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संपर्क सड़क के अभाव में धूल फांक रहा सेतु

समस्तीपुर। विभूतिपुर बिहार की सड़कें चकाचक हुई है। यहां की सड़कों का भी कायाकल्प हुआ है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 18 Apr 2019 10:48 PM (IST)Updated: Thu, 18 Apr 2019 10:48 PM (IST)
संपर्क सड़क के अभाव में धूल फांक रहा सेतु
संपर्क सड़क के अभाव में धूल फांक रहा सेतु

समस्तीपुर। विभूतिपुर, बिहार की सड़कें चकाचक हुई है। यहां की सड़कों का भी कायाकल्प हुआ है। ढेर सारे पुल-पुलियों एवं सड़क का निर्माण कराया गया है। लोगों के आवागमन को सुलभ बनाने की कोशिश की गई है। इसी कड़ी में समस्तीपुर- बेगूसराय को जोड़ने वाली देसरी कर्रख में पुल का निर्माण कराया गया। पुल बेहतर बना है, इसमें कोई दो राय नहीं है। दोनों ओर की सड़कें भी ठीक-ठाक है। लेकिन पुल के निकट का जो सड़क संपर्क है, उसका निर्माण नहीं कराया गया है। आठ साल में महज पांच सौ मीटर संपर्क सड़क का निर्माण नहीं होने से लोगों को खासा परेशानी होती है। धूल भरे इस रास्ते से होकर गुजरने में लोगों को परेशानी तो होती ही है, सांस की तकलीफें भी होती है। संपर्क सड़क गड्ढे में तब्दील हो चुका है, जिससे अक्सर दुर्घटनाएं होती रहती है। लेकिन इस ओर किसी का ध्यान नही है। प्रस्तुत है संवाददाता अमरनाथ चौधरी की रपट।

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---आठ साल पहले 10 जून 2011 को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने देसरी कर्रख स्थित बूढ़ी गंडक पर नवनिर्मित सेतु का उद्घाटन किया था। इस सेतु का निर्माण करीब 15 करोड़ की लागत से कराई गई थी। समस्तीपुर और बेगूसराय जिले को जोड़ने वाला यह सेतु काफी महत्वपूर्ण है। मकसद साफ था लोगों का आवागमन सुलभ हो। उन्हें ज्यादा दूरी तय नहीं करनी पड़े। लेकिन यह मकसद कामयाब नहीं हो पाया। इसका कारण सेतु से जुड़ा संपर्क सड़क का नहीं बनना है। इस पुल से गुजरने से पहले आपको धूल भरी एवं गड़ढे में तब्दील सड़क से होकर गुजरनी पड़ेगी। इस संपर्क सड़क से गुजरना किस तरह कष्टदायक है, इसे आप भली भांति समझ सकते हैं। बताया जाता है कि उद्धाटन से पूर्व संपर्क सड़क का मिट्टीकरण और ईंटकरण किया गया था। लेकिन इसे पक्कीकरण नहीं किया गया। विभागीय उपेक्षा के कारण यह सड़क जगह-जगह धंस गया है, जो काफी जानलेवा साबित हो रहा है। महज पांच सौ मीटर की दूरी तय करने में लोगों को पसीने छूट जाते हैं। पैदल चलने वालों को भी होती है दिक्कत

सबसे बड़ी बात यह है कि इस सड़क से पैदल गुजरने वालों को भी दिक्कतें होती है। पूरा चेहरा धूल से भर जाता है। लोगों को सांस की तकलीफ होने लगती है। अस्थमा के मरीज इस होकर तो गुजरना भी नहीं चाहते हैं। समस्या पर किसी का ध्यान नहीं

सबसे आश्चर्य की बात तो यह है कि इस सड़क की दुर्दशा पर किसी को ध्यान नहीं है। चाहे वह जनप्रतिनिधि हों या फिर अधिकारी। बहुत कम खर्च में इस सड़क को चकाचक किया जा जा सकता है। इस सेतु की सार्थकता को बहाल किया जा सकता है। लेकिन कोई इस पर ध्यान देना भी मुनासिब नहीं समझते हैं। कई बार दुर्घटना के शिकार हो चुके हैं लोग

स्थानीय देबू ठाकुर का कहना है कि विभागीय उपेक्षा के कारण इस सेतु की यह दशा है। डॉ. वीरेंद्र कुमार कहते हैं कि कई बार ग्रामीण स्तर पर मिट्टी और ईट डालकर आवागमन को सुचारू करने की कोशिश की गई है। लेकिन यह जल्द ही ध्वस्त हो जाता है। जनप्रतिनिधियों को इसकी सुध ही नहीं है। रामाशीष प्रसाद सिंह कहते हैं कि संपर्क सड़क गड्ढे में तब्दील हो गया है। प्रतिदिन लोग दुर्घटना के शिकार हो रहे हैं। साखमोहन के लक्ष्मी साहू कहते हैं कि लगभग तीन-चार वर्षों से संपर्क सड़क की हालत काफी खराब है। भूस्वामियों को अब तक मुआवजा का भी भुगतान नहीं किया गया है।


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