देवी के सुरों ने बाधा समा, महफिल हुई गुलजार
महाकवि विद्यापति की समाधिभूमि विद्यापतिधाम में आयोजित सातवें विद्यापति राजकीय महोत्सव के दूसरे दिन सोमवार की शाम प्रसिद्ध भोजपुरी गायिका देवी के सुरलहरियों से गुलजार हो गई।
समस्तीपुर । महाकवि विद्यापति की समाधिभूमि विद्यापतिधाम में आयोजित सातवें विद्यापति राजकीय महोत्सव के दूसरे दिन सोमवार की शाम प्रसिद्ध भोजपुरी गायिका देवी के सुरलहरियों से गुलजार हो गई। देवी ने अपनी प्रस्तुति से उपस्थित जनसमूह को मंत्रमुग्ध कर दिया । उन्होंने अपनी भावभंगिमा का ऐसा जादू बिखेरा की उपस्थित जनसमूह को रात का एहसास तक नहीं हुआ। सर्वप्रथम विद्यापति जी द्वारा रचित 'जय जय भैरवि असुर भयाउनि.. से कार्यक्त्रम की शुरुआत की। उसके बाद भक्ति गीत निमिया के डारी मईया..,पनिया भरव चलली यमुना किनारवा..की प्रस्तुति खूब सराहा गयी।देवी ने अपनी सबसे पसंदीदा गाना बहे के पूरवा रामा बह गइले पछिया .. की प्रस्तुति सुनकर उपस्थित दर्शक अपने को रोक नहीं पाए और दर्शक दीर्घा में उपस्थित दर्शक नाचने को विवश हो गये। 'सानू एकपल चैन न आए सजना तेरे बिना ..' की प्रस्तुति के बाद तो युवा वर्ग ख्वाबों में खो गए । डीजे बाला भाई थोड़ा वॉल्युम बढ़ाई व निलिया पुलिया के मार्ग पर नौ बजे...गीतों की प्रस्तुति कर देवी ने श्रोताओं का भरपूर मनोरंजन किया।श्रोताओं का जब इससे भी मन नहीं भरा तो उनकी फरमाइशें शुरू हो गई। श्रोताओं की माग पर देवी ने फरमाईशी गीतों का सिलसिला शुरू किया। राजा जी मत रहा दूर, परवल बेचे जाईब भागलपुर व अंगुली में डंस ले बिया नगनिया रे.... की गीत पर श्रोता खूब थिरके। एक फरमाइशी गीत पूरी होने के बाद श्रोताओं की दूसरी फरमाईशें शुरू हो जाती थी। देवी ने एक-एक कर श्रोताओं की फरमाइश पूरी करते हुए राजधानी पकड़ के आ जइयो एवं कजरा वाली-गजरा वाली उड़न परी... मेरा सोने जैसा दिल लेके कहा चली। भव्य पंडाल में उपस्थित श्रोताओं के बीच देवी की प्रस्तुति ने महोत्सव को यादगार बना दिया।