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आज भी रजवाड़ा के रूप में सोनवर्षा राज पंचायत की बनी हुई है पहचान

सहरसा। सोनवर्षाराज पंचायत कभी रजवाड़ा हुआ करता था। राजा हरिवल्लभ नारायण सिंह का महल

By JagranEdited By: Published: Wed, 03 Mar 2021 05:49 PM (IST)Updated: Wed, 03 Mar 2021 05:49 PM (IST)
आज भी रजवाड़ा के रूप में सोनवर्षा
राज पंचायत की बनी हुई है पहचान
आज भी रजवाड़ा के रूप में सोनवर्षा राज पंचायत की बनी हुई है पहचान

सहरसा। सोनवर्षाराज पंचायत कभी रजवाड़ा हुआ करता था। राजा हरिवल्लभ नारायण सिंह का महल आज भी इस पंचायत के इतिहास को दर्शाता है। एक छोटे से इलाके का राजा होने के बावजूद इन्हें सर की उपाधि से नवाजा गया था। राजा सोनवर्षा के नाम से प्रचलित सोनवर्षा राज पंचायत में स्थापित ऐतिहासिक राजमहल वैसे तो जर्जर हो चुका है। बावजूद क्षेत्र के लोगों के लिए ये प्रमुख आकर्षण का केंद्र है।

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पंचायत का परिचय

तिलाबे नदी के किनारे आधुनिक वास्तुकला, नक्काशी तथा सुर्खी चूना से निर्मित इस राजमहल की सुंदरता आज भी कम नहीं हुई है। यही वजह है कि इस ऐतिहासिक राजमहल को देखने के लिए दूरदराज से लोग आते रहते हैं। विशेषकर नववर्ष के मौके पर यहां प्रतिवर्ष पिकनिक मनाने के लिए लोग पहुंचते हैं। हालांकि वर्तमान में राजमहल के पीछे से बह रही तिलाबे नदी का कटाव राजमहल की दीवार को लील रहा है।

बताते हैं कि महाराजा हरिवल्लभ नारायण का सम्मान प्रजा के साथ - साथ अन्य राजा भी करते थे। इतना ही नहीं, महारानी विक्टोरिया ने इन्हें राजा बहादुर को खिताब से नवाजा था। अंग देश की शक्ति समाप्त होने के बाद यह मगध साम्राज्यवाद का शिकार हो गया। इसके आसपास के इलाके में मौर्य स्तंभ मिलने से यह बात प्रमाणित होता है। सोनबर्षा राज के सटे विराटपुर गांव में खुदाई के दौरान बौद्ध धर्म के कुछ स्मृतिचिह्न भी मिले थे।

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भौगोलिक स्थिति

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सोनवर्षा राज सहरसा जिले का एक प्रमुख गांव है जिसके उत्तर में सोहा और विराटपुर, दक्षिण में पड़रिया, पश्चिम में सुगमा और कोसी नदी और पूरब में देहद गांव है। पूरा गांव एक समतल उपजाऊ क्षेत्र है, लेकिन जनसंख्या का घनत्व होने के कारण इसके कुछ ही हिस्सों में खेती की जाती है। यहां की मिट्टी चिकनी और दोमट है जो धान और गेहूं फसल के लिए उपयुक्त है। यहां साल में तीन फसलें हो जाती है, परंतु कहीं-कहीं दलहन के बीच तिलहन फसल भी उगाया जाता है।

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पंचायत की समस्याएं

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हर साल कोसी नदी में आनेवाली बाढ़ की विभीषिका से भी सोनवर्षाराज के लोग जूझते हैं। प्रत्येक वर्ष कोसी की बाढ़ से गांव वाले परेशान होते हैं। कई परिवारों को बेघर होना पड़ता है। हर वर्ष लोगों की डूबने से मौत हो जाती है। इसके साथ ही बाढ़ अपने साथ महामारी भी लाती है।

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सांप्रदायिक एकता का है मिसाल

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यह स्थान सांप्रदायिक एकता की मिसाल भी पेश करता है। यहां श्मशान और कब्रिस्तान एक ही जगह है। हालांकि सुरसर नदी के कटाव की वजह से श्मशान का अस्तित्व अब खत्म हो चुका है और कब्रिस्तान का अस्तित्व मिटने की कगार पर है। स्थानीय लोगों की शिकायत के बाद भी इस दिशा में प्रशासनिक पहल नहीं हो रही है।

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धार्मिक स्थलों का रहा है केंद्र

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सोनबर्षाराज पंचायत में विभिन्न देवी देवताओं के पांच प्रमुख मंदिर हैं। इनमें से एक मां दुर्गा का विशाल प्रांगण है, जहां नवरात्र और काली पूजा में यहां भारी भीड़ जुटती है और मेले का भी आयोजन किया जाता है। इसी प्रांगण में बजरंगबली का भव्य मंदिर है। मंदिर के ऊपर टंगा ध्वज कई किलोमीटर दूर से दिखता है। मंदिर के समीप राजा के जमाने में बना एक पोखर है। हालांकि प्रशासनिक उपेक्षा और लोगों की गलती से पोखर के अस्तित्व को समाप्त कर दिया है।

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स्वास्थ्य सुविधा

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प्रखंड मुख्यालय होने के कारण सोनवर्षाराज में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र है। अस्पताल में चिकित्सक रहते हैं। जिसके कारण लोगों को इलाज में सुविधा है। वहीं यहां पशु चिकित्सालय भी है। इससे पशुपालकों को बीमार मवेशियों के इलाज में सुविधा मिलती है।

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मुखिया का दावा

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फोटो : 3एसएआर-12

पंचायत के मुखिया अंसार आलम का कहना है कि राज्य सरकार से उपलब्ध कराई गई राशि से पंचायत में विभिन्न योजनाओं के तहत विकास कार्य कराए गए हैं। पंचायत में आपसी भाईचारे को बढ़ावा देकर सांप्रदायिक सौहार्द के माहौल को कायम रखा गया है। वर्तमान में पंचायत के कुल 16 वार्डों में गली-नली योजना से गली मार्गो का पक्कीकरण कर सड़कों का जाल बिछाकर आवागमन को बेहतर किया गया है। साथ ही नाले का भी निर्माण कराया गया है। गांव में स्ट्रीट लाइट भी लगा है जिससे रात में पूरा गांव जगमग करता है। लगभग 600 पेंशनधारियों को पेंशन योजना का लाभ मिल रहा है। आवास योजना के तहत 350 भवनविहीन को आवास मुहैया कराया गया। जॉबकार्ड धारियों को रोजगार मुहैया कराई गई है। बावजूद सुंदर सोनवर्षा राज होने में अब भी कई कमियां है।

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युवाओं का सपना

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फोटो : 3एसएआर-7

पंचायत के गरीब बच्चों के भविष्य के लिए शिक्षण व्यवस्था ठीक नहीं है। उससे कही बेहतर सुविधा सरकारी विद्यालय को मिले जिससे गरीब के बच्चे भी मुकाम हासिल कर सके। पंचायत स्तर पर लघु उद्योग लगाया जाय। जिससे बेरोजगार युवाओं को रोजगार मिल पाएगा।सरफराज आलम

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फोटो : 3एसएआर-8

पंचायत स्तर पर खेल का मैदान, लाइब्रेरी की सुविधा नहीं रहने से युवाओं को काफी परेशानी होती है। युवाओं में खेल के लिए लगन होने के बावजूद उन्हें प्रतिभा को निखारने का मौका नहीं मिलता है।

ललन कुमार

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फोटो : 3एसएआर-5

पंचायत में कई अच्छे काम को अंजाम दिया गया है। विशेषकर नल जल योजना के तहत मिल रहा पानी का दुरुपयोग भी किया जा रहा है। इसे सभी लोगों को ख्याल रखना होगा।

भवेश मिश्रा

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फोटो : 3एसएआर-9

पंचायत में सभी लोगों को एकसाथ लेकर चलने में सार्थक पहल की गई है। आपसी भाईचारा एवं सौहार्दपूर्ण वातावरण रखा गया है। पंचायत में अच्छा कार्य हुआ है।

मो जहांगीर

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फोटो : 3एसएआर-10

आपसी भाईचारे के रूप में विख्यात यह स्थान हिदू-मुस्लिम के सौहार्द के लिए जाना जाता था जो अब मिटता जा रहा है। इस ओर लोगों को पहल करने की जरूरत है।

वीरेन्द्र चौधरी

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फोटो : 3 एसएआर-6

मुखिया की देखरेख में पंचायत में अच्छा कार्य हुआ है, लेकिन यहां प्रत्येक वर्ष कोशी नदी में आनेवाली बाढ़ की वजहों से कई घरों को लील जाती है जिससे कई परिवारों को बेघर होना पड़ता है।

गोपाल स्वर्णकार

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पंचायत एक नजर में

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पंचायत की आबादी - 12000

पंचायत में मतदाता- 9000

साक्षरता दर - 56 प्रतिशत

आवास की संख्या - 3000

क्षेत्रफल - 589 हेक्टयर

मुख्य व्यवसाय - किसान व कारोबारी

वार्ड की संख्या- 16

विद्यालय - 05

प्लस टू विद्यालय - 01

आंगनबाड़ी - 14

शौचालय से लाभान्वित लाभुकों की संख्या -1500

पेंशन योजना से लाभान्वित लाभुकों की संख्या- 600

आवास योजना से लाभान्वित लाभुक - 350

पंचायत सरकार भवन - नहीं

पशु चिकित्सालय की सुविधा

पीएचसी की सुविधा

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प्रमुख हस्तियां

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1. डॉ. शशिभूषण

2. अजय कुमार सिंह

3. श्रीकांत झा

4. पवन केडिया

5. सजन केडिया

6. अरुण केडिया


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