Move to Jagran APP

बिना हथियार के कोरोना से जंग लड़ रहे सीएचसी कर्मी

विभूतिपुर सीएचसी में पदस्थापित डॉक्टर नर्स और अन्य मेडिकल स्टाफ बगैर हथियार के हीं कोविड-19 से जंग लड़ रहे हैं। शायद इनकी सुरक्षा का खयाल उस जिम्मेदार को नहीं है जिसे ग्लब्स मास्क सैनिटाइजर पीपीई किट दवाओं आदि की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 25 May 2021 01:05 AM (IST)Updated: Tue, 25 May 2021 01:05 AM (IST)
बिना हथियार के कोरोना से जंग लड़ रहे सीएचसी कर्मी
बिना हथियार के कोरोना से जंग लड़ रहे सीएचसी कर्मी

समस्तीपुर । विभूतिपुर सीएचसी में पदस्थापित डॉक्टर, नर्स और अन्य मेडिकल स्टाफ बगैर हथियार के हीं कोविड-19 से जंग लड़ रहे हैं। शायद, इनकी सुरक्षा का खयाल उस जिम्मेदार को नहीं है, जिसे ग्लब्स, मास्क, सैनिटाइजर, पीपीई किट, दवाओं आदि की जिम्मेदारी सौंपी गई है। कोरोना काल में शहर से गांव तक रोजाना लोग संक्रमित होकर काल के गाल में समा रहे हैं। अस्पताल के कर्मचारियों के ऊपर महती जिम्मेवारी है कि खुद सुरक्षित रहकर संक्रमित लोगों की जान बचाने की कोशिश करें। ऐसा देखा जा रहा है कि सुरक्षा के पर्याप्त उपकरण नहीं होने से कई डॉक्टर और दूसरे स्टाफ खुद भी कोरोना वायरस की चपेट में आ रहे हैं। हालत यह है कि यहां कार्यरत कर्मी भी कोरोना जांच करवाने में कतरा रहे हैं।

prime article banner

कोविड-19 से निपटने की इस लड़ाई में अग्रिम योद्धा होने का वह एहसास क्या होता है यह जानने के लिए दैनिक जागरण ने सीएचसी की पड़ताल कर स्वास्थ्य कर्मियों से हालचाल जानना चाहा। बिना पीपीई किट के कोरोना सैंपल लेकर जांच चल रही थी। अपने कक्ष में डॉ. परवेज आलम बिना मास्क और ग्लब्स के काम करते दिखे। सफाई कर्मियों की अपनी दास्तान थी। एनजीओ कर्मी अस्पताल प्रशासन की कुव्यवस्था के खिलाफ आवाज उठाने की हिम्मत नहीं जुटा पर रहे थे। चिकित्सा कर्मी ऐसे संकट के समय बीमार पड़ने का जोखिम नहीं ले सकते। इस क्रम में एक बीमार व्यक्ति अपना गुस्सा छुपा नहीं पाया। आमजनों के संक्रमित होने और मौत के सवाल पर सीएचसी प्रशासन की कुव्यवस्था को घेर लिया। इसके बातों में हामी भरते हुए नाम उजागर ना करने की शर्त पर कुछ स्वास्थ्य कर्मियों ने कहा कि हम बिना हथियार के ही युद्ध के मैदान में डटे हैं। सरकारी सुविधाओं में सेंधमारी कर सीएचसी का एक जिम्मेवार अपनी निजी क्लिनिक चमका रहा है। वे बताते हैं कि कोरोना की दूसरी लहर में सरकार ने सुरक्षा उपकरणों का इंतजाम किया। संक्रमण के इस दौर में जब मरीज उपचार की तलाश में आर्थिक रूप से बर्बाद हो रहे हैं। ऐसे में कागजी घोड़ा दौड़ाकर जरूरी उपकरणों से घर भर लेना सरकारी इंतजाम पर प्रश्न खड़ा कर रहा। बीमार होने पर भी नहीं मिल रही छुट्टी : स्वास्थ्य कर्मी कहते हैं कि उनके पास व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई) तो दूर मास्क, ग्लब्स, सैनिटाइजर तक नहीं हैं। निजी खर्च कर मंगवाना पड़ता है। सीएचसी में हमलोगों को समय पर दवा नहीं मिल रही। मरीजों का अंदाजा लगाया जा सकता है। लेकिन, कोरोना ड्यूटी में होने के कारण हम उन मरीजों का इलाज करने से मना नहीं कर सकते। चिकित्सा कर्मियों के लिए सुरक्षा उपकरणों की कमी की शिकायत सीएचसी प्रशासन से की गई। मगर, सब कुछ बेअसर रहा। बताते हैं कि यह संभव है कि उचित सुरक्षा उपकरण के बिना मरीजों का इलाज करने के बाद ठीक हुए मरीजों को भी संक्रमित हो जाने से इन्कार नहीं किया जा सकता है। अस्पताल प्रशासन ने दवा खाकर काम पर आने की नसीहत दे रहे। सफाई कर्मियों का काम किसी रो-बोट से कराना विवशता दिख रही। क्योंकि, इनसे बिना मास्क और ग्लब्स का काम कराना शायद मानवता का हनन ही होगा। वर्जन

एक व्यक्ति ने फॉर्मासिस्ट कंपाउंडर और कोरोना काल में इस प्रकार की आपूर्ति के जिम्मेवार चंद्रशेखर सिंह के खिलाफ सिविल सर्जन से शिकायत की थी। मामला संज्ञान में आया है। सीएस और डीएम से बातचीत कर नकेल कसी जाएगी।

डॉ. फुलेश्वर प्रसाद सिंह, प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, विभूतिपुर


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.