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दिल से दिल मिलने के बाद बनता है परिवार: डा. अरूण

सहरसा। रविवार को को गायत्री शक्तिपीठ में शांतिकुंज हरिद्वार के संचालन में संगठन साधना सत्र का आयोजन हुआ।

By JagranEdited By: Published: Sun, 19 Sep 2021 07:17 PM (IST)Updated: Sun, 19 Sep 2021 07:17 PM (IST)
दिल से दिल मिलने के बाद बनता है परिवार: डा. अरूण
दिल से दिल मिलने के बाद बनता है परिवार: डा. अरूण

सहरसा। रविवार को को गायत्री शक्तिपीठ में शांतिकुंज, हरिद्वार के संचालन में संगठन साधना सत्र का आयोजन हुआ। इस सत्र में सहरसा उपजोन के पांच जिला से आए गायत्री परिजन उपस्थित थे। सत्र को संबोधित करते हुए डा. अरूण कुमार जायसवाल ने गुरूदेव के विचार को रखते हुए कहा उन्होंने गायत्री परिवार बनाया और कहा जब दिल- से- दिल मिलता है, तब परिवार बनता है। कहा कि जब दिमाग से दिमाग मिलता है, तो संस्था बनती है। गरुदेव ने कहा था अगर स्वार्थ और अहंकार है तो परिवार ज्यादा दिन नहीं चलता है। जितने भी सदगुण है, वह संवेदना के कोख से निकलता है। स्वार्थ और निष्ठुरता के कोख से स्वार्थ और अहंकार पैदा लेता है। उन्होंने कहा क्या हमलोग साधना करके संवेदनशील हो पाये? इस पर विचार करें यह बहुत कठिन बात है। समझदारी,साझेदारी और संवेदनशीलता से हीं परिवार चलता है। जब यह बढ़ती है तो इसका स्थान प्रेम और विश्वास लेता है। कहा कि अगर प्रेम और विश्वास की प्रगाढ़ता है तो वह परिवार को बांधे रखता है। अगर यह नही है तो परिवार क्या कोई भी संगठन नहीं चलेगा। उन्होंने कहा आज संयुक्त परिवार क्यों एकल परिवार में बदल गया । संयुक्त परिवार एक दुर्लभ घटना है। जहां प्रेम और विश्वास है वहां संयुक्त परिवार अभी भी है। कहा-अगर आप संवेदनशीलता का त्याग करते हैं, तो आप प्रकृति के साथ भी सहधर्मिकता नहीं निभाते हैं, और फिर आपको मनुष्य का ही नहीं प्रकृति का भी विरोध सहना पड़ेगा।

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कार्यक्रम के दूसरे सत्र में सहरसा उपजोन के पांचों जिला का बैठक हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ पांचों जिला के जिला संयोजक एवं ट्रस्टी द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया।

इस अवसर पर डा. अरूण कुमार जायसवाल ने सत्र का औचित्य बताते हुए कहा गुरूदेव के युगांतकारी चेतना से क्या हम जुड़ पाए। संवेदना के कारण ही सदगुण का

विकास होता है। भारत के उत्थान की शक्ति आध्यात्मिक है। गुरू ईश्वर की प्रतिमूर्ति होती है। अगर भक्ति प्रगाढ है, तो ईश्वरीय सहायता का कवच साथ है।

इस अवसर पर खगड़िया शक्तिपीठ के ट्रस्टी डा. अमोद कुमार ने कहा गुरूदेव द्वारा चलाए गए सप्तक्रांति का विशेष रूप से हमलोगों को प्रयास करना चाहिए, जिसमें नारी जागरण, पर्यावरण, वृक्षारोपण, वाल संस्कारशाला,युवा क्रांति के लिए हम सबको सामूहिक प्रयास करना चाहिए। सत्र को सुपौल के ट्रस्टी अजीत सिंह, जिला संयोजक सिद्धेश्वर जी, सहरसा शक्तिपीठ के जिला संयोजक ललन कुमार सिंह, खगड़िया युवा मंडल के अमित, सहरसा के चंदन एवं मनीषा,

ने संबोधित किया। इस अवसर पर ओमप्रकाश गुप्ता ने गायत्री परिजन के बीच औषधीय पौधा का वितरण किया।


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