संकल्प दृढ़ व कपट रहित हो तो प्रभु उसे निश्चित पूरा करेंगे
हसनपुर प्रखंड के पटसा गांव में चल रहे नौ दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के सातवें दिन शुक्रवार को पंडाल श्रद्धालुओं से खचाखच भर गया। कथा वाचन करते हुए अयोध्या से आए स्वामी सीताराम पल्लभ दास जी महाराज ने कहा कि कर्म में रम जाना ही सबसे बड़ा धर्म है। जीव परमात्मा का अंश हैइसलिए जीव के अंदर अपार शक्ति रहती है। यदि कोई कमी रहती है तो वह मात्र संकल्प की होती है। संकल्प दृढ़ एवं कपट रहित होने से प्रभु उसे निश्चित रूप से पूरा करेंगे।
समस्तीपुर । हसनपुर प्रखंड के पटसा गांव में चल रहे नौ दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के सातवें दिन शुक्रवार को पंडाल श्रद्धालुओं से खचाखच भर गया। कथा वाचन करते हुए अयोध्या से आए स्वामी सीताराम पल्लभ दास जी महाराज ने कहा कि कर्म में रम जाना ही सबसे बड़ा धर्म है। जीव परमात्मा का अंश है,इसलिए जीव के अंदर अपार शक्ति रहती है। यदि कोई कमी रहती है तो वह मात्र संकल्प की होती है। संकल्प दृढ़ एवं कपट रहित होने से प्रभु उसे निश्चित रूप से पूरा करेंगे। उन्होंने महारास लीला श्री उद्धव चरित्र, कृष्ण मथुरा गमन और रुक्मिणी विवाह महोत्सव प्रसंगों पर विस्तार से बताया। रुक्मिणी विवाह महोत्सव प्रसंग पर व्याख्यान करते हुए कहा कि रुक्मिणी के भाई रुक्मि ने उनका विवाह शिशुपाल के साथ निश्चित किया था। लेकिन रुक्मिणी ने संकल्प लिया था कि वह शिशुपाल को नहीं केवल गोपाल को पति के रूप में वरण करेंगी। उन्होंने कहा कि शिशुपाल असत्य मार्गी है और द्वारकाधीश भगवान श्रीकृष्ण सत्यमार्गी हैं। इसलिए असत्य को नहीं, सत्य को अपनाऊंगी। भगवान द्वारकाधीश जी ने रुक्मिणी के सत्य संकल्प को पूर्ण किया और उन्हें पत्नी के रूप में वरण कर उन्हें प्रधान पटरानी का स्थान दिया। रुक्मिणी विवाह प्रसंग पर आगे कथा वाचक ने कहा कि इस प्रसंग को श्रद्धा के साथ श्रवण करने से कन्याओं को अच्छे घर और वर की प्राप्ति होती है और दांपत्य जीवन सुखद रहता है। पटसा गांव के शिशिर कुमार मिश्र के दरवाजे पर आयोजित नौ दिवसीय श्री सीताराम विवाह एवं श्री भक्तमाल कथा महायज्ञ में शुक्रवार को विशेष आयोजन किया गया। जिसमें फुलवारी प्रसंग, रामकथा वाचक,रामचरित्र मानस सरस गायन, श्री रामलीला आदि कार्यक्रम शामिल है। मौके पर मोद नारायण चौधरी, संतोष कुमार मिश्र, दुर्गानंद मिश्र, प्रो. ललन कुमार मिश्र, रामकिशोर राय, विजय कुमार मिश्र, सुनील गिरि, धनश्याम झा, मुरारी झा आदि मौजूद थे।