पूर्व रेल मंत्री ललित नारायण मिश्र ने किया था सहरसा कचहरी का नामकरण
सहरसा। शहर के उत्तर स्थित सहरसा कचहरी का का नामकरण पूर्व रेल मंत्री स्व. ललित नारायण
सहरसा। शहर के उत्तर स्थित सहरसा कचहरी का का नामकरण पूर्व रेल मंत्री स्व. ललित नारायण मिश्र ने किया था। 1970 में ही सहरसा कचहरी के ठीक आगे कांग्रेस कार्यालय में बैठक के दौरान लोगों ने तत्कालीन रेल मंत्री को ट्रेन पकड़ने के लिए करीब दो किमी पैदल चलकर सहरसा स्टेशन जाने की समस्या से अवगत कराया। इसी पर तत्क्षण ही रेल मंत्री के रूप में उन्होंने उसी समय फारबिसगंज जानेवाली पैसेंजर ट्रेन को यहां रूकवाया और सहरसा कचहरी हॉल्ट का नामकरण किया।
स्थानीय लोग बनारसी यादव, मोदियाइन, दिलेश्वर पौद्दार, राम प्रसाद साह आदि ने बताया कि करीब छह दशक पुराना सहरसा कचहरी का इतिहास है। कोसी प्रोजेक्ट और सहरसा कचहरी होने के कारण यहां दूर दराज के लोग आते थे और रेल पटरी किनारे ही रूकते थे। पुराने लोगों में शामिल मोती ¨सह सहित कई अन्य लोग इस बाजार के गवाह हैं। लेकिन कोसी प्रोजेक्ट परियोजना बंद होने के बाद से ही इस बाजार की रौनक कम होने लगी। बिस्कोमान भी 1980 के दशक में खुला और करीब एक दशक से यह बिस्कोमान बंद हो गया। बिस्कोमान में कोसी प्रमंडल के तीनों जिलों से दूर-दूर से किसान आते थे और बिस्कोमान में आलू का भंडारण करते थे। सहरसा कचहरी पर प्रतिदिन हजारों लोगों की आवाजाही थी। जिस कारण यहां एक बाजार बस गया। वहीं कुसहा त्रासदी के बाद वर्ष 2008 में ही छोटी रेल सेवा बाधित होने के बाद इस रेल खंड में वर्ष 2016 से रेल सेवा पूरी तरह बंद हो गयी। जिस कारण लोगों की आवाजाही में कमी आयी है।
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शिवपुरी में वर्षों से हटिया की है परंपरा
सहरसा कहचरी से ही सटे शिवपुरी ढाला पर रेल परिसर में ही वर्षों से हटिया लगाने की परम्परा कायम है। वर्ष 1960 के दशक से ही यहां हाट लगाने की परंपरा कायम है। शहरी क्षेत्र में यह पहला स्थान है जहां ग्रामीण स्तर पर हाट लगता है। ग्रामीण क्षेत्र से आसपास से लोग हटिया पहुंचते हैं। मंगलवार और शुक्रवार को सप्ताह में दो दिन यहां हटिया लगता है। जहां लोगों को मशाला से लेकर सभी जरूरत की चीजें हटिया में मिल जाती है। -छोटी रेल लाइन बंद होने के बाद से ही यहां का व्यवसाय पूरी तरह प्रभावित हुआ है। आमान परिवर्तन के नाम पर रेल प्रशासन इस रेल खंड में रेल सेवा पूरी तरह ठप किए हुए है। रेल पटरी बिछायी गयी है। लेकिन काम धीमी गति से हो रहा है। इस वर्ष भी यह रेल खंड चालू हो पाएगा कि नहीं कहना मुश्किल है।
विद्यासागर कुमार - रैक प्वाइंट के कारण हर हमेशा यहां जाम की स्थिति उत्पन्न रहती है। एक तो धूल के कारण चारों ओर वातावरण दूषित हो जाता है। वहीं हर हमेशा दुर्घटना की आशंका बनी रहती है। लोग भी अब बाजार आने से कतराने लगे हैं।
प्रभाष कुमार - शाम होते ही यहां असामाजिक तत्वों का जमावाड़ा लगने लगता है। शाम के समय में यत्र-तत्र खड़ी भीड़ को लेकर बाजार का व्यवसाय प्रभावित होता है। इसीलिए जन हित में यहां पुलिस पिकेट की स्थापना जरूरी है। वहीं इस रोड की साफ सफाई नहीं होने से यह बाजार प्रशासनिक उपेक्षा का शिकार हो गया है।
कन्हैया यादव -सहसा कचहरी स्थित सड़कों की वर्षों से मरम्मत नहीं की गयी है। सड़क जर्जर है। सड़क में जगह-जगह गड्ढे बन गए हैं। जल निकासी की कोई समुचित व्यवस्था नहीं है। लोगों को नारकीय जीवन में रहना मजबूरी बनी हुई है।
रामप्रसाद साह