रोज डूबकर मर रहे लोग, सरकार की नजर में आई ही नहीं बाढ़
सहरसा। कोसी तटबंध में रह- रहकर आ रहे उफान के कारण जिले के लगभग 50 पंचायत और 230
सहरसा। कोसी तटबंध में रह- रहकर आ रहे उफान के कारण जिले के लगभग 50 पंचायत और 230 गांवों में पानी पसरा हुआ है। रविवार को जिला प्रशासन द्वारा भेजे गए अद्यतन रिपोर्ट में भी दो लाख 96 हजार 320 लोगों के प्रभावित होने की पुष्टि की गई है।
जिले में प्रतिदिन लोग डूबकर और सर्पदंश से मौत के मुंह में जा रहे हैं। इसके बावजूद सरकार की अभी तक इस मामले में नजरें इनायत नहीं हुई है। कोसी और बलान के संपर्क से ही जिले के उत्तर में अवस्थित सुपौल और दक्षिण में अवस्थित खगड़िया जिला बाढ़ग्रस्त घोषित हो चुका है, परंतु आश्चर्यजनक तरीके से इन दोनों के बीच में सहरसा को सरकार स्तर से बाढ़ग्रस्त घोषित किए जाने की औपचारिक प्रक्रिया पूरी नहीं हुई। जिससे जिले के बाढ़ पीड़ित सभी सुविधाओं से वंचित हो रहे हैं। जबकि जिले के लगभग चार लाख लोग बुरी तरह प्रभावित है। लोगों के घरों में पानी है, चूल्हा-चौकी डूबा हुआ है।
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तटबंध के अंदर पूर्ण रूप से प्रभावित है ढाई सौ से अधिक गांव
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जिला प्रशासन द्वारा हर दिन अंचलाधिकारियों के माध्यम से बाढ़ प्रभावित गांवों की समीक्षा कर रिपोर्ट भेजी जा रही है। हर दिन प्रभावितों का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है। धरातल की सच्चाई यह है कि नवहट्टा प्रखंड का सात पंचायत, महिषी का छह, सिमरीबख्तियारपुर का 12, सलखुआ का सभी 11 और बनमा इटहरी का सभी सात पंचायत पूर्ण बाढ़ प्रभावित है। इसके अलावा आठ पंचायत आंशिक रूप से प्रभावित है। जिला प्रशासन ने 28 जुलाई तक इसे प्रभावित माना ही नहीं। मीडिया में काफी हायतौबा मचने के बाद डीएम ने जब रिपोर्ट मांगा तो 29 जुलाई से प्रभावितों की सूचना आने लगी। हर दिन यह आंकड़ा बढ़ता जा रहा है। जिला प्रशासन की रिपोर्ट के अनुसार शनिवार तक प्रभावित लोगों की संख्या एक लाख 75 हजार 300 थी, जिसमें रविवार को एक लाख 21 हजार 20 का इजाफा हुआ अर्थात रविवार की शाम तक की रिपोर्ट में दो लाख 96 हजार 320 प्रभावित लोगों की संख्या दर्ज की गई। यह आंकड़ा हर दिन बढ़ता जा रहा है। जिले में बाढ़ की पानी के कारण 47 हजार 647 हेक्टेयर फसल प्रभावित होने की सूचना भी सरकार को भेजी गई है। परंतु, प्रशासन ने अबतक पीड़ितों के बीच कुछ 9631 पॉलिथीन सीट और कुछ पशुचारा का वितरण कर परिस्थिति का आकलन करने में ही जुटी है। पीड़ितों को सुविधा के नाम पर महज 17 सरकारी और 147 निजी नाव मिला है।
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जिला प्रशासन द्वारा हर बिंदू पर प्रतिदिन रिपोर्ट सरकार को भेजी जा रही है। पॉलिथीन सीट पशुचारा आदि का भी वितरण हो रहा है। लोगों के आवागमन के लिए पर्याप्त नाव की व्यवस्था की गई है। बाढ़ आश्रय स्थलों को भी विशेष परिस्थिति के लिए तैयार रखा गया है। अन्य निर्णय सरकार स्तर से ही लिया जा सकता है।
राजेन्द्र दास, आपदा प्रबंधन पदाधिकारी, सहरसा।