नहाय- खाय के साथ चार दिनी छठ महापर्व का हुआ शुभारंभ
सूर्योपासना का महान पर्व चैती छठ नहाय- खाय के साथ प्रारंभ हो गया। चार दिवसीय छठ व्रत के पहले दिन व्रतियों ने पवित्र स्नान किया। अरबा चावल चने का दाल एवं मुख्य रुप से कद्दू की सात्विक सब्जी का प्रसाद व्रतियों ने सपरिवार ग्रहण किया।
समस्तीपुर । सूर्योपासना का महान पर्व चैती छठ नहाय- खाय के साथ प्रारंभ हो गया। चार दिवसीय छठ व्रत के पहले दिन व्रतियों ने पवित्र स्नान किया। अरबा चावल, चने का दाल एवं मुख्य रुप से कद्दू की सात्विक सब्जी का प्रसाद व्रतियों ने सपरिवार ग्रहण किया। पर्व को लेकर बाजार में भीड़ बढ़ गयी है। कोरोना को देखते हुए इस बार छठ व्रतियों के लिए अधिकांश गांवों में दरवाजे पर ही जलकुंड बनाए जा रहे हैं। बूढ़ी गंडक, बीआरबी कॉलेज तालाब, धर्मपुर, जमुआरी नदी एवं कई स्थानों पर तालाब किनारे भी छठ पूजा की तैयारी की जा रही है। श्रीरामपुर अयोध्या के कृषि विज्ञानी डॉ. नवल किशोर चौधरी बताते हैं कि सामाजिक समरसता एवं लोक आस्था का सबसे कठिन तपस्या छठ व्रत में समाहित है। बिना भेदभाव के सभी छठ व्रती एक साथ एक घाट पर सूर्योपासना करते हैं। हालांकि चैती छठ बहुत कम लोग करते हैं।
मोहनपुर,संस : नहाय-खाय के साथ शुक्रवार से चैती छठ प्रारंभ हुआ सूर्योपासना का चार दिवसीय छठ व्रत। इस अवसर पर व्रतियों की भीड़ पवित्र स्नान करने के लिए गंगा के विभिन्न घाटों पर उमड़ पड़ी। व्रतियों ने गंगा के सरारी, हरदासपुर सीढ़ी घाट, रसलपुर बालनाथ घाट, बघड़ा, मटिऔर पूल घाट, जौनापुर, डुमरी घाटों पर स्नान किया।
हसनपुर,संस : भगवान सूर्य की आराधना का चार दिवसीय महापर्व चैती छठ नहाय- खाय के साथ शुरू हो गया। प्रथम दिन व्रती अपने परिवार के सदस्यों के साथ विभिन्न नदियों और तालाबों के किनारे पहुंचकर पवित्र स्नान किया। अरवा चावल का भात, चने का दाल, कद्दू की सब्जी तथा धनिया के पत्ते की चटनी का भोग लगाकर पर्व का श्री गणेश किया। अगले दिन शनिवार को व्रतियों द्वारा निर्जला उपवास रखकर खरना किया जाएगा। खरना में दूध, अरवा चावल व गुड़ से बनी खीर एवं रोटी का भोग लगाया जाता है। खरना के बाद व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला उपावास शुरू हो जाएगा जो कि 18 की शाम अस्ताचलगामी सूर्य और 19 को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के बाद पारण के साथ पूरा होगा।
शाहपुर पटोरी, संस : नहाय- खाय के अवसर पर गंगा तट पर काफी अधिक भीड़ देखी गई। पटोरी अनुमंडल के तीनों प्रखंडों में गंगा स्नान करने के पश्चात छठ व्रत करने की परम्परा बढ़ती जा रही है। नहाय-खाय के दिन निश्चित रूप से गंगा स्नान करने के बाद ही छठ व्रत की शुभारंभ करते है। बुल्गानीन घाट, रून्नी भूईंया, सरारी घाट, रसलपुर घाट, पत्थर घाट, सुल्तानपुर घाट, पतसिया घाट आदि पर लोगों को गंगा स्नान करते देखा गया।