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बंदी के बावजूद बिहार में प्रतिदिन लाखों लीटर शराब की खपत

समस्तीपुर। राष्ट्रीय जनता दल के द्वारा शराब कांड की जांच के लिए गठित प्रदेश की टीम ने पटोरी के विभिन्न क्षेत्रों में जांच की।

By JagranEdited By: Published: Sat, 13 Nov 2021 11:26 PM (IST)Updated: Sat, 13 Nov 2021 11:26 PM (IST)
बंदी के बावजूद बिहार में प्रतिदिन लाखों लीटर शराब की खपत
बंदी के बावजूद बिहार में प्रतिदिन लाखों लीटर शराब की खपत

समस्तीपुर। राष्ट्रीय जनता दल के द्वारा शराब कांड की जांच के लिए गठित प्रदेश की टीम ने पटोरी के विभिन्न क्षेत्रों में जांच की। हसनपुर सूरत पंचायत में जांच के दौरान जांच टीम के सदस्यों ने बताया कि बिहार में शराब बंदी के बावजूद प्रतिदिन लाखों लीटर शराब की खपत आज भी है। जांच टीम ने यह भी कहा कि महाराष्ट्र से ज्यादा बिहार के लोग शराब का उपयोग करते हैं और यहां धड़ल्ले शराब बिक रही है। जिसमें सरकारी महकमे के आला अधिकारी भी शामिल हैं। क्षेत्र में सरकार शराब बंदी में पूरी तरह नाकाम रही है और शराबबंदी के नाम पर करोड़ों रुपए का धंधा प्रतिदिन किया जा रहा है। जांच टीम के सदस्यों ने कहा कि नीतीश कुमार को अपने शराबबंदी कार्यक्रम की समीक्षा करनी चाहिए और जहरीली शराब के कारण हुई मौत की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। कहा गया कि जब तक सरकार कड़े कानून नहीं बनाएगी, तब तक शराबबंदी असंभव है। इस जांच टीम में राजद के प्रदेश प्रधान महासचिव आलोक कुमार मेहता, विधायक डॉ. रामानुज प्रसाद, अख्तरुल इस्लाम शाहीन, रणविजय साहू, राजेश पाल, राजद के प्रदेश प्रवक्ता एज्या यादव, अनिल कुमार साधु, अरविद सहनी, राजद नेता अशोक राय आदि शामिल थे। गठित कमेटी को निर्देश दिया गया था कि बिहार के समस्तीपुर जिले स्थित पटोरी प्रखंड में जहरीली शराब कांड की समीक्षा और जांच कर रिपोर्ट तैयार करें। यह भी कहा गया था कि घटनास्थल पर जाकर अद्यतन स्थिति की जानकारी लेकर इसका प्रतिवेदन राजद के प्रदेश कार्यालय में समर्पित करे। जांच के दौरान राजद के विधायक और नेताओं ने पीड़ित के परिवालों से भी मुलाकात की और क्षेत्र में शराब के गोरखधंधे का भी पता लगाया। जांच के दौरान यह कहा गया कि सरकार यदि अब भी सख्ती नहीं बरती तो जहरीली शराब से और कई लोगों की जानें जा सकती हैं। जांच समिति के सदस्यों ने कहा कि जहरीली शराब कांड के पीड़ित व्यक्तियों के स्वजनों का पूरा जिम्मा सरकार उठाए और उनके आश्रितों को सरकारी नौकरी प्रदान कर उन्हें भी बीस लाख रुपए का मुआवजा प्रदान करे।

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