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डर कोरोना का, जान जा रही पानी से

सहरसा। वर्तमान समय में कोरोना का डर लोगों को जहां परेशान कर रहा है। वहीं इस इलाके मे

By JagranEdited By: Published: Mon, 03 Aug 2020 04:58 PM (IST)Updated: Mon, 03 Aug 2020 04:58 PM (IST)
डर कोरोना का, जान जा रही पानी से
डर कोरोना का, जान जा रही पानी से

सहरसा। वर्तमान समय में कोरोना का डर लोगों को जहां परेशान कर रहा है। वहीं इस इलाके में कोरोना से नहीं पानी और सांप के डंसने से मौत हो रही है। आंकड़े बताते हैं कि कोरोना से जहां पिछले पांच माह में मात्र एक लोगों की मौत हुई है। वहीं पानी में ड़ूबने से मात्र एक सप्ताह में 31 मौतें हो चुकी है। जबकि सर्पदंश से चार लोगों की जान चली गई। यही नहीं कोरोना काल में ठनका और सड़क दुर्घटना में भी कई मौतें हो चुकी है।

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गढ्डे में भी डूब रहे हैं लोग

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बाढ़ का पानी कई इलाकों में फैलने से जहां लोग आवागमन या शौच के दौरान लुढ़क जाने से पानी में गिरकर अपनी जान गंवा रहे हैं। वहीं बच्चों की मौत भी खूब हो रही है। एक सप्ताह में हुई मौत पर गौर करें तो 26 जुलाई को पतरघट प्रखंड के धबौली पश्चिम पंचायत में स्नान करने गये दो किशोर शिवम और दिलखुश की मौत डूबने से हो गई। 27 को महिषी प्रखंड के तेलवा पश्चिमी पंचायत में पिपरपांती निवासी मो. शहदाद की मौत डूबकर हो गई। वैसे स्वजनों ने शव का पोस्टमार्टम नहीं कराया। 28 जुलाई को बलवाहाट ओपी के बेलाटोल निवासी विपिन यादव की पुत्री की, सिमरीबख्तियारपुर नगर पंचायत के बस्ती निवासी दिलखुश आलम की, भटौनी के चांदनी कुमारी की, सोमनी देवी की मौत डूबने से हो गई। इसी तरह बनमा में गड्ढे में डूबने से किशोर मो. शहजाद की मौत हो गई। 29 को बलवाहाट ओपी में डूबने से एक किशोर की मौत हो गई। 30 को पतरघट ओपी के जम्हरा पंचायत में पुलिया के समीप स्नान कर रहे मो. शाहिल की मौत हो गई। 31 को काशनगर ओपी के अरसी गांव में युवक पंकज कुमार की मौत डूबने से हो गई। एक अगस्त को पतरघट के सुरमाहा में नदी पार करने के दौरान डूबने से आदर्श कुमार की, महिषी के भेलाही में सलीम, इम्तियाज व साकिब की मौत हुई। दो अगस्त को को भी पतरघट में ही डूबने से प्रीति कुमारी की, नवहट़्टा में नाव से कटिग पार करने के दौरान मनीष की, बनाम में दो वृद्ध् की, खम्हौती में एक बच्चे की मौत हो गई।

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हर साल डूबने और सर्पदंश

से जाती है जानें :

सरकारी आंकड़ों पर गौर करें तो पिछले तीन वर्ष में पानी में डूबने से जिले में 171 लोगों व सर्पदंश से 16 लोगों की मौत हुई है। तीन साल में सर्वाधिक 2019- 20 में 74 लोगों की मौत हुई थी। जबकि वर्ष 2018- 19 में 59 की मौत हुई और चालू वित्तीय वर्ष में अबतक 50 लोगों की मौत हुई हो चुकी है। इन आंकड़ों से इतर कई ऐसे लोग भी हैं जो डूबने या सर्पदंश के बाद पोस्टमार्टम नहीं कराते हैं। जिस कारण उनका नाम सरकारी आंकड़ों में शामिल नहीं हो पाता है। जिस कारण कई को मुआवजा भी नहीं मिल पाता है।

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सर्पदंश में जल्द नहीं मिलता है मुआवजा

आपदा प्रबंधन अनुदान के लिए मात्र 12 आवेदन लंबित हैं। जबकि लगभग डेढ़ दर्जन लोगों का रिपोर्ट अंचल स्तर पर लंबित है। विभागीय अधिकारी का कहना है कि वर्ष 2017 के बाद मानक के अनुसार बाढ़ के पानी में डूबकर गत वर्ष एक लोगों की मौत हुई। जबकि शेष सभी की डूबकर विभिन्न गड्ढे तालाब में हुई है जिसमें अधिकांश बच्चे ही शामिल होते हैं। परंतु बाढ़ की अवधि रहने के कारण आपदा अधिनियम के तहत इन सभी लोगों को चार लाख का अनुदान दिया जाता है। सर्पदंश में भी इसका प्रावधान है। इसके अनुरूप भुगतान भी किया जा रहा है।

जानकारी के अनुसार, बाढ़ के समय भी सर्पदंश से मौत होने पर अंचल कार्यालय द्वारा कोई- न कोई नुस्खा लगा दिया है, जिससे कई लोगों को लाभ नहीं मिल पाता है। दो दिन पूर्व सिरवार-वीरवार में एक व्यक्ति की सर्पदंश से मौत हो गई, परंतु उसका पोस्टमार्टम भी नहीं करवाने दिया गया। इस तरह कई लोग अनुदान की सुविधा से वंचित भी हो जाते हैं।

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कोट

अंचलों से प्राकृतिक आपदा से मौत की रिपोर्ट आने पर भुगतान में कोई विलंब नहीं किया जाता है।

राजेंद्र दास, जिला आपदा प्रबंधन पदाधिकारी, सहरसा


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