मैली हो रही तन-मन का मैल धोने वाली गंगा
मां! जब सूरज की पहली लालिमा आपके पवित्र जल की सतहों पर पड़ती है तो उससे परावर्तित किरणें पूरे क्षेत्र में असीमित ऊर्जा का संचार करती है। आपने ऐसे ऐसे ऋषियों मनीषियों महापुरुषों तथा देश के योद्धाओं को जन्म दिया है जिसने भारत का परचम विश्व मे लहराया।
समस्तीपुर । मां! जब सूरज की पहली लालिमा आपके पवित्र जल की सतहों पर पड़ती है तो उससे परावर्तित किरणें पूरे क्षेत्र में असीमित ऊर्जा का संचार करती है। आपने ऐसे ऐसे ऋषियों, मनीषियों, महापुरुषों तथा देश के योद्धाओं को जन्म दिया है जिसने भारत का परचम विश्व मे लहराया। आपके पराक्रम से इंद्र का सिंहासन हिल गया और असुरों का विनाश हुआ। मां आज मैं आपकी दुर्दशा का न सिर्फ साक्षी हूं बल्कि उसका मूल कारण भी हूं। कुछ ऐसी ही भावनाएं आज इस क्षेत्र के लोगों के मन में पैदा हो रही हैं। गंगा की रक्षा के लिए संकल्पित लोगों ने मानो घुटने टेक दिए हों। गंगा के किनारे बसी हैं समस्तीपुर की 30 पंचायतें
समस्तीपुर जिले के 4 प्रखंडों का बड़ा भूभाग गंगा के तटीय क्षेत्रों में फैला हुआ है। पटोरी की पांच, मोहनपुर की 11, मोहिउद्दीन नगर की लगभग 7 पंचायत के अतिरिक्त विद्यापति नगर प्रखंड की भी आधे दर्जन से अधिक पंचायतें इस गंगा मां की गोद में बसती हैं। हां, गंगा नदी पौराणिक काल से बहती आ रही हैं तथा इसके पीछे कई पौराणिक कथाएं भी मशहूर है। इससे जुड़ी सहायक नदियां गंगा के द्वारा पल्लवित होती रही हैं। इनका उपयोग कई सदियों से विशेष रूप से ब्रिटिश शासन के समय से ही व्यवसायिक आवागमन के लिए किया जाता रहा है, कितु आज गंगा अपनी दुर्गति की कहानी स्वयं बयां कर रही हैं। लगभग जिले के 30 पंचायतों की 120 किलोमीटर से अधिक दूरी गंगा नदी के किनारे बसती हैं कितु अब तस्वीर बिल्कुल अलग है। प्रदूषण के हैं कई कारण
नदियों में स्लिट जमा रहने के कारण अब यहां कई क्षेत्रों में गंगा में सालों भर पानी तक नहीं रह पाता। बीच नदी में बालू का टीला और कास की घास। यहां के अधिकांश नाले मां गंगा की पानी में गिराए जाते हैं। शहर बाजार के सभी कचरे गंगा में फेंके जाते हैं। लोग मूर्तियों का विसर्जन कर गंगा के पानी को गंदा करने पर आतुर हैं। लोग बेपरवाह होकर इस में सफाई करते हैं तथा साबुन, शैंपू का प्रयोग गंगा के पानी में करते हैं। मरे हुए जानवरों को गंगा के किनारे फेंक कर इसे प्रदूषित किया जा रहा है। चलाए जा रहे कई आंदोलन
गंगा नदी को प्रदूषण मुक्त करने तथा इसके अविरल तथा निर्बाध प्रवाह के लिए क्षेत्र में कई आंदोलन चलाए जा रहे हैं। नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत भाई रणधीर ने कई बार आंदोलन को मूर्त रूप दिया तथा गंगा के किनारे बैठ कर अनशन तक कर डाला। कितु, न तो लोगों में जागरूकता आई और न ही सरकारी प्रयास इसकी सफाई के लिए प्रारंभ किए गए। इतना ही नहीं भाई रणधीर के द्वारा पुरी के शंकराचार्य के नेतृत्व में देशव्यापी आंदोलन के तहत यहां भी सघन आंदोलन चलाया गया कितु नतीजा साफ नहीं दिखा। आज से 15 साल पूर्व गंगा नदी की स्थिति कुछ और थी, कितु जनसंख्या बढ़ने के साथ-साथ क्षेत्र का शहरीकरण भी हुआ और इसका परिणाम गंगा नदी को भुगतना पड़ रहा है। कार्तिक के मेले में जुटते हैं हजारों लोग
यहां प्रतिवर्ष कार्तिक माह के अतिरिक्त अन्य पवित्र अवसरों पर लोग गंगा स्नान करने के लिए काफी संख्या में जुटते हैं। ऐसे दिनों में विभिन्न गंगा घाटों पर मेला जैसा नजारा रहता है। कित यहां गंगा के प्रदूषण के प्रति किसी को चिता नहीं। यहां विभिन्न क्षेत्र के अतिरिक्त वैशाली और बेगूसराय से भी लोग इन क्षेत्रों में आकर गंगा स्नान करते हैं। फोटो : 15 एसएएम 17
गंगा को निर्मल बनाने के लिए भाजपा सरकार प्रारंभ से ही प्रयत्नशील है। क्षेत्र में सरकार की कई योजनाएं भी कार्य कर रही हैं। इसे गंगा के तटवर्ती क्षेत्रों में लागू किया जाएगा तथा गंगा को शुद्ध करने के अतिरिक्त इस के तटीय इलाकों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के लिए सरकार प्रयत्नशील है।
राजेश कुमार सिंह, विधायक, मोहीउद्दीननगर। नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत गंगा की सफाई और इसके सौंदर्यीकरण का प्रयास किया जा रहा है। गंगा को अविरल और निर्मल बनाने के लिए कई बार आंदोलन को मूर्त रूप दिया तथा गंगा के किनारे बैठ कर अनशन भी किया। यह प्रयास लगातार जारी रहेगा।
रंधीर भाई, संयोजक नमामि गंगे।