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बढ़ती रही पूर्वी तटबंध की ऊंचाई, स्पर रह गए बौने

सहरसा। कोसी नदी की बाढ़ से सुरक्षा के लिए 1964 में कोसी तटबंध निर्माण पूरा किया गया। समय-समय पर जरूरत के अनुसार इसकी ऊंचाई भी बढ़ाई गई परंतु तटबंध को सुरक्षा प्रदान करने वाले स्पर की ऊंचाई बढ़ाने में दिलचस्पी नहीं लेने के कारण आज स्पर खेतों में बने मेड़ से अधिक नहीं दिखते। सहरसा। कोसी नदी की बाढ़ से सुरक्षा के लिए 1964 में कोसी तटबंध निर्माण पूरा किया गया। समय-समय पर जरूरत के अनुसार इसकी ऊंचाई भी बढ़ाई गई परंतु तटबंध को सुरक्षा प्रदान करने वाले स्पर की ऊंचाई बढ़ाने में दिलचस्पी नहीं लेने के कारण आज स्पर खेतों में बने मेड़ से अधिक नहीं दिखते।

By JagranEdited By: Published: Thu, 02 Sep 2021 05:22 PM (IST)Updated: Thu, 02 Sep 2021 05:22 PM (IST)
बढ़ती रही पूर्वी तटबंध की 
ऊंचाई, स्पर रह गए बौने
बढ़ती रही पूर्वी तटबंध की ऊंचाई, स्पर रह गए बौने

सहरसा। कोसी नदी की बाढ़ से सुरक्षा के लिए 1964 में कोसी तटबंध निर्माण पूरा किया गया। समय-समय पर जरूरत के अनुसार इसकी ऊंचाई भी बढ़ाई गई परंतु तटबंध को सुरक्षा प्रदान करने वाले स्पर की ऊंचाई बढ़ाने में दिलचस्पी नहीं लेने के कारण आज स्पर खेतों में बने मेड़ से अधिक नहीं दिखते। यही कारण है कि समय-समय पर कोसी इन स्परों पर हमला बोलती है और तटबंध की सुरक्षा को लेकर हाय-तौबा मचती है। विभागीय अधिकारी व विशेषज्ञ भी मानते हैं कि कोसी की धारा जिस स्थान पर दबाव बनाती रही वहां स्पर का निर्माण कर लिया गया।

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छह से सात फीट नीचे है स्पर

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वर्तमान में सुपौल ,चन्द्रायण एवं कोपरिया डिवीजन में छोटे-बड़े करीब 146 स्पर बने हुए हैं। जिनमें से अधिकांश स्पर पूर्वी तटबंध से छह से सात फीट नीचे है। कुछ स्परों को ऊंचा किया गया तो उसके परिणाम सकारात्मक दिख रहे हैं और वहां तटबंध पर नदी का दबाव घटा है।

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98 किमी विदु पर स्पर पर जारी है हमला

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पूर्वी कोसी तटबंध के 98 किमी विदु पर बने स्पर पर फिलहाल कोसी का हमला जारी है। बीते एक सप्ताह से स्पर को बचाने के लिए विभाग दिन-रात एक किये हुए है। इस स्पर के कटने के बाद कोसी के कछार पर बने बाबा कारू खिरहरि मंदिर पर कटाव का खतरा बढ़ जाएगा।

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तटबंध की सुरक्षा के लिए स्पर का बड़ा है महत्व

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तटबंध की सुरक्षा के लिए स्पर की महत्ता को इसी बात से समझा जा सकता है कि 1984 में नवहट्टा में मोहनपुर के समीप अवस्थित 71 कि.मी. के स्पर को कटाव से बचाने अभियंता की असफलता के बाद पांच सितम्बर की रात नौ बजे पूर्वी तटबंध टूट गया था। वर्ष 2008 में स्पर कटने के बाद हुए कुसहा हादसा को कोसी के लोग कभी नहीं भूल सकते हैं।

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पूर्वी तटबंध पर बने स्पर

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विभागीय अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार पूर्वी तटबंध के सुपौल डिवीजन में तटबंध के 46 कि.मी. से 83 कि.मी. के बीच छोटे- बड़े 74 स्पर मौजूद हैं। वहीं चन्द्रायण डिवीजन के 84 कि.मी. से 104 कि.मी. के बीच 49 स्पर मौजूद हैं। जबकि कोपरिया डिवीजन के 105 कि.मी. से 122.20 कि.मी. के बीच 23 स्पर मौजूद हैं।

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किन-किन स्परों को किया गया ऊंचा

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जानकारी अनुसार पूर्वी तटबंध के 70.30 कि.मी. पर अवस्थित स्पर की ऊंचाई बढाई गयी। इसके अलावा 72 कि.मी. ,83.05 कि.मी. ,83.40 कि.मी. ,84 कि.मी. 88.99 कि.मी. एवं 92.74 कि.मी. पर अवस्थित स्पर की ऊंचाई बढ़ाकर पूर्वी तटबंध के बराबर किया गया। इसके अतिरिक्त भी सुपौल डिवीजन के कुछेक स्पर को बढ़ाया गया है। जबकि कोपरिया डिवीजन में एक भी स्पर की ऊंचाई नहीं बढ़ाई गई।

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कहते हैं विशेषज्ञ

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कोसी नदी के विशेषज्ञ सह कोसी प्रोजेक्ट के सेवानिवृत अभियंता दिनेश मिश्र ने बताया कि कोसी तटबंध की ऊंचाई निर्माण काल में 18 फीट रखी गई थी परंतु 1984 में नवहट्टा हादसा के बाद पूर्वी तटबंध को छह फीट और ऊंचा किया गया। 2008 में कुसहा त्रासदी बाद भी पूर्वी तटबंध की ऊंचाई बढ़ाई गई। वहीं इस दौरान स्परों को ऊंचा नहीं किया गया। 1967 में आईआईटी खड़गपुर द्वारा जो सर्वे करवाया गया था उसके अनुसार नदी में आने वाले गाद से नदी की तलहट्टी में प्रतिवर्ष महिषी से कोपरिया के बीच करीब पांच इंच की दर से वृद्धि होती चली गई। लिहाजा कोसी नदी जल अधिग्रहण क्षमता आठ लाख क्यूसेक से घटकर चार लाख क्यूसेक तक रह गयी और तटबंध पर बने स्पर की ऊंचाई नहीं बढ़ने से अब वो खेत की मेड़ की तरह रह गयी है।

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कब हुआ कोसी तटबंध का निर्माण

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14 जनवरी 1955 को आधी रोटी खाएंगे ,कोसी तटबंध बनाएंगे के नारों के बीच बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्रीकृष्ण सिंह ने सुपौल के निर्मली में पश्चिमी तटबंध निर्माण की शुरूआत की थी। जबकि 22 मार्च 1955 को सुपौल के बैरिया गांव के समीप देश के प्रथम राष्ट्रपति डा.राजेन्द्र प्रसाद ने पूर्वी तटबंध निर्माण की शुरूआत की थी। वैसे तो तटबंध का निर्माण 1959 में लगभग पूरा कर लिया गया था परंतु पूर्वी तटबंध को महिषी से 33 कि.मी. बढ़ाकर कोपरिया तक 126 कि.मी. और पश्चिमी तटबंध की लंबाई को भंथी से चार कि.मी. बढ़ाकर घोंघेपर तक 54 कि.मी. किए जाने से तटबंध का निर्माण काम 1964 में आकर पूरा हो सका।


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