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समारोहपूर्वक मनी शहीद खुदीराम बोस की 130 वीं जयंती

शहीद खुदीराम बोस की 130वीं जयंती वैनी पूसारोड में समारोहपूर्वक मनी। लोगों ने शहीद की प्रस्तर प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें नमन किया। संबोधित करते हुए शिक्षाविद् विनय कृष्ण ने कहा कि अमर शहीद खुदीराम बोस भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रथम बलिदानी थे।

By JagranEdited By: Published: Wed, 04 Dec 2019 01:06 AM (IST)Updated: Wed, 04 Dec 2019 06:16 AM (IST)
समारोहपूर्वक मनी शहीद खुदीराम बोस की 130 वीं जयंती
समारोहपूर्वक मनी शहीद खुदीराम बोस की 130 वीं जयंती

समस्तीपुर । शहीद खुदीराम बोस की 130वीं जयंती वैनी पूसारोड में समारोहपूर्वक मनी। लोगों ने शहीद की प्रस्तर प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें नमन किया। संबोधित करते हुए शिक्षाविद् विनय कृष्ण ने कहा कि अमर शहीद खुदीराम बोस भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रथम बलिदानी थे। मात्र उन्नीस वर्ष की आयु में अंग्रेजी हुकूमत ने उन्हें फांसी पर चढ़ा दिया था। पिता त्रैलोक्यनाथ बोस एवं माता लक्ष्मी प्रिया का साया उस समय उठ गया जब वे मात्र 6 वर्ष के बालक थे। इनके दो भाइयों की भी मृत्यु हो चुकी थी। तब इनकी बड़ी बहन अपरुपा ने मुठ्ठी भर खुद्दी का मूल्य देकर उन्हें खरीद लिया था। इसलिए इनका नाम खुदीराम पड़ा। क्रांतिकारी सतेन बोस के संपर्क में आने पर खुदीराम बोस क्रांतिकारी बने। 30अप्रैल 1908 को जज किग्स फोर्ड की हत्या के उद्देश्य से बग्गी पर बम विस्फोट करने के बाद प्रफुल्लचंद्र चाकी के साथ 1 मई को वैनी पहुंचे। यहां उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। 13 जून को जज ने फांसी की सजा सुनाई। 11 अगस्त को सुबह चार बजे मुजफ्फरपुर जेल में उन्हें फांसी दी गई। आज भी खुदीराम बोस युवाओं के प्रेरणा स्त्रोत बने हुए हैं। मौके पर सुधीर कुमार साह, जदयू के सचिन कुमार, इनौस के जिलाध्यक्ष रामकुमार, संतोष कुमार, दिनेश कुमार साह सहित काफी संख्या में लोग उपस्थित थे।

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