बांध नहीं रहने से बिथान का चार पंचायत तबाह
बांध नहीं रहने से प्रखंड के चार पंचायत के लोग प्रत्येक साल बाढ़ की तबाही झेलने को विवश हैं। सितम्बर माह में बाढ़ का पानी खेतों में फैल जाने से रबी फसल पर संकट छा गया है।
समस्तीपुर। बांध नहीं रहने से प्रखंड के चार पंचायत के लोग प्रत्येक साल बाढ़ की तबाही झेलने को विवश हैं। सितम्बर माह में बाढ़ का पानी खेतों में फैल जाने से रबी फसल पर संकट छा गया है। जिससे किसानों में मायूसी छा गयी है। यहां के लोग मुख्य रूप से पशुपालन एवं कृषि पर निर्भर हैं। खासकर मकई व गेहूं की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। बाढ़ प्रभावित चार पंचायतों में करेह-कोशी व कमला नदी का पानी फैल जाने से यातायात बाधित हो गया है। खासकर पशुपालकों को अपने मवेशियों के लिए चारा की किल्लत हो जाने से पलायन करना शुरू कर दिया है। खेतों में कुछ दिन पूर्व तक लहलहा रही फसल बाढ़ के पानी में डूब जाने से पूरी तरह बर्बाद हो गयी है। नदी के जलस्तर बढ़ने से प्रखंड क्षेत्र के चार पंचायतों सलहाचंदन, बेलसंडी, सलहाबुजुर्ग एवं नरपा के फुहिया, सलहा, बनभौड़ा, छेछनी, भुईधर, खुटौना, खोटा, लाद, भटगांव समेत दर्जनों गांवों के लोग उंचे स्थानों पर पलायन कर रहे हैं। लोगों का आने-जाने का एकमात्र सहारा नाव ही बचा है। लोगों को अपनी ¨जदगी जोखिम में डालकर नाव पर यात्रा करने को विवश हैं। बताते चलें कि उक्त नदी के एक ओर बांध नहीं होने के कारण पानी का जलस्तर बढ़ते ही इन गांवों में पानी प्रवेश कर गया है। लोगों का कहना है कि अगर दर्जिया-फुहिया बांध बन जाता तो प्रखंड के चार पंचायत के लोगों को हर साल बाढ़ आने की समस्या से निजात मिल जाती है। उक्त बांध वर्ष 1977 में तत्कालीन मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर के सरकार में तत्कालीन ¨सचाई मंत्री गजेन्द्र प्रसाद हिमांशु के पहल पर बनना प्रारंभ हुआ था। इस संबंध में सीओ अमृतराज बंधु ने बताया कि सलहाचंदन व सलहाबुजुर्ग पंचायत के चार-चार, नरपा के दो एवं बेलसंडी पंचायत में एक नाव की व्यवस्था सरकारी स्तर पर कर दी गई है।