धान खरीद में गड़बड़ी की अब तक नहीं शुरू हुई जांच
जासं सहरसा जिले में फसल क्षतिपूर्ति व धान खरीद को लेकर बड़े पैमाने पर गड़बड़ी सामने आ र
जासं, सहरसा : जिले में फसल क्षतिपूर्ति व धान खरीद को लेकर बड़े पैमाने पर गड़बड़ी सामने आ रही है। अधिकांश स्थानों पर फसल क्षतिपूर्ति मामले में किसान सलाहकार की भूमिका पर किसान व पंचायत प्रतिनिधि अंगुली उठा रहे हैं। बावजूद मामले की जांच नहीं हो रही है। ऐसा ही एक मामला महिषी प्रखंड के वीरगांव पंचायत का है।
यहां फसल क्षतिपूर्ति की राशि का दावा करने वाले किसान भी पैक्स में धान बेच रहे हैं। पिता के नाम से अलग व पुत्र से नाम से अलग फसल क्षतिपूर्ति का दावा किया गया है।। हद यह कि इनलोगों द्वारा पैक्स में धान भी बेचा गया। यह सब तब हो रहा जबकि मामले को लेकर पंचायत के लोगों ने विभागीय अधिकारी को आवेदन देकर शिकायत की है। अधिकारियों द्वारा जांच कराने का आश्वासन दिया गया परंतु मामले की जांच को लेकर आज तक कोई कागजी कार्रवाई नहीं की गयी है।
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अतिवृष्टि से बर्बाद हुई सात हेक्टेयर भूमि में लगी फसल
----- जिले में लगभग 85 हजार हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि है। इसमें वर्ष 2021 में 67 हजार हेक्टेयर में धान की खेती की गयी। मौसम अनुकूल दिख रहा था लेकिन मई के महीने से ही सूबे के अन्य जिलों की तरह यहां बारिश शुरू हो गयी। अतिवृष्टि के कारण जिले में धान की फसल को व्यापक क्षति हुई। विभाग ने सात हजार हेक्टेयर भूमि में धान के बर्बादी की रिपोर्ट सरकार को भेजी।
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बाढ़ में बर्बाद हुई 38 हजार हेक्टेयर भूमि पर लगी फसल
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बारिश से जिन किसानों की धान बच गयी थी उसकी बर्बादी बाढ़ ने कर दी। इस बार आयी बाढ़ ने तटबंध के अंदर व बाहर दोनों तरफ अपना कहर मचाया। तटबंध के बाहर सीपेज के जमा पानी में फसल डूबी रह गयी। इससे फसल बर्बाद हो गयी। बाढ़ में फसल के बर्बादी का कृषि विभाग द्वारा कराए गये सर्वे में 38 हजार 581 हेक्टेयर में लगी फसल के नुकसान की रिपोर्ट की गयी।
इस मामले को लेकर डीसीओ शिवशंकर कुमार ने जांच की बात कही थी। यहां तक कि संबंधित पदाधिकारी का नाम तक बताया। बावजूद इसके जांच आज तक शुरू नहीं हो पायी है। वहीं जिला कृषि पदाधिकारी दिनेश प्रसाद सिंह ने बताया कि मामला संज्ञान में है। कोरोना के कारण जांच शुरू नहीं हो पायी है। जल्द इसकी जांच करवायी जाएगी।