शुद्धिकरण के लिए जरूरी है सामूहिक अनुष्ठान: डा. अरूण
सहरसा। गुरूवार को गायत्री शक्तिपीठ में शारदीय नवरात्र के प्रथम दिन आदि शक्ति मां शैलपुत्री का पूजन के साथ-साथ कलश स्थापित किया गया। इस अवसर पर डा. अरूण कुमार जायसवाल ने कहा कि 2019 के शारदीय नवरात्र के बाद पहली बार शक्तिपीठ में सामूहिक अनुष्ठान हो रहा है। जीवन के शुद्धिकरण के लिए सामूहिक अनुष्ठान जरूरी है।
सहरसा। गुरूवार को गायत्री शक्तिपीठ में शारदीय नवरात्र के प्रथम दिन आदि शक्ति मां शैलपुत्री का पूजन के साथ-साथ कलश स्थापित किया गया। इस अवसर पर डा. अरूण कुमार जायसवाल ने कहा कि 2019 के शारदीय नवरात्र के बाद पहली बार शक्तिपीठ में सामूहिक अनुष्ठान हो रहा है। जीवन के शुद्धिकरण के लिए सामूहिक अनुष्ठान जरूरी है।
उन्होंने नवरात्र के संबंध में कहा कि वर्ष में चार नवरात्र होते हैं। दो प्रत्यक्ष और दो गुप्त रूप में होते हैं। आश्विन मास में जो नवरात्र होता है उसे शारदीय नवरात्रि और चैत्र मास की नवरात्र को वासंतिक नवरात्र कहा जाता हैं। बसंत पंचमी और गंगा दशहरा के समय जो नवरात्र होती है उसे गुप्त नवरात्रि कहते हैं। बताया कि साधना के मर्म को आप समझें-जीवन हमारा शुद्ध और पवित्र हो जाए इसलिए हम सामूहिक अनुष्ठान किया जाता है। इन दिनों हमलोग शक्ति का संचय और संरक्षण करते हैं, लेकिन शक्ति विवेक के बिना संहारक हो जाती है। यदि समृद्धि में विवेक न हों तो धन विलासिता में खर्च होती है। ज्ञान में विवेक हो तो हम अज्ञानियों के भी कपाट खोल देंगे। कहा कि गायत्री मंत्र के जप से विवेक आता है तथा आदि शक्ति गायत्री माता प्राण का त्राण करती है। प्राणबल, मनोबल बढ़ाती है। प्राण ऊर्जा से हम अपनी भावना को संभालते हैं। उन्होंने आदि शक्ति के प्रथम स्वरूप मां शैलपुत्री के
के संबंध में कहा यदि तन स्थिर और मन शांत हिमालय की तरह हो तो माता शैलपुत्री हमारे जीवन में ऊर्जा के रूप में आएगी। इस अवसर पर, लगभग पांच सौ से अधिक परिजनों ने चौबीस हजार गायत्री महामंत्र जप लघु अनुष्ठान का सामूहिक रूप से संकल्प लिया,जिसकी पूर्णाहुति 14 अक्टूबर को की जाएगी।