कोसी में बाढ़, कटाव, मौत व बर्बादी
सहरसा। बाढ़, कटाव, मौत व बर्बादी की। वर्ष 2008 की कुशहा त्रासदी के बाद ऐसी तस्वीर नहीं दिखी
सहरसा। बाढ़, कटाव, मौत व बर्बादी की। वर्ष 2008 की कुशहा त्रासदी के बाद ऐसी तस्वीर नहीं दिखी थी। पर इस बार तो कोसी कहर बन टूटी। हहाती कोशी में लोगों के सपने डूबे, अपनों के अरमान बह गये। लोगों के आशियाने तिनका बन आंखों के सामने बह गये। अब बाढ़ का पानी धीरे-धीरे उतर रहा है तो बर्बादी का मंजर भी साफ होता जा रहा है। कल तक जिस फसल को देख किसानों का सीना फूलता था आज उसे देख वो अपना कलेजा पीट रहे हैं। सलखुआ, नवहट्टा व महिषी में बाढ़ के कारण लगभग दस करोड़ की क्षति का अनुमान लगाया जा रहा है।
कई सालों बाद तटबंध के अंदर रहने वालों ने बर्बादी का यह रंग देखा। बीते एक पखवारे में कोसी की अट्टहास करती लहरों में पौने दो सौ मकान बह गये। इस बार कोसी ने तबाही कुछ यूं मचायी कि महलों में रहने वालों को एक अदद छत के लिए तरसना पड़ रहा है। सलखुआ प्रखंड के उटेसरा व गोदरह पंचायत के बगेवा गांव में पांच दर्जन से अधिक फूस, ईंट व खपरैल के मकान कट गये। इस दौरान के पेट में ऊपजाउ जमीन भी समा गयी। इसी प्रखंड के चानन के डेंगराही में एक दर्जन घर कोसी की भेंट चढ़ गये। टेंगराहा में आधा दर्जन घर कटाव की शिकार हुए। कोसी का कहर यहीं नहीं थमा। महिषी के आठ पंचायतों में बाढ़ के कारण फसल तबाह हो गयी। इस प्रखंड में लगभग तीन दर्जन घर या तो गिर गये अथवा कोसी की तेज धारा में कट गये। नवहट्टा प्रखंड के छतवन में दो दर्जन, डरहार में 13, हाटी में 30, बिरजाइन 07, रामजी टोला में 3 व असई में चार घर नदी में समा गये।
बगेवा गांव के रहने वाले मिथिलेश यादव, लक्ष्मी यादव, नारायण यादव, राजेंद्र यादव बताते हैं कि कटाव को भेंट उनके आशियाने चढ़ गये। उनका घर एसबेस्टस का था। किसानी ठीक-ठाक चल रही थी। अचानक कोसी मैया की बुरी नजर लगी और पल भर में वो राजा से रंक बन गये। गांधी यादव, सूर्य नारायण यादव, दिनेश यादव बताते हैं कि पूरे इलाके की खेती बर्बाद हो गयी। कहीं भी खेती नहीं बची। दूसरी ओर नवहट्टा के असई निवासी महेंद्र शर्मा बताते हैं कि धान की पूरी फसल चौपट गयी।
------प्रभावित फसल
---नवहट्टा 2999 हेक्टेयर
महिषी 3405 हेक्टेयर
सिमरीबख्तियारपुर 1093 हेक्टेयर
सलखुआ 2455 हेक्टेयर