हज यात्रियों को दी गई ट्रेनिंग
सहरसा। मुसलमानों का मुकद्दस इबादत हज का समय नजदीक आते ही हज पर जाने वाले हज यात्रियों को हज की बारीक
सहरसा। मुसलमानों का मुकद्दस इबादत हज का समय नजदीक आते ही हज पर जाने वाले हज यात्रियों को हज की बारीकी एवं नबी के बताए हज के तरीकों पर अमल हो इसके सीखने और सीखने का दौर शुरू हो गया है। इसी कड़ी में अनुमंडल मुख्यालय रानी हाट मस्जिद परिसर में एकदिवसीय हज प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। इसमें सहरसा व मधेपुरा जिला के डेढ़ सौ महिला व पुरुष हज यात्रियों को हज के तरीकों का प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षक असगर अली ने हज यात्रियों को डेमो के माध्यम से हज अदा करने के एक-एक पहलू को बारीकी से बताया। इस मौके पर हज के अरकान एहराम, तवाफ, दौड़, शैतान को कंकड़ मारना एवं मुकद्दस मकामात पर पढ़ी जाने वाली दुआओं संबंध में जानकारी दी गई। मौलाना जियाउद्दीन नदवी ने बताया कि हज यात्री इन दुआओं को समय रहते याद कर लेने की नसीहत दिया। कहा हज इस्लाम का अहम फरीजा है। इसमें काफी एहतियात बरतने की जरूरत है। इसे खुलूस दिल से अदा करना चाहिए। उन्होंने हज यात्रियों को घर से रवाना होने से लेकर लौटकर आने तक के सारे मसलों और आने वाली समस्याओं के समाधान के बारे में विस्तृत जानकारी दी। इस अवसर पर मुफ्ती फैयाज ने हज के दौरान जिन चीजों से दूर रहना और बचना है उस पर विस्तार से चर्चा की। मौलाना मोजाहिरूल हक कासमी ने मदीने के आदाब पर चर्चा करते हुए कहा कि मदीना नबी का शहर है और अगर वहां बेअदबी हुई तो नबी ए पाक नाराज हो जाएंगे। इस अवसर पर इमारत ए शरिया के मुफ्ती सईदुर रहमान कासमी ने बताया कि हज और उमरा के सफर को आसान बनाने के लिए बेहतर होगा कि हज के अरकान व मसाइल को अच्छी तरह से सीख लें। उन्होंने कहा कि हज पर जाने वाले हज के बारे में विस्तार से पहले ही सीख लें जिससे कि वहां जाने के बाद इबादत में किसी प्रकार की कठिनाईयों का सामना न करना पड़े। इस अवसर पर मास्टर ट्रेनर व इमाम संघ के अध्यक्ष हाफिज मोहम्मद मुमताज रहमानी ने हज यात्रा के प्रशासनिक नियमों व सऊदी कानून और आदेशों के संबंध में विस्तार से बताया और हज यात्रियों से सरकारी नियमों का हरहाल में पालन व सम्मान का आग्रह किया। इस प्रशिक्षण कैंप में एहराम बांधने, तवाफ करने, शैतान को कंकड़ मारने, सफा मरवा पहाड़ियों के दौड़ सहित मुकद्दस स्थानों की जियारत व दुआओं आदि के बारे में जानकारी दी गई। इससे पूर्व कारी मंजर आलम के तलावत कुरान और अख्तर आलम के नाते नबी से कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। इस प्रोग्राम को कामयाब बनाने में मो. अफसर आलम, मो.अकील आलम,इकबाल आलम, नदीम आलम, मास्टर मुस्तुफा, डॉ. असरार, मुसर्रत बनो आदि का योगदान सराहनीय रहा।