Move to Jagran APP

वारिसनगर के डॉ. मनीष ने दो सिर वाले लड्डू को दी नई जिदगी

वारिसनगर प्रखंड के गोही निवासी और दिल्ली के न्यूरो सर्जन डॉ मनीष कुमार ने शनिवार को 6 महीने के लड्डू के सिर के पीछे भी बने एक सिर का सफल ऑपरेशन कर क्षेत्र का नाम रोशन किया। उनकी इस सफलता से लड्डू के आगे की परेशानी टल गई वहीं उसके माता-पिता भी काफी प्रसन्न हैं।

By JagranEdited By: Published: Sat, 13 Feb 2021 10:51 PM (IST)Updated: Sat, 13 Feb 2021 10:51 PM (IST)
वारिसनगर के डॉ. मनीष ने दो सिर वाले लड्डू को दी नई जिदगी
वारिसनगर के डॉ. मनीष ने दो सिर वाले लड्डू को दी नई जिदगी

समस्तीपुर । वारिसनगर प्रखंड के गोही निवासी और दिल्ली के न्यूरो सर्जन डॉ मनीष कुमार ने शनिवार को 6 महीने के लड्डू के सिर के पीछे भी बने एक सिर का सफल ऑपरेशन कर क्षेत्र का नाम रोशन किया। उनकी इस सफलता से लड्डू के आगे की परेशानी टल गई, वहीं उसके माता-पिता भी काफी प्रसन्न हैं। बता दें कि उत्तर प्रदेश के गाजीपुर इलाके के एक गरीब परिवार में लड्डू का जन्म आज से छह माह पूर्व हुआ था। जन्मजात बीमारी से पीड़ित होने की वजह से उसके सिर के पीछे एक गुब्बारे जैसा बनता गया और उसमें पानी भरता चला गया था। पानी से भरे इस दूसरे सिर की वजह से वह न तो ठीक से सो पाता था और न ही खेल पाता था। वहीं इसमे चोट लगने और फटने का डर भी हमेशा बना रहता था। न्यूरो सर्जन डॉ मनीष कुमार ने बताया कि एनसीफैलोसोल नामक इस दुर्लभ (रेयर) बीमारी से जूझ रहे लड्डू का जीवन खतरे में था। इस बच्चे की सफल सर्जरी करना एक चुनौतीपूर्ण कार्य था। परंतु पूर्व के अनुभव व ईश्वर के आशीर्वाद से यह कार्य पूरा हुआ है । अब लड्डू भी आम बच्चों की तरह खेल पाएगा। आराम से सो पाएगा। अब उसे सिर में चोट लगने का भी डर नहीं है। तीन घंटे की सर्जरी के बाद चिकित्सकों ने इस बीमारी को जड़ से खत्म करने के लिए एन्सेफैलोसिल रिपेयर किया और पानी से भरे दूसरे सिर से लगभग डेढ़ लीटर तरल पदार्थ निकाला। सर्जरी के बाद बच्चा पूरी तरह से ठीक है और अपनी मां का दूध पी रहा है। डॉ मनीष ने कहा कि छोटे बच्चे की वजह से सर्जरी में कई चुनौतियां थी। सबसे बड़ी चुनौती बच्चे को एनेस्थीसिया देना था। क्योंकि सिर के पिछले हिस्से में सर्जरी होनी थी। इसलिए बच्चे को उल्टा करके एनेस्थीसिया देना फिर उसी स्थिति में सर्जरी करना। सुबह 8 बजे बच्चे को ऑपरेशन थियेटर लेकर गए, सर्जरी से पहले दो घंटे तैयारी में लगा। उन्होंने कहा कि सबसे पहले लिक्विड से बाहर जो आकार बना था। उसके कई लेयर थे। उस लेयर को डिफाइन करने के बाद उसे खोला गया, और ब्रेन से निकलने वाला तरल पदार्थ जो जमा था, उसे बाहर निकाला गया। वह लगभग डेढ़ लीटर निकला। बताया कि उसके बाद ब्रेन का कुछ हिस्सा भी बाहर निकाला गया, फिर जहां तक संभव हुआ उस हिस्से को ब्रेन के अंदर किया गया। इसके बाद के बेकार पड़े हिस्से को काट कर अलग किया गया।

loksabha election banner

Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.