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सीएचसी में जीवनरक्षक दवाएं नदारद, मेडिकल स्टोर की चांदी

यूं तो सरकारी अस्पतालों की बेहतर हो रही सुविधाओं को शानदार तरीके से दिखाया और गिनाया जाता है। स्वास्थ्य उप केन्द्र एडिशनल सीएचसी सीएचसी अनुमंडलीय अस्पताल और सदर अस्पताल तक को सुविधाओं से लैस होना बताया जाता है। लेकिन जमीनी हालात देखने पर हवाई उड़ रही है। विभूतिपुर सीएचसी में दर्जनों जीवन रक्षक दवाएं गायब हो गई हैं।

By JagranEdited By: Published: Sat, 20 Mar 2021 12:39 AM (IST)Updated: Sat, 20 Mar 2021 12:39 AM (IST)
सीएचसी में जीवनरक्षक दवाएं नदारद, मेडिकल स्टोर की चांदी
सीएचसी में जीवनरक्षक दवाएं नदारद, मेडिकल स्टोर की चांदी

समस्तीपुर । यूं तो सरकारी अस्पतालों की बेहतर हो रही सुविधाओं को शानदार तरीके से दिखाया और गिनाया जाता है। स्वास्थ्य उप केन्द्र, एडिशनल सीएचसी, सीएचसी, अनुमंडलीय अस्पताल और सदर अस्पताल तक को सुविधाओं से लैस होना बताया जाता है। लेकिन, जमीनी हालात देखने पर हवाई उड़ रही है। विभूतिपुर सीएचसी में दर्जनों जीवन रक्षक दवाएं गायब हो गई हैं। इसका अंदाजा इस बात से सहजता पूर्वक लगाया जा सकता है कि पिछले वर्ष अगस्त माह से ही गैस की दवा उपलब्ध नहीं है। हालांकि, कभी-कभार कुछ बचाकर रखी गई डायजिन की गोली से काम चलाए जाने की बातें भी सामने आ रही है। जीवन रक्षक दवाओं की किल्लत से एक तरफ जहां मरीजों को मुफ्त की दवाएं नहीं मिल पा रही, वहीं दूसरी ओर महंगी दवा खरीदने के लिए मरीजों को विवश होना पड़ रहा है। लोगों का कहना है कि मजबूरन चिकित्सक भी बाहर की दवाएं लिखते हैं और इसकी आड़ में सीएचसी में कार्यरत कई स्वास्थ्यकर्मी अपना कमीशन बना रहे। जब, दैनिक जागरण की टीम ने जमीनी हकीकत तलाशने को कोशिश की तो हैरत में डालने वाली कई बातें उभरकर सामने आने लगीं। आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए सीएचसी प्रशासन ने दवाओं की अनुपलब्धता पर दबे स्वर कई बार डिमांड करने की बातें दोहराई। मगर, यहां रेबीज, एलर्जी, ओआरएस, कान दर्द, विटामिन ई, आयरन की गोली, आयरन सीरप समेत दो दर्जनों से अधिक जीवन रक्षक दवाओं की अनुपलब्धता की पुष्टि फार्मासिस्ट चंद्रशेखर सिंह ने की है। अब, यह शायद स्पष्ट हो रहा कि यहां दवाएं नहीं मिलने से किस कदर मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। लोग एक वाकया का हवाला देते हुए बताते हैं कि

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सीएचसी में दर्द निवारक दवाएं ना होने से चिकित्सक भी बाहर की दवाएं धड़ाधड़ लिख रहे। उनके शब्दों में यह मामला तब उजागर हुआ था जब दो पक्षों में हुई मारपीट का मामला पुलिस तक पहुंची। तफ्तीश में जुटी पुलिस ने जब मरीजों के नाम सीएचसी के पुर्जे तलाशे और उस पुर्जे में अस्पताल की दवाएं अंकित कम दिखे। इस पर पुलिस ने ऑन ड्यूटी एक चिकित्सक को जमकर घूंट पिलाई थी। महंगी दवाएं खरीदने में लुट रहे मरीज

स्थानीय सीएचसी में दवा उपलब्ध नहीं होने की वजह से बाहर के मेडिकल स्टोरों की चांदी कट रही हैं। प्रतिदिन इन मेडिकल स्टोरों और कुछ प्राइवेट अस्पतालों के लोग सीएचसी के चक्कर काटते दिख जाएंगे। बशर्ते यहां की सीसीटीवी व्यवस्था दुरूस्त होनी चाहिए। इनमें निसंदेह कुछ ऐसे चेहरे होंगे, जिसे आप भी भली-भांति जानते पहचानते होंगे। सीएचसी कर्मियों का सेटिग-गेटिग रेफर मरीज से भी जुड़े होने की बातें कही जाती है। जिन्हें एंबुलेंस में लादकर निजी क्लीनिकों तक पहुंचाया जाता है। इस बात की चर्चा है कि कुछ चिकित्सक भी कमीशन के चक्कर में बाहर की दवा पहले भी लिखते थे। मगर, अब जब सीएचसी में जीवन रक्षक दवाओं की अनुपलब्धता बढ़ी है तो उनके पास भी मेडिकल स्टोर की दवा लिखने का मौका हाथ आ गया है। मरीज मुफ्त की दवा से महरूम होकर मेडिकल स्टोर पर बरबस लुट रहे हैं। सही मायने में यही गरीब मरीज सरकारी दावों को आईना दिखा रहे। कहते हैं चिकित्सक :

सीएचसी में कार्यरत चिकित्सक परवेज आलम, धीरज कुमार, सुखराज कुमार आदि बताते हैं कि सीएचसी प्रशासन ने चिकित्सकों को दवा का एक मेनू उपलब्ध करवा रखा है। मरीजों को इसी मेनू के मुताबिक दवा लिखनी पड़ती है। बाहर की दवा लिखने से परहेज करने को कहा गया है। - कोट :

सीएचसी में दवा उपलब्ध है। 6 माह के लिए वैसे दवाओं को चिह्नित कर डिमांड की गई। दो बार दवा उपलब्ध कराई गई थी। अनुपलब्ध दवाओं को भी जल्द ही उपलब्ध करा दिए जाने की संभावना है। मरीजों को बाहर से दवा खरीदने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

- डॉ. फुलेश्वर प्रसाद सिंह, प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, विभूतिपुर


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