महनार-मोहिउद्दीननगर पथ का 56 साल बाद भी नहीं हो सका दोहरीकरण
शाहरपुर पटोरी। यह सड़क लगभग 7 लाख आबादी की लाइफ लाइन है। निर्माण के बाद से अब तक यह सिर्फ उपेक्षा की ही शिकार हुई।
शाहरपुर पटोरी। यह सड़क लगभग 7 लाख आबादी की लाइफ लाइन है। निर्माण के बाद से अब तक यह सिर्फ उपेक्षा की ही शिकार हुई। 56 वर्षों की लंबी अवधि में इसका स्वरूप नहीं बदला। यह है महनार-मोहिउद्दीननगर पथ। गंगा के बाढ़ से यह सड़क कई बार ध्वस्त हुई। कई बार ऐसा हुआ कि छह- छह माह तक मरम्मत के अभाव में आवागमन अवरुद्ध रहा। इस सड़क ने आजादी के बाद से अब तक कई सीएम, कई सांसद और विधायकों को देखा है। उनकी गाड़ियों का काफिला कई बार इस सड़क से गुजरा। कितु किसी ने आज तक इसकी सुध नहीं ली। इस पतली सड़क के चौड़ीकरण की मांग आज भी कार्यालयों में धूल फांक रही है। तीन जिलों और आधे दर्जन प्रखंडों को जोड़ने वाली इस इकलौती सड़क की उपेक्षा पर प्रस्तुत है संवाददाता दीपक प्रकाश की रपट।
--वैशाली, समस्तीपुर और बेगूसराय जिलों को जोड़ने वाली उजियारपुर संसदीय क्षेत्र की सबसे प्रमुख सड़कों में महनार - मोहिउद्दीन नगर पथ शुमार है। यह सड़क गंगा के किनारे बसे कई गांवों को जोड़ती है और यहां के आवागमन का प्रमुख साधन है। इतना ही नहीं हाजीपुर और पटना से पूरे क्षेत्र को जोड़ने वाली इस सड़क पर बरसों से वाहनों का चलना मुश्किल हो गया है। निर्माण के बाद से अब तक इसके दोहरीकरण और उचित चौड़ीकरण की पहल नहीं की गई। आंदोलन हुए, सड़क जाम किया गया, आश्वासन भी दिए गए कितु स्थिति जस की तस बनी हुई है। इस सड़क पर सात लाख की आबादी निर्भर करती है गंगा के तटीय क्षेत्रों को यह सड़क राजधानी और बड़े शहरों से जोड़ती है। बाजार से प्रारंभ होकर यह सड़क पटोरी प्रखंड के बड़े क्षेत्र,पूरे मोहनपुर प्रखंड, मोहिउद्दीननगर और विद्यापति प्रखंड की भी बड़ी आबादी वाले क्षेत्रों को जोड़ती है। इन क्षेत्रों की लगभग 7 लाख की आबादी के लिए यह सड़क लाइफ लाइन है। व्यवसायिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण यह सड़क यातायात के अतिरिक्त व्यवसायिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। बेगूसराय से बरौनी, तेघड़ा, बछवारा, विद्यापति नगर होते हुए महनार को राजधानी पटना से जोड़ने का यह सबसे छोटा मार्ग है। अत: व्यवसायिक दृष्टि से भी इसका बहुत अधिक महत्व है। क्षेत्र के जितने भी उत्पादित खाद्यान्न, सब्जी है, इसी रास्ते से कई जिलों में भेजे जाते हैं। दुकानदारों के सामान राजधानी व अन्य क्षेत्र से इसी मार्ग द्वारा लाए जाते हैं। तीन जिलों के आधे दर्जन प्रखंडों को जोड़ती है यह सड़क
यह सड़क वैशाली, समस्तीपुर और बेगूसराय जिले के कई प्रखंडों को जोड़ती है। इन क्षेत्रों की काफी अधिक आबादी इस सड़क पर निर्भर रहती है। महनार, पटोरी, मोहनपुर, मोहिउद्दीन नगर, विद्यापति नगर, बछवाड़ा आदि प्रखंडों के लिए यह सड़क सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। इसे इन क्षेत्रों का लाइफ लाइन भी कहा जाता है। प्रतिदिन हजारों छोटी-बड़ी गाड़ियां इस सड़क से गुजरती है। 56 वर्षों में नहीं बदली सूरत
इस सड़क का निर्माण कार्य 1963 में प्रारंभ कराया गया। उस समय मिट्टीकरण का कार्य कराया गया। बाद में इस पर ईंट डाले गए और 1971 में सड़क का कालीकरण किया गया। निर्माण के बाद से अब तक कई बार बाढ़ से क्षतिग्रस्त हुई यह सड़क। यहां हंगामा और आंदोलन के बाद मरम्मत की शुरुआत करने की पुरानी परंपरा रही है। नतीजा यह है कि आज भी जर्जर अवस्था में यह सड़क है। सड़त की चौड़ाई कम, जाम की समस्या
इस सड़क की चौड़ाई 8 फीट से 10 फीट है। वह भी जर्जर अवस्था में है। विगत वर्ष आई बाढ़ में सड़क क्षतिग्रस्त हो गई थी। बाद में इसकी मरम्मति की गई कितु चौड़ाई कम रहने के कारण अक्सर जाम की स्थिति बनी रहती है। किसी बड़ी गाड़ी के गुजरने के कारण घंटों जाम में गाड़ियों की लंबी कतार लग जाती है। दोहरीकरण के लिए हुए कई आंदोलन
इस सड़क की दोहरीकरण के लिए कई बार आंदोलन किए गए। उच्चाधिकारियों व संबंधित मंत्रालय तक लोगों ने पत्राचार भी किया कितु आज तक किसी ने सुध नहीं ली। विधायक व सांसदों ने भी आश्वासन दिए कितु 56 वर्षों में इसकी स्थिति नहीं बदली। स्थानीय लोगों, पंचायत प्रतिनिधियों व ग्रामीणों ने भी इसके दोहरीकरण की मांग की। कहते हैं लोग
इस सड़क के दोहरीकरण नहीं होने का क्षेत्र के लोगों को भी मलाल है। क्षेत्र के अशर्फी राय महंत, जितेंद्र चौहान, सुजीत भगत व रणधीर भाई का कहना है कि इसके लिए कई बार मंत्रालय से भी पत्राचार किया गया कितु आज तक किसी ने इसकी सुधि नहीं ली। कमलकांत राय और मिथिलेश झा का कहना है कि सरकार को इन क्षेत्रों पर ध्यान ही नहीं है। वर्जन :
इस सड़क का जीर्णोद्धार और दोहरीकरण हमारी पहली प्राथमिकता होगी। इसके लिए कई बार प्रयास भी किया है और शीघ्र ही इस का दोहरीकरण कर दिया जाएगा।
नित्यानंद राय, सांसद, उजियारपुर