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श्री गोशाला में धूमधाम से मना 111वां गोपाष्टमी महोत्सव

शहर के बहादुरपुर स्थित श्री गोशाला में 111 वां गोपाष्टमी महोत्सव मनाया गया। इस अवसर पर कई कार्यक्रम आयोजित किए गए। सुबह सबसे पहले राधे-कृष्ण व गोमाता की मूर्ति स्थापित हुई। साथ ही मूर्ति पूजन किया गया।

By JagranEdited By: Published: Tue, 05 Nov 2019 12:22 AM (IST)Updated: Tue, 05 Nov 2019 12:22 AM (IST)
श्री गोशाला में धूमधाम से मना 111वां गोपाष्टमी महोत्सव
श्री गोशाला में धूमधाम से मना 111वां गोपाष्टमी महोत्सव

समस्तीपुर । शहर के बहादुरपुर स्थित श्री गोशाला में 111 वां गोपाष्टमी महोत्सव मनाया गया। इस अवसर पर कई कार्यक्रम आयोजित किए गए। सुबह सबसे पहले राधे-कृष्ण व गोमाता की मूर्ति स्थापित हुई। साथ ही मूर्ति पूजन किया गया। ध्वजारोहण हुआ। बड़ी संख्या में महिलाओं ने गोपूजन किए। गायों को टीके लगाए गए। शहर में गोमाता को सजाकर झांकी निकाली गई। झांकी गोशाला से निकलकर गोला रोड होते हुए नीम चौक, मगरदही रोड, रामबाबू चौक, गुदरी बाजार, मारवाड़ी बाजार, बंगाली टोला होते हुए पुन: गोशाला पहुंच कर समाप्त हुई। संध्या में विधान पार्षद हरि नारायण चौधरी, सचिव सुरेश कुमार दीक्षित, कोषाध्यक्ष राकेश कुमार राज द्वारा गरीब-गुरबों व बच्चों के बीच निशुल्क दूध का वितरण किया गया। मौके पर ओम प्रकाश खेमका, ओम प्रकाश गुप्ता, रामानंद प्रधान, सुरेंद्र बंका, सीमा बोहरा, अशोक चौधरी, जनबहादुर पासवान, नुनु सिंह आदि उपस्थित रहे। गोसेवा का धार्मिक महत्व

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कार्तिक शुक्ल अष्टमी को गोपाष्टमी मनाने की परंपरा है। हिंदू समाज में गाय को माता का दर्जा दिया गया। पुराणों के अनुसार गाय के शरीर में 33 कोटि देवी-देवताओं का वास है। इसकी पूजा से देवी- देवताओं की पूजा का फल मिलता है। श्रुतियों के अनुसार गाय साक्षात विष्णु का स्वरूप है। भगवान श्री कृष्ण गाय की सेवा से सबसे ज्यादा प्रसन्न होते हैं। जैन ग्रंथों में कामधेनु को स्वर्ग की गाय कहा गया है। भगवान महावीर ने भी गोरक्षा का महत्व बताते हुए कहा था कि उसके बिना मानव रक्षा संभव नहीं है। गोसेवा का वैज्ञानिक महत्व भी

गोसेवा का वैज्ञानिक महत्व भी है। एक ओर जहां गाय का दूध रेडियो विकिरण से बचाता है वहीं हृदय रोग से भी रक्षा करता है। शरीर में स्फूर्ति लाकर आलस्य को दूर करता है। स्मरण शक्ति बढ़ती है। गाय के घी से हवन करने पर वातावरण शुद्ध होता है। ओजोन परत की रक्षा होती है। गाय के रंभाने की आवाज से मानसिक विकृतियां दूर होती है। गाय के गोबर में हैजा के विषाणुओं को खत्म करने की शक्ति होती है। चर्म रोग, क्षय रोग में भी गो मूत्र व गोबर रामवाण की तरह काम करता है। मूत्र व गोबर से कई प्रकार की औषधियां बनती हैं।


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