फाइलेरिया उन्मूलन के लिए आठ प्रखंड में 4 हजार लोगों का रक्त सैंपल लेकर होगी जांच
समस्तीपुर। फाइलेरिया उन्मूलन के लिए स्वास्थ्य विभाग ने नियंत्रण कार्यक्रम का शुभारंभ बुधवार को किया। सिविल सर्जन डा. एसके चौधरी ने हरी झंडी दिखाकर जागरूकता रथ को रवाना किया।
समस्तीपुर। फाइलेरिया उन्मूलन के लिए स्वास्थ्य विभाग ने नियंत्रण कार्यक्रम का शुभारंभ बुधवार को किया। सिविल सर्जन डा. एसके चौधरी ने हरी झंडी दिखाकर जागरूकता रथ को रवाना किया। रथ जिले के आठ प्रखंड के आठ गांव में घूम-घूम कर फाइलेरिया उन्मूलन के प्रति लोगों को जागरूक करेगा। इसका संचालन 14 मई तक किया जाना है। सिविल सर्जन ने कहा कि फाइलेरिया उन्मूलन को गति देने की मुहिम तेज कर दी गयी है। फाइलेरिया संक्रमण की स्थिति की पहचान के लिए रात्रि रक्त पट्ट संग्रह की जांच होनी है। जिले के आठ प्रखंड के आठ गांव में रक्त सैंपल लिया जाना है। प्रत्येक गांव से 500-500 लोगों के रक्त का सैंपल लिया जाना है। इसके तहत कुल चार हजार सैंपल लेकर जांच किया जाएगा। स्वास्थ्य कर्मियों का दल खून के सैंपल संग्रह कर जांच करेगा। अगर जांच में लारभा (फाइलेरिया) कीटाणु का असर दिखा तो वैसे इलाकों में साफ-सफाई के लिए विभाग की ओर से विशेष व्यवस्था की जाएगी और यह कीटाणु फैले नहीं इसके व्यापक इंतजाम किए जाएंगे। पीड़ित व्यक्ति की पहचान होने के बाद विभाग द्वारा तत्काल दवा उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया है। इसके बाद जून में सर्वजन दवा अभियान (एमडीए) चलाया जाएगा। सैंपल समस्तीपुर शहर के बारहपत्थर, कल्याणपुर प्रखंड में ध्रुवगामा, पूसा में गंगापुर, मोरवा में महमदपुर, दलसिंहसराय में नगरगामा, पटोरी में सिरदिलपुर, सरायरंजन में सरायरंजन और ताजपुर प्रखंड में आधारपुर गांव शामिल है। मौके पर जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डा. सतीश कुमार सिन्हा, डीपीसी डा. आदित्य नाथ झा, अभिनय कुमार सिन्हा, आरिफ अली सिद्दिकी, आरबीएसके नोडल पदाधिकारी डा. विजय कुमार आदि उपस्थित रहे। स्वस्थ त्वचा पर भी पड़ता है फाइलेरिया का प्रभाव :
लेप्रा सोसायटी के कार्यक्रम प्रबंधक अमर सिंह ने बताया कि फाइलेरिया नियंत्रण के लिए आज से रात्रि रक्तपट कार्यक्रम की शुरूआत की गई है। उन्होंने बताया कि जांच के लिए खून का संग्रह रात्रि प्रहर में ही किया जाएगा क्योंकि फाइलेरिया रोग के लिए जिम्मेवार लारभा कीटाणु रात के समय में ही खून में फैलता है। इस लिए रात में ही खून संग्रह कर जांच किया जाएगा ताकि फाइलेरिया पीड़ित व्यक्ति व इलाकों की पहचान की जा सके। उन्होंने बताया कि अगर दिन में खून का नमूना लिया जाएगा तो जांच में फाइलेरिया रोग का पता नहीं चल पाएगा। इसका प्रभाव स्वस्थ त्वचा पर होता है। इसके कारण प्रभावित अंगों में दर्द, लालपन एवं रोगी को बुखार हो जाता है। हाथ-पैर, अंडकोष व शरीर के अन्य अंगों में सूजन के लक्षण होते हैं। प्रारंभ में या सूजन अस्थायी हो सकता है। किन्तु बाद में स्थायी और लाइलाज हो जाता है। वहीं गंभीर रूप से पीड़ित फाइलेरिया मरीजों को एमएमडीपी किट निशुल्क उपलब्ध कराई जाती है।