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यहां सबकुछ का है जुगाड़, सड़कों पर चल रहा कबाड़

जासं सहरसा जब सबकुछ का जुगाड़ है जिससे कबाड़ बन चुकी गाड़ियां भी सड़कों पर दौड़ती

By JagranEdited By: Published: Thu, 26 Nov 2020 12:16 AM (IST)Updated: Thu, 26 Nov 2020 12:16 AM (IST)
यहां सबकुछ का है जुगाड़, सड़कों पर चल रहा कबाड़
यहां सबकुछ का है जुगाड़, सड़कों पर चल रहा कबाड़

जासं, सहरसा: जब सबकुछ का जुगाड़ है, जिससे कबाड़ बन चुकी गाड़ियां भी सड़कों पर दौड़ती नजर आती हैं। ऐसी गाड़ियों की रफ्तार भी कम नहीं होती है। सवारी की बात तो छोड़ ही दीजिए। जिस कारण वाहन या तो किसी को रौंद देता है या फिर सवार यात्रियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है।

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ओवरलोड चलता है मालवाहक वाहन

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यात्री वाहन तो ओवरलोड चल ही रहा है, लेकिन मालवाहक वाहन भी ओवरलोड में कम नहीं रहता है। यात्री वाहन पर जहां छत पर बैठे लोग नजर आते हैं। वहीं टेंपो व अन्य छोटी वाहनों में लोग इधर-उधर लटके रहते हैं। वैसे, कभी-कभार चेकिग हो जाती है परंतु वाहनों के फिटनेस सिस्टम के साथ रहने पर बन जाता है और सरकारी खजाने से अधिक सिस्टम की जेबें भर जाती है। वैसे जो वाहन मालिक जुगाड़ करने में फिट नहीं बैठते हैं उसे सिस्टम अनफिट भी कर देती है। और भारी भरकम जुर्माना की वसूली भी करती है।

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वाहनों में नहीं रहता है रिफ्लेक्टर

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यात्री वाहन हो या मालवाहक वाहन इनमें से करीब 95 फीसद वाहन में रिफ्लेक्टर नहीं रहता है। फॉग लाइट भी कई वाहनों में नजर नहीं आते हैं। सड़कों पर दौड़ने वाले वाहनों के अंदर यात्री सुविधा के नाम पर कुछ भी नहीं रहता है। अग्निशमन संयंत्र तो कई वाहनों में दिखते ही नहीं हैं। सीटों की ऐसी स्थिति रहती है कि कुछ घंटे बैठना पड़े तो कमर टेढ़ी हो जाती है। जबकि वाहनों से निकलने वाले धुएं वाहनों की स्थिति को बयां करती है।

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यातायात पुलिस की है कमी

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शहरी क्षेत्र में यातायात व्यवस्था दुरुस्त रखने को लेकर कुछ प्रमुख चौक-चौराहों पर यातायात पुलिस की तैनाती तो की गई है। परंतु इसमें अधिकांश गृहरक्षक हैं। जिन्हें न तो यातायात की जानकारी है और न ही प्रशिक्षण दिया गया है। बस ड्यूटी में लगा दिया गया। वैसे यातायात पुलिस जाम के दौरान कुछ हद तक कार्य कर जाम हटाने की कोशिश जरूर करती है।

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प्रभार में चलता है विभाग

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यहां परिवहन विभाग कई माह से प्रभार में चल रहा है। कभी जिला परिवहन पदाधिकारी का प्रभारी वरीय उपसमाहर्ता के पास तो कभी मधेपुरा के डीटीओ के पास तो कभी डीडीसी के पास रहता है। एमवीआइ की बात करें तो एक एमवीआइ को दो जिले का जिम्मा है। वैसे, एक परिवहन पदाधिकारी की पदस्थापना हुई है लेकिन उन्होंने अभी तक पदभार नहीं लिया है।


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