Move to Jagran APP

कोसी के गुड़ से पूरे बिहार में फैलेगी मिठास

कुंदन कुमार सहरसा कोसी क्षेत्र में कहावत है कि यहां का गुड़ आगरा की रेवड़ी से भी ज्यादा गर्म और स्वादिष्ट होता है। पूर्व मे यहां से अगल-बगल के जिलों तक गुड़ भेजा जाता था।

By JagranEdited By: Published: Tue, 18 Jan 2022 06:37 PM (IST)Updated: Tue, 18 Jan 2022 06:37 PM (IST)
कोसी के गुड़ से पूरे बिहार में फैलेगी मिठास
कोसी के गुड़ से पूरे बिहार में फैलेगी मिठास

कुंदन कुमार, सहरसा: कोसी क्षेत्र में कहावत है कि यहां का गुड़ आगरा की रेवड़ी से भी ज्यादा गर्म और स्वादिष्ट होता है। पूर्व मे यहां से अगल-बगल के जिलों तक गुड़ भेजा जाता था। पहले बनमनखी चीनी मिल बंद होने और बाद में हसनपुर चीनी मिल का आवागमन बंद होने से इलाके में गन्ना उत्पादन काफी कम हो गया। इसके कारण शक्कर और गुड़ का निर्माण भी लगभग ठप हो गया, परंतु कोसी और मिथिलांचल में मकर संक्रांति, छठ, दुर्गा पूजा, होली के अलावा विभिन्न धार्मिक आयोजन इसके बिना संपन्न नहीं होता।

loksabha election banner

इस लिहाज से आज भी कमोवेश गन्ने की खेती होती है और उत्तम कोटि का गुड़ तैयार हो रहा है। राज्य सरकार द्वारा नए सिरे से गन्ना उत्पादन की रणनीति बनाए जाने और गुड़ उत्पादन को उद्योग का दर्जा दिए जाने की रणनीति से इलाके में गुड़ उत्पादन की संभावना काफी बढ़ गई है।

-----

लकड़ी पर पकने के कारण स्वादिष्ट होता है कोसी का गुड़

कोसी की दोमट मिट्टी में उत्पादित ईख से बना शक्कर व गुड़ काफी स्वादिष्ट होता है। इसकी पेराई से लेकर शक्कर बनाने तक गुणवत्ता का काफी ख्याल रखा जाता है। गन्ना के रस को इसकी ही सूखी डंठल, उपला और लकड़ी से पकाया जाता है। जबकि अन्य जगहों में इसे गैस भट्ठी से तैयार किया जाता। फलस्वरूप यह अन्य जगहों में तैयार गुड़ की अपेक्षा ज्यादा कोसी में तैयार गुड़ अत्यधिक गर्म और स्वादिष्ट हो जाता है। इस इलाके में जाड़े में प्राय: हर घरों का यह एक व्यंजन बन जाता है। जिसे छह से आठ महीने तक घर में भी आसानी से रखा जा सकता है।

------

किसानों के लिए काफी लाभकारी है गन्ना और गुड़ का धंधा

---

अपने घर पर गुड़ तैयार करने का रोजगार किसानों के लिए काफी लाभकारी है। एक एकड़ गन्ना की खेती करनेवाले किसान गुड़ का उत्पादन कर पचास से सत्तर हजार तक प्रतिवर्ष मुनाफा कमा सकते हैं।

सहरसा जिला मुख्यालय के बगल में बेंगहा, लतहा, सपटियाही बिसनपुर, रंगिनियां, भटौनी, तरियामा, सिमरी, घोड़दौड़, पहलाम, साहपुर, सहमौरा, सोहा, सहुरिया आदि गांवों में इसका काफी उत्पादन होता रहा है, परंतु, जहां खेती में पूंजी की काफी जरूरत होती है। वहीं इसका मिनी प्लांट बैठाने में भी अमूमन ढाई से तीन लाख रुपये खर्च आता है। फलस्वरूप सरकारी सहायता नहीं मिल पाने के कारण बहुत से किसान इस धंधे को अपना नहीं पा रहे हैं। नरियार के किसान माखन साह कहते हैं कि अगर सरकार से मशीन लगाने और खेती के लिए सहायता मिले तो बहुत से लोग इस रोजगार से जुड़ सकते हैं। सरकार द्वारा इसे उद्योग का दर्जा दिए जाने से किसानों को काफी लाभ होगा। भटौली रमण कुमार कहते हैं कि भाड़े की मशीन से पेराई खर्च अधिक पड़ता है। इससे अपेक्षित मुनाफा नहीं होता। अब सरकार गन्ना की खेती और गुड़ उत्पादन की रणनीति बना रही है। इससे यह इलाका काफी खुशहाल हो सकता है।

----------- इस इलाके में गन्ना उत्पादन की संभावना को देखते हुए ईख पदाधिकारी भी नियुक्ति की गई है। आनेवाले दिनों में इस क्षेत्र में बड़े पैमाने पर गुड़ का भी उत्पादन होगा। इससे इलाके के किसान काफी लाभांवित होंगे।

दिनेश प्रसाद सिंह जिला कृषि पदाधिकारी, सहरसा।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.