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कटाव पीड़ितों की नहीं ली किसी ने सुधि

फोटो : 17एसएआर-15 कैप्शन : संसू, सलखुआ सहरसा: सहरसा। प्रखंड के पूर्वी कोसी तटबंध के भ

By Edited By: Published: Mon, 18 Jul 2016 03:02 AM (IST)Updated: Mon, 18 Jul 2016 03:02 AM (IST)
कटाव पीड़ितों की नहीं ली किसी ने सुधि

फोटो : 17एसएआर-15

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कैप्शन :

संसू, सलखुआ सहरसा:

सहरसा। प्रखंड के पूर्वी कोसी तटबंध के भीतर कोसी नदी के किनारे बसे अलानी पंचायत के बेंगहा, लताही, जागीर मुसहरी, उटेसरा पंचायत के पिपरा-बगेवा समेत अन्य गांव के कटाव से विस्थापित लोगों की दशा पिछले 5-6 वर्षों से जस की तस है। न तो इनके लिए कोई तारणहार है और न ही कोई रहनुमा जो इनके जख्मों पर मरहम लगा सके। नतीजा यह है कि सैकड़ों जिन्दगी पूर्वी कोसी तटबंध के किनारे व तटबंध पर और विभिन्न स्पर बांधों पर खानाबदोश की तरह जीवन-यापन कर रहे हैं। इन दिनों लागातार हो रहि बारिश से कटाव पीड़ित परिवारों की मुश्किलें काफी बढ़ गई है। तीन-चार दिनों से जारी बारिश ने कटाव पीड़ित के साथ-साथ कोशी नदी के कछार पर बसे परिवारों की परेशानी बढ़ा दी है।

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बगेवा गांव पर कटाव का खतरा तेज

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पूर्वी कोसी तटबंध के भीतर कोशी नदी के समीप बसे बगेवा गांव पर कोशी की नजर लग गई है। पिछले कई दिनों से कोसी के कटाव शुरू हो चुका है। कटाव से कई घर नदी में विलीन होने से पीड़ित परिवार उंचे स्थान की तलाश में पलायन करने लगे हैं। एक सप्ताह पूर्व करीब आधा दर्जन से अधिक घर कटाव की भेंट चढ़ गया था।

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कहते हैं कटाव पीड़ित

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कटाव पीड़ित रामचन्द्र यादव, मनोज यादव, उमेश चौधरी, पंकज यादव आदि ने बताया कि चुनाव के समय में नेता जी को हमलोगों का गांव याद आता है, लेकिन चुनाव के बाद भूल जाते हैं। यह कुछ नया थोड़े ही है। विस्थापितों ने कई चुनाव को देखा है और लगभग उतने ही प्रतिनिधियों को भी झेला है किन्तु नतीजा शून्य। आज भी तटबंध पर व तटबंध के किनारे भीषण बारिश हो या शीतलहर हो या जेठ की दुपहरी इनके जिन्दगी की गाड़ी इसी तरह चलती रही है। लगभग पांच-छह वर्ष पूर्व अलानी पंचायत के अलानी, बेंगहा-लताही व जागीर महादलित टोले एवं दो दशक पूर्व चानन पंचायत के डेंगराही एवं एक वर्ष पूर्व से ही उटेसरा पंचायत के पिपरा-बगेवा, कमरा डीह, मियांजागीर एवं गोरीडीह गांव पर अचानक हुए विनाशकारी कोशी नदी के कटाव ने उनका घर द्वार छीन लिया था। देखते ही देखते इन गांवों को पूरी तरह लील गई थी।


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