरा भी बढ़ता रहा। साथ ही, कारवां भी लंबा हो चला। स्वाध्याय मंडल की स्थापना कर धर्मपत्नी और अन्य बुद्धिजीवियों के साथ अध्यात्म को आत्मसात कर उसकी सेवा में अहर्निश जुट गए। सेवानिवृत्ति ने उन्हें इस दिशा में और उन्मुख कर दिया। मानस सत्संग के साथ स्वामीजी के आदर्शों को उन्होंने बुद्धिजीवियों में आम कर दिया। धीरे-धीरे उनके सहयोगी भी बढ़ते चले गए और उनका यह महत्वपूर्ण उद्देश्य भी साकार होता चला गया।

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इसी बीच उनकी सहकर्मी और प्रेरणास्त्रोत धर्मपत्नी कात्यायनी देवी का स्वर्गारोहण हो गया और उन्होंने शेष जीवन धर्म की रक्षा, प्रसार व स्वामी विवेकानंद के आदर्शो को जनप्रिय बनाने में व्यतीत करने की प्रतिज्ञा कर ली। उनके साथ आध्यात्म और स्वामीजी के आदर्शों को नई पीढ़ी में फैलाने वाले कई लोग जुड़कर आज सक्रिय हैं। स्वाध्याय मंडल की स्थापना के पश्चात उन्होंने इस कार्य में अपने आप को समर्पित कर दिया।

आरंभ से ही शिक्षक के नाते बच्चों को स्वामी विवेकानंद के संस्मरण सुनाते थे। अब हर प्रत्येक सप्ताह सत्संग के माध्यम से भारतीय संस्कृति में अध्यात्म और स्वामीजी के योगदान की चर्चा करते हैं। इनका यह सफर यहीं खत्म नहीं हुआ, उन्होंने पिछले एक दशक में बिहार के विभिन्न जिलों के कई लोगों को इस अभियान में सक्रिय किया है और कई जिलों में भी अपने लक्ष्य को अंजाम दे रहे। उम्र की थकान व धर्मपत्नी के स्वर्गारोहण को उन्होंने जीवन का अस्त्र बना लिया है। स्वामीजी के विषय में पूछने पर कहते हैं कि आदर्श युवा ही नवराष्ट्र के निर्माण में अपनी महती भूमिका अदा कर सकते हैं और प्राणियों पर दया नहीं कर उनसे प्रेम करने की परम सीख देकर अपने परिवेश को खुशहाल बना सकते हैं। स्वामी विवेकानंदजी आधुनिक भारत के एक महान चितक, महान देशभक्त, दार्शनिक, युवा संन्यासी, युवाओं के प्रेरणास्त्रोत और एक आदर्श व्यक्तित्व के रूप में आज भी विश्वविख्यात हैं। इन्हें यदि भारतीय नवजागरण के अग्रदूत की संज्ञा दी जाए तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं। हमें इनसे प्रेरणा लेने की आवश्यकता है।

असित कुमार, पटोरी बाजार। अपनी तेजस्वी वाणी के जरिए पूरे विश्व में भारतीय संस्कृति और अध्यात्म का डंका बजाने वाले स्वामी विवेकानंद ने केवल वैज्ञानिक सोच तथा तर्क पर बल ही नहीं दिया, बल्कि धर्म को लोगों की सेवा और सामाजिक परिवर्तन से जोड़ दिया। उनके आदर्श आज भी प्रतिमान हैं।

मदन गोपाल चौधरी, संग्रामपुर। भारत की पवित्र भूमि से अनेक महापुरुषों का उदय हुआ है। जिन्होंने बहुजन हिताय-बहुजन सुखाय की उक्ति को चरितार्थ किया है। ऐसे समाज सुधारक चली आ रही परिपाटी के पदचिह्नों पर नहीं चलते, बल्कि सारे समाज को बदल डालने में विश्वास रखते हैं और अमर हो जाते हैं। स्वामी विवेकानंदजी से हमें यही सीख मिलती है।

डॉ. सुबोध कुमार, चिकित्सक। स्वामी विवेकानंद की गिनती विश्व के महापुरुषों में होती है। उस समय जब भारत अंग्रेजी दासता में अपने को दीन-हीन पा रहा था, भारत माता ने एक ऐसे लाल को जन्म दिया, जिसने भारत के लोगों का ही नहीं, पूरी मानवता का गौरव बढ़ाया। उन्होंने विश्व के लोगों को भारत के अध्यात्म का रसास्वादन कराया। इस महापुरुष पर संपूर्ण भारत को गर्व है।

सेतु नमन, थाना रोड, पटोरी।


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