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मिथिला की धरती महान, जहां विवाह के सूत्र में बंधे श्रीराम

विद्यापतिनगर प्रखंड अंतर्गत मऊ बाजार स्थित लक्ष्मी नारायण मंदिर परिसर में चल रहे चौथा वार्षिकोत्सव सह श्रीराम चरित्र मानस नवाह महायज्ञ के अवसर पर आयोजित रामकथा के दरम्यान वृन्दावन से पधारे रामकथा मर्मज्ञ हेमचंद्र ठाकुर जी महाराज ने महाशिवरात्रि पर प्रकाश डालते हुए बताया कि इस अवसर पर लोगों को रात्रि जागरण करना चाहिए।

By JagranEdited By: Published: Fri, 21 Feb 2020 01:12 AM (IST)Updated: Fri, 21 Feb 2020 06:12 AM (IST)
मिथिला की धरती महान, जहां विवाह के सूत्र में बंधे श्रीराम

समस्तीपुर । विद्यापतिनगर प्रखंड अंतर्गत मऊ बाजार स्थित लक्ष्मी नारायण मंदिर परिसर में चल रहे चौथा वार्षिकोत्सव सह श्रीराम चरित्र मानस नवाह महायज्ञ के अवसर पर आयोजित रामकथा के दरम्यान वृन्दावन से पधारे रामकथा मर्मज्ञ हेमचंद्र ठाकुर जी महाराज ने महाशिवरात्रि पर प्रकाश डालते हुए बताया कि इस अवसर पर लोगों को रात्रि जागरण करना चाहिए। चार प्रहर में शिव पार्वती की चार पूजा होती हैं। पुराणों की कथाओं के अनुसार एक व्याधा ने रात्रि जागरण एवं शिवपूजन के द्वारा शिवजी का दर्शन कर अपने जीवन को धन्य किया था। इस अवसर पर श्रद्धालुओं को महाशिवरात्रि व्रत करते हुए रात्रि जागरण एवं शिवपंचाक्षरी मंत्र (ॐ नम: शिवाय) का जाप अवश्य करना चाहिए इससे सदाशिव प्रसन्न होते हैं। रामकथा के छठें दिन गुरुवार को आयोजित कथा के दौरान उन्होंने कहा कि मिथिला गौतम, कपिल, कणाद, याज्ञवल्क्य की वह पावन भूमि है जहाँ मर्यादा पुरुषोत्तम राम पैदल चल कर आए। अनादि काल से यहां बड़े-बड़े ब्रह्म विशारद ज्ञानी हो चुके हैं जिनका विश्व में सम्मान था। ऐसी पावन भूमि मिथिला के जनकपुर में धनुष यज्ञ स्वयंवर किया गया। ये शिव धनुष पुण्यात्मा दधीचि ऋषि की हड्डी से बना हुआ बड़ा ही दिव्य था जो पूर्वजों के द्वारा जनक जी को प्राप्त हुआ। छह साल के उम्र में आदि शक्ति जानकी ने इसे बांए हाथ से उठा ली थी, जिससे चकित होकर जनक जी ने धनुष तोड़ने वाले के साथ जानकी के विवाह की प्रतिज्ञा की। देश देशांतर के राजाओं सहित रावण ने भी इस धनुष को नहीं उठा पाया। ऐसी विकट परिस्थिति में श्री राम ने गुरु के आदेश से धनुष तोड़ कर मिथिला वासियों का विषाद दूर कर सीता से विवाह की अर्हता प्राप्त की। विवाह प्रकरण का सुन्दर प्रसंग की चर्चा करते हुए रामजानकी विवाहोत्सव की सुंदर झांकी भी प्रस्तुत की गई। दूसरे सत्र में आयोजित श्रीमछ्वागवत कथा के दौरान झांसी से पधारी साध्वी मंजू लता देवी जी ने अपने कथावाचन सुमधुर भजनों से उपस्थित श्रद्धालुओं को भक्ति रस की सरिता में गोते लगाने को मजबूर कर दिया। मौके पर मंदिर के महंथ सह कार्यक्रम संयोजक श्री विष्वकशैण रामानुज श्री वैष्णव दास उर्फ पंडित विनोद झा, आचार्य चंद्रशेखर शास्त्री, बाल व्यास मानस तिवारी जी, नवीन कुमार सिंह, राजेश जायसवाल, अमरनाथ सिंह मुन्ना,अजीत कुमार सिंह आदि मौजूद रहे।

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