कल जहां बसती थी आबादी, आज वहां बहता पानी
सहरसा। केदली पंचायत के छतवन गांव का अस्तित्व मिटा गया। कोशी के कहर ने इस गांव का इतिहास ि
सहरसा। केदली पंचायत के छतवन गांव का अस्तित्व मिटा गया। कोशी के कहर ने इस गांव का इतिहास मिटा दिया। छतवन गांव के लगभग एक सवा ह•ार लोगों को विस्थापित करने के बाद नदी का रूख थमा नहीं है। स्थिति यह है कि कल तक जहां आबादी बसती थी आज वहां नदी बह रही है।द्ध छतवन सामुदायिक भवन पहले ही नदी में समा चुका है। मंगलवार की रात छतवन का मस्जिद भी नदी के गाल में समा गया।
कोशी तेजी से कटाव कर रही है। आमजनों के आशियाने के साथ ही इबादत से जुड़े स्थल को भी कोसी अपने कोप से दूर नहीं होने देना चाहती। मस्जिद के आसपास बसे मोहम्मद मूसा, मोहम्मद जफीर, मोहम्मद इंतियाज समेत कई लोगों का परिवार को कटाव ने बेघर कर दिया। छतवन बकुनियां पथ हाल ही में बना पुल कोसी की धारा के दबाव को नहीं सह सका। पुल की दीवार जहां-तहां दरक गयी और कुछ भाग टूट कर नदी में बह गयी। झरवा के मो. मनचुन ने बताया कि कोसी पानी उतरने के बाद भी इस पथ पर आवागमन मुश्किल होगा। मंगलवार की रात इस कदर नदी वेग में थी कि 32 घरों को अपने साथ बहा ले गई छतवन के विलास मुखिया और जनार्दन यादव इसी साल जनवरी महीने में दिल्ली और पंजाब में मजदूरी कर बेटों द्वारा की गई कमाई से मिट्टी भराई कर अपना आशियाना खड़ा किया था। उसे उम्मीद थी कि उसके घर की ऊंचाई कोसी नदी नहीं लांघ सकेगी। उसकी उम्मीद पर नदी के बढ़ते जलस्तर ने पानी फेर दिया और कटनियां ने उनके अरमानों का गला घोंट दिया। शाहपुर पंचायत के रामजी टोला निवासी सत्तो पंजियार भी नदी के खौफ से अपना परिवार लेकर बाहर आ गए हैं।
मिट गया सामाजिक सौहार्द का केंद्र
असई केदली के शिक्षक लक्ष्मी साह ने बताया कि सामाजिक सौहार्द मिसाल रहा छतवन समाप्त हो गया। यहां बड़ी संख्या में मुस्लिम और हिन्दू सम्प्रदाय के लोग रहा करते थे। पूर्वी कोसी तटबंध चन्द्रायण डिविजन के कार्यपालक अभियंता ने बताया कि रसलपुर, कुन्दह, नारायणपुर गांव को बचाने के लिए सुरक्षात्मक कार्य करवाए जा रहे हैं। अंचलाधिकारी सफी अख्तर ने बताया कि उन्हें भी छतवन मिट जाने का रिपोर्ट प्राप्त हुआ है। स्थलीय जांच कर प्रभावित परिवारों को सरकारी स्तर पर दी जाने वाली मुआवजा शीघ्र दी जाएगी।