प्रेम प्रसंग में अंतरजातीय विवाह कर युवती ने दिव्यांग को बनाया हमसफर
कहते हैं प्रेम में मन की सुंदरता देखी जाती है। तन का क्या है वह तो प्रतिक्षण बदलता रहता है। परिवार व समाज की परवाह न करते हुए एक युवती ने दिव्यांग युवक को न सिर्फ अपना हमसफर बनाया है बल्कि अंतरजातीय विवाह कर एक मिसाल पेश की है।
समस्तीपुर । कहते हैं प्रेम में मन की सुंदरता देखी जाती है। तन का क्या है, वह तो प्रतिक्षण बदलता रहता है। परिवार व समाज की परवाह न करते हुए एक युवती ने दिव्यांग युवक को न सिर्फ अपना हमसफर बनाया है, बल्कि अंतरजातीय विवाह कर एक मिसाल पेश की है। स्वजनों के बढ़ते विरोध के बाद भी दोनों हिम्मत न हारे। आडंबरों को ठुकराकर प्रेम की पवित्र परिभाषा दी है। मंगलवार को युवती अपने स्वजनों को छोड़कर प्रेमी के साथ थानेश्वर स्थान मंदिर पहुंच गई। जहां हिदू रीति रिवाज से शादी रचाकर दोनों परिणय सूत्र में बंध गए।
उजियारपुर थाना क्षेत्र के पचपैका गांव के सागर पासवान का पुत्र किशन कुमार धनबाद में गोमा रेलवे स्टेशन पर टेक्नीशियन के पद पर कार्यरत है। आखों से दिव्यांग होने के बावजूद वह कार्य करने में सक्षम हैं। करीब दो वर्ष पूर्व फेसबुक के माध्यम से बरौनी फ्लैग की सोनाली कुमारी से प्यार का सफर शुरू हुआ था। धीरे-धीरे दोनों एक-दूसरे के करीब आ गए। किशन ने अपनी प्रेमिका को दिव्यांग होने की बात भी बताई। इसके बावजूद दीवानगी कम नहीं हुई। प्रेमिका के अटूट प्यार ने न सिर्फ उसका हौसला बढ़ाया, बल्कि जीवन जीने का नजरिया ही बदल दिया। एक-दूसरे को जीवनसाथी के रूप में चुन लिया। लेकिन लड़की के घर वाले इस विवाह से राजी नहीं थे। इसके बाद मंगलवार को युवती अपने स्वजनों को छोड़कर प्रेमी के साथ शहर के थानेश्वर स्थान महादेव मंदिर पहुंच गई। यहां हिदू रीति रिवाज से विवाह रचाकर दोनों परिणय सूत्र में बंध गए। इधर, जानकारी मिलते ही युवती के स्वजनों ने शादी मंडप पर आकर विरोध किया। लेकिन, प्रेमी युगल के आगे एक न चली। दोनों पक्ष वर-वधू को लेकर नगर थाना पहुंच गए। लेकिन, युवती अपने पति को छोड़कर घर वालों के साथ जाने को तैयार नहीं हुई। नगर थानाध्यक्ष अरुण राय ने बताया कि दोनों बालिग हैं। अपनी स्वेच्छा से शादी की है।