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कोरोनाकाल ने बढ़ाया बच्चों के दिल का छेद

सहरसा। कोरोना ने जहां लोगों के लाइफ स्टाइल को बदल दिया है। वहीं इससे जिले के करीब एक दर्जन बच्चों के दिल में छेद की समस्या गहरा गई है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 02 Jun 2021 05:39 PM (IST)Updated: Wed, 02 Jun 2021 07:28 PM (IST)
कोरोनाकाल ने बढ़ाया
बच्चों के दिल का छेद
कोरोनाकाल ने बढ़ाया बच्चों के दिल का छेद

सहरसा। कोरोना ने जहां लोगों के लाइफ स्टाइल को बदल दिया है। वहीं इससे जिले के करीब एक दर्जन से अधिक बच्चों के दिल का छेद बड़ा कर दिया है। दरअसल बाल हृदय योजना के तहत इन बच्चों का इलाज होना था, परंतु कोरोनाकाल इनके इलाज में रोड़ा बन गया है।

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हेल्थ चेकअप के दौरान मिले बच्चे

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राष्ट्रीय बाल सुरक्षा कार्यक्रम के तहत स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों पर बच्चों का हेल्थ चेकअप किया जाता है। इसी दौरान करीब डेढ़ दर्जन बच्चे ऐसे मिले जिन्हें दिल में छेद था, जिनका इलाज शुरू किया गया और पटना आइजीएमएस भेजा गया। वहां डॉक्टरों की टीम ने जांच के बाद ऑपरेशन की जरूरत बताई, लेकिन आर्थिक रूप से कमजोर अभिभावक ऑपरेशन के नाम पर ही डर गये। इसके बाद सरकार द्वारा चलाई जा रही बाल हृदय योजना में इन बच्चों को शामिल किया गया और इन बच्चों का बारी-बारी से आपॅरेशन होने लगा और बच्चे ठीक होने लगे, लेकिन, इनदिनों पीड़ित बच्चों को इलाज के लिए नहीं भेजा जा सका।

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साक्षी और मुमताज का हुआ इलाज :

गंगजला के निवासी रामू कुमार की दो वर्ष की पुत्री को दिल में छेद था। चेकअप के बाद बीमारी पहचान में आई तो इन्हें इलाज के लिए बिहार सरकार के खर्च पर अहमदाबाद भेजा गया जहां से ऑपरेशन के बाद 14 अप्रैल 21 को स्वस्थ्य होकर लौट आई। सौरबाजार के निवासी मो. रिजवान के पुत्र मुमताज के भी दिल में छेद था। उसका भी सरकारी खर्च पर इलाज हुआ। अब वे स्वस्थ है।

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बच्चों को बनी है सूची

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दिल के छेद से ग्रसित बच्चों की सूची बनाकर उसके इलाज के लिए भेजने की कार्रवाई चल रही थी। लेकिन, कोरोना के कारण पिछले तीन माह से इन्हें इलाज के लिए नहीं भेजा जा सका जिसके कारण इन बच्चों का दिल का छेद बढ़ने लगा है। कहरा प्रखंड के बलहा गढि़या के एक बच्चे को पिछले माह ही भेजा जाना था। लेकिन, उसे नहीं भेजा जा सका।

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जिन बच्चों के दिल में छेद है, उनकी पहचान कर ली गई है। बारी-बारी से इलाज के लिए भेजा जा रहा है। कोरोना के कारण कुछ कार्य प्रभावित हुआ है लेकिन एक बच्चे को जल्द ही भेजा जाएगा। जिले में ऐसे बच्चों की संख्या एक दर्जन है जिनमें से छह का इलाज हो चुका है।

डॉ. संजय कुमार शर्मा, जिला समन्वयक, राष्ट्रीय बाल सुरक्षा योजना, सहरसा।


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