देश बड़े आदोलन के मुहाने पर
पहले जनता सरकार चुनती थी सीएए और एनआरसी कानून के लागू होते ही अब सरकार जनता को चुनेगी। इसे भारत जैसा सेकुलर देश बर्दाश्त नहीं करेगा।
समस्तीपुर । पहले जनता सरकार चुनती थी, सीएए और एनआरसी कानून के लागू होते ही अब सरकार जनता को चुनेगी। इसे भारत जैसा सेकुलर देश बर्दाश्त नहीं करेगा। ये बातें संविधान बचाओ संघर्ष समिति के बैनर तले बस स्टैंड में आहूत सत्याग्रही को संबोधित करते हुए भाकपा माले पोलित ब्यूरो सदस्य कविता कृष्णन ने कहीं। उन्होंने महंगाई, रोजगार, कालाधन, भ्रष्टाचार आदि मुद्दे पर जब कोई बे, तर काम नहीं कर सके तो लगातार जन विरोधी मुद्दे मसलन जीएसटी, नोटबदी , सीएए, एनआरसी, एनपीआर आदि लाकर लोगों को परेशान कर रहे हैं। पहली बार नागरिकता की परिभाषा में धर्म को घूसाया गया। इस काला कानून में आधारकार्ड, मतदाता पहचान-पत्र, निवास प्रमाण पत्र आदि का कोई महत्व नहीं दिया जा रहा है।
सभा को संबोधित करते हुए माले मिथिलाचल प्रभारी धीरेन्द्र झा ने कहा कि भारत किसी भी सरकार को बाबा साहब अंबेडकर का बनाया संविधान बदलकर मनुवादी संविधान लाने का इजाजत नहीं देगा। उन्होंने कहा कि इसके खिलाफ हमें गाव- टोले में जनसंपर्क अभियान चलाना चाहिए।इस काले कानून के खिलाफ संपूर्ण विपक्ष को एकताबद्ध होकर संघर्ष चलाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस काले कानून के खिलाफ 25 जनवरी को पूरे बिहार में कई दलों को साथ लाकर मानव श्रृंखला बनाया जाएगा। उन्होंने इसे सफर बनाने की अपील बिहारवासियों से की।
सीएए, एनआरसी एवं एनपीआर वापस लेने की माग पर संविधान बचाओ संघर्ष समिति के बैनर तले 10 जनवरी से मुख्यालय स्थित सरकारी बस स्टैंड में आहूत सत्याग्रह को 5वें दिन भी जारी रहा।
सत्याग्रह स्थल पर मंगलवार को आहूत घरना की अध्यक्षता रजिउल इस्लाम, अजय कुमार, एवं जीवन पासवान की अध्यक्ष मंडली ने की। संचालन सुरेंद्र प्रसाद सिंह ने किया। सत्यनारायण सिंह, रधुनाथ राय, गंगा प्रसाद पासवान,मो. फरमान,जियाउर रहमान, ताहूर अनवर, पप्पू खान, शम्श तबरेज, खालिद अनवर, मो. हसनैन, रजिऊल इस्लाम, फारूख अब्दुल्ला, मो. अंबर आलम, मो. तौकीर, मो. गुफरान, मसूद जावेद, मो. सगीर, सुनील कुमार, फैजुर रहमान फैज, तनवीर तनहा समेत दर्जनों वक्ताओं ने सभा को संबोधित किया। मौके पर वक्ताओं ने नागरिकता कानून को जनविरोधी कानून के साथ ही आजाद भारत का काला कानून बताकर केंद्र की मोदी- शाह सरकार से इसे वापस लेने की माग की।