डीआरडीए में पांच वर्षों में 600 करोड़ की गड़बड़ी
जिला ग्रामीण विकास अभिकरण में पिछले चार साल के दौरान करीब छह सौ करोड़ रुपये का घोटाला हुआ है।
समस्तीपुर । जिला ग्रामीण विकास अभिकरण में पिछले चार साल के दौरान करीब छह सौ करोड़ रुपये का घोटाला हुआ है। यह गड़बड़ी महालेखाकार ने पकड़ी है। महालेखाकार के द्वारा कराए गए ऑडिट रिपोर्ट में यह मामला सामने आया है। सूचना के अधिकार के तहत यह ऑडिट रिपोर्ट निकाली गई है। ऑडिट रिपोर्ट के आधार पर मुख्य सचिव को शिकायत पत्र देते हुए कार्रवाई की मांग गई है।
जानकारी के अनुसार जिला ग्रामीण विकास अभिकरण, समस्तीपुर का वित्तीय वर्ष 2009-10 से लेकर वित्तीय वर्ष 2015-16 तक का कराए गए ऑडिट रिपोर्ट में करीब 600 करोड़ रुपये के घोटाला सामने आया है। महालेखाकार ने अपने ऑडिट रिपोर्ट में स्पष्ट रुप से कहा है कि बड़े पैमाने पर सरकारी दिशा निर्देशों का उल्लंघन करते हुए वित्तीय अनियमितता की गई है । मुजफ्फरपुर जिले के गायघाट प्रखंड के बलहा गांव निवासी अमित कुमार मंडल ने सूचना के अधिकार के तहत इस मामले को उजागर करते हुए मुख्य सचिव को पिछले 7 सितंबर को कार्रवाई के लिए शिकायती पत्र दिया है। जिसमें ऑडिट रिपोर्ट की प्रति भी सौंपी है। शिकायती पत्र में कहा गया गया है कि इंदिरा आवास योजना के तहत अपूर्ण योजनाओं पर निष्फल व्यय, 14420.40 लाख रुपये किया गया है। जबकि संपूर्ण ग्रामीण रोजगार योजना अंतर्गत जन वितरण प्रणाली के डीलरों के पास खाद्यान्न की बकाया राशि की वसूली नहीं होने के कारण सरकारी धन की 1580.56 लाख की क्षति हुई है। स्वर्ण जयंती रोजगार योजना के तहत एसजीएसवाई में भी 1386.28 लाख का निष्फल व्यय किया गया है। ऑडिट में प्रतिनियुक्त कर्मी पर अप्राधिकृत व्यय 12.75 लाख रुपये करने का भी मामला सामने आया है। वहीं प्रखंड कार्यालय भवन के निर्माण योजना में भी 4.35 लाख रुपये का निष्फल व्यय किया गया है। स्वर्ण जयंती स्वरोजगार योजना के तहत अप्राधिकृत व्यय भी 3.39 लाख रुपये किया गया है। जबकि इसी योजना के तहत आधारभूत संरचना पर संदेहास्पद व्यय 382.00 लाख रुपये कर दिए गए। इस योजना के प्रोत्साहन निधि के अंतर्गत संदेहास्पद व्यय 51.65 लाख रुपये का किया गया है। महालेखाकार ने मनरेगा, ग्रामीण हाट निर्माण योजना समेत अन्य योजनाओं में भी गड़बड़ी पकड़ी है। बता दें कि वित्तीय वर्ष 2009-10 से वित्तीय वर्ष 2011-12 तक का एक साथ ऑडिट वर्ष 2013 में कराया गया था। जबकि इसके बाद नियमित रुप से ऑडिट हुआ। मुख्य सचिव से की गई शिकायत में ऑडिट रिपोर्ट के हवाले से शिकायत कर्ता ने कहा है कि पदाधिकारियों की मिलीभगत से यह गड़बड़ी की गई है। इसलिए इस गड़बड़ी में जो भी शामिल हैं, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।