चतुर्थवर्गीय कर्मी करते हैं यहां मरहम पट्टी
सहरसा। लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के लिए भले ही राज्य सरकार ईमानदार प्रयास कर रही हो परंतु आज भी समुचित स्वास्थ्य सुविधा के लाभ से ग्रामीण क्षेत्र के लोग महरूम हैं।
सहरसा। लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के लिए भले ही राज्य सरकार ईमानदार प्रयास कर रही हो, परंतु आज भी समुचित स्वास्थ्य सुविधा के लाभ से ग्रामीण क्षेत्र के लोग महरूम हैं।
शुक्रवार को सोनवर्षाराज पीएचसी की दैनिक जागरण की पड़ताल में यह बातें साफ हो गई। 20 बिस्तरों वाले इस पीएचसी में प्रसव कक्ष के बरामदे पर बनाए गए स्लैब पर एक महिला मरीज को स्लाइन चढ़ाया जा रहा था। दूसरी तरफ जांच घर में जलजमाव होने से कीचड़ की स्थिति बनी हुई थी। यही वजह थी कि कर्मी जांच घर की जगह दवा वितरण कक्ष में बैठ मरीज के आने के इंतजार कर रहे थे।
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मात्र नौ चिकित्सक के भरोसे हैं
चार लाख की आबादी
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सोनवर्षाराज मुख्यालय स्थित पीएचसी की स्थापना वर्ष 1952 में किए जाने के बाद विभिन्न पंचायतों में उपस्वास्थ्य केंद्रों की स्थापना की गई। ताकि लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराई जा सके लेकिन विभिन्न पंचायतों में चल रहे अधिकांश उपस्वास्थ्य केंद्र बंद ही रहते हैं। प्रखंड क्षेत्र के अलावा सीमावर्ती क्षेत्र बनमा इटहरी के करीब दो लाख की आबादी को स्वास्थ्य सेवा देने के लिए यहां मात्र नौ चिकित्सक पदस्थापित हैं जिसमें एमबीबीएस तीन, आयुष पांच तथा आरबीएस के एक चिकित्सक हैं।
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ड्रेसर और कंपाउंडर का पद है खाली
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पीएचसी में ए ग्रेड नर्स, कंपाउंडर के अलावा ड्रेसर का पद वर्षों से खाली पड़ा है। ऐसे में पीएचसी पहुंचने वाले मरीजों की मरहम पट्टी चतुर्थवर्गीय कर्मचारियों के भरोसे रहती है। पीएचसी पहुंचने वाले मरीजों को प्राथमिक उपचार के बाद जिला स्थित सदर अस्पताल रेफर कर दिया जाता है। ओपीडी के आंकड़े बताते हैं कि लगभग 100 मरीज अपने इलाज कराने यहां पहुंचते हैं जिसमें अधिकांश प्रसव कराने पहुंचते हैं।
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जलजमाव की है समस्या
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पीएचसी में जलनिकासी की बेहतर व्यवस्था नहीं होने से बारिश के दिनों में इमरजेंसी सेवा, जांच घर से लेकर प्रसव कक्ष तक में पानी जमा हो जाता है। परिसर के बाहर भी जलजमाव के कारण मरीजों का पीएचसी तक पहुंचना भी कष्टदायक रहता है।
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क्या कहते हैं मरीज
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अरसी गांव के निवासी तेतरी देवी ने बताया कि गुरुवार की रात अपनी गोतनी को लेकर पहुंची थी। जहां इलाज के नाम पर एक सुई लगाई गई है। कुछ दवा बाहर से लानी पड़ी।
साहपुर नवटोलिया गांव निवासी सूची देवी ने बताया कि रात में आई थी आने के बाद सिर्फ बेड दिया गया। सुबह में दवा व सुई देने के साथ नाश्ते में दूध, केला व ब्रैड भी मिला है।
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क्या कहते हैं अधिकारी
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प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डा. लक्ष्मण कुमार ने कहा कि उपलब्ध संसाधनों में लोगों को बेहतर चिकित्सा सुविधा मुहैया कराई जा रही है। जिन संसाधनों की कमी है उसे भी जल्द ही दूर कर लिया जाएगा। साफ सफाई के लिए सभी कर्मी को बुलाकर निर्देश दिया गया है सफाई को लेकर कोताही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
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