भारत के आध्यात्मिक गौरव थे आदिगुरु शंकराचार्य
आदिगुरु शंकराचार्य भारत के एक महान दार्शनिक एवं धर्म प्रवर्तक थे। उन्हें भारतीय सनातन धर्म की स्थापना तथा उसे प्रतिष्ठित करने का श्रेय प्राप्त है। यह बात शिक्षाविद श्याम कुमार गिरि ने मंगलवार को कहीं।
समस्तीपुर । आदिगुरु शंकराचार्य भारत के एक महान दार्शनिक एवं धर्म प्रवर्तक थे। उन्हें भारतीय सनातन धर्म की स्थापना तथा उसे प्रतिष्ठित करने का श्रेय प्राप्त है। यह बात शिक्षाविद श्याम कुमार गिरि ने मंगलवार को कहीं। वे सरायरंजन प्रखंड के हरसिगपुर गोस्वामी मठ में आयोजित आदि गुरु शंकराचार्य की जयंती समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि शंकराचार्य एक महामानव, भाषा के प्रकांड पंडित और भारत के आध्यात्मिक गौरव थे। इस अवसर पर डॉ. यशवंत भारती ने कहा कि प्राचीन भारतीय सनातन परंपरा को जीवंत करने का काम आदि गुरु शंकराचार्य ने किया, वह अद्भुत एवं अविस्मरणीय है। आचार्य देवकांत गिरि ने कहा कि शंकराचार्य वैदिक परंपरा में उपनिषदों तथा वेदांत सूत्रों पर जो टीकाएं लिखीं, वह आज भी प्रसिद्ध हैं। वहीं अवकाशप्राप्त सैनिक गणेशानंद गिरि ने कहा कि भारत के प्राचीन सनातन धर्म और यहां की संस्कृति को संरक्षित रखने में आदि गुरु शंकराचार्य का अमूल्य योगदान रहा है। जयंती समारोह की अध्यक्षता करते हुए वनबारी गिरि ने कहा कि शंकराचार्य ने सनातन धर्म की विविध विचारधाराओं को एक सूत्र में बांधने का काम किया। साथ हीं उन्होंने पूरे भारत का भ्रमण कर वैदिक धर्म को फिर से जीवित किया। जयंती समारोह का संचालन बबन गिरि ने किया। इसके पूर्व दीप प्रज्वलित कर जयंती समारोह का शुभारंभ हुआ। जयंती समारोह के दौरान फिजिकल डिस्टेंसिग का भी पालन किया गया। मौके पर अमरजीत गिरि, राकेश कुमार गिरि, डॉ. अरुण कुमार गिरि, गोविद माधव गिरि, विश्वजीत गिरि, सतेंद्र कुमार गिरि, सुभाष कुमार गिरि, मनीष कुमार गिरि आदि मौजूद रहे।