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कोसी की पहली महिला लोको पायलट ने सहरसा से मधेपुरा तक दौड़ाई ट्रेन

मेट्रो चलाती लड़कियां तो महानगरों में देखी जा सकती हैं लेकिन कोसी इलाके में ट्रेन चलाती लड़की को शहरवासियों ने गुरुवार को पहली बार देखा। वर्ष का अंतिम दिन सहरसा के रेल इतिहास के लिए सुखद दिन साबित हुआ क्योंकि इस दिन रेलवे को पहली महिला लोको पायलट मिली।

By Kajal KumariEdited By: Published: Fri, 01 Jan 2016 10:02 AM (IST)Updated: Fri, 01 Jan 2016 01:32 PM (IST)
कोसी की पहली महिला लोको पायलट ने सहरसा से मधेपुरा तक दौड़ाई ट्रेन

सहरसा [राजन कुमार]। मेट्रो चलाती लड़कियां तो महानगरों में देखी जा सकती हैं लेकिन कोसी इलाके में ट्रेन चलाती लड़की को शहरवासियों ने गुरुवार को पहली बार देखा। वर्ष का अंतिम दिन सहरसा के रेल इतिहास के लिए सुखद दिन साबित हुआ क्योंकि इस दिन रेलवे को पहली महिला लोको पायलट मिली।

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शहरवासी इसे नए वर्ष का तौहफा मान रहे हैं। मूलत: गया की रहने वाली पिंकी कुमारी (22) सुबह साढ़े दस बजे जब 55570 पैसेंजर ट्रेन लेकर मधेपुरा के लिए रवाना हुई तो मौजूद लोगों ने तालियां बजाकर उसका स्वागत किया।

पहली पोस्टिंग सहरसा में

सहायक लोको पायलट के रूप में ङ्क्षपकी की पहली पोङ्क्षस्टग सहरसा ही हुई है। जमालपुर रेल प्रशिक्षण केंद्र से चार माह का प्रशिक्षण लेकर ङ्क्षपकी ने 24 दिसंबर 15 को यहां योगदान दिया और 31 दिसंबर 15 को पहली पैसेंजर ट्रेन चलाने का कीर्तिमान बनाया। लोको पायलट टीके मित्रा एवं मुख्य लोको निरीक्षक अशोक कुमार उसके साथ थे। ट्रेन चलाने से पूर्व उसने बताया कि पहले इंजन के उपकरणों की जांच करनी पड़ती है।

बचपन से था ट्रेन चलाने का सपना

गया के किसान किशोरी चौधरी की सबसे बड़ी पुत्री ङ्क्षपकी को बचपन से ही ट्रेन चलाने का सपना था। दो भाई और दो बहनों में सबसे बड़ी ङ्क्षपकी पूछने पर बताती है कि वह बचपन से ही ट्रेन के इंजन को देख यह सोचती थी कि आखिर यह कैसे चलती है। बचपन का सपना सच होने पर वह काफी भावुक हो जाती है।

सपना कब सच हुआ पता नहीं चला

वह कहती है कि मेरा सपना कब सच हो गया पता ही नहीं चला। 2008 में बोर्ड की परीक्षा प्रथम श्रेणी से पास की। 2010 में इंटर और 2015 मेें ग्रेजुशन प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण की। नवादा से शिक्षा ली। 2010 से 2012 तक आइटीआइ गया से डिग्री ली। पहले प्रयास में ही सहायक लोको पायलट पद के लिए वर्ष 2014 में परीक्षा पास की।

इसके बाद 4 अगस्त 15 से 19 दिसंबर 15 तक जमालपुर में ट्रेङ्क्षनग ली। पिंकी कहती है कि सहरसा के लोग व रेलकर्मी काफी अच्छे हैं। अपने मामा इलेक्ट्रिशियन दिलीप कुमार चौधरी को प्रेरणा स्रोत मानने वाली पिंकी कहती है अगर लड़कियों में अपने लक्ष्य के प्रति लगन व ईमानदारी हो तो कोई मंजिल मुश्किल नहीं है।

समस्तीपुर मंडल की चौथी महिला लोको पायलट बनी

भारतीय रेल के इतिहास में कोसी प्रमंडल की पहली लोको पायलट पिंकी बनी है। हालांकि पूर्व-मध्य रेल समस्तीपुर मंडल की यह चौथी महिला लोको पायलट है। इससे पहले तीन लड़कियां ट्रेन चला रही हैं। वे पूसा, बेगूसराय व नालंदा की रहनेवाली हैं। रेल सूत्रों की मानें तो गया की तीन लड़कियां अभी लोको पायलट की ट्रेनिंग ले रही हैं।

मुख्य क्रू नियंत्रक ने कहा-

सहरसा के लिए यह नए साल का गिफ्ट है। पिंकी कोसी की पहली लोको पायलट बनी है। वह लड़कियों के लिए प्रेरणा स्रोत है। अभी मधेपुरा और थरबिटिया रेल खंड पर वह ट्रेन चलाएगी।

- सतीश चंद्र झा, मुख्य क्रू नियंत्रक


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