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आरटीई की हो रही अनदेखी, नौनिहाल संभाल रहे कारोबार

संसू नवहट्टा (सहरसा) शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू होने के 11 वर्ष बीतने के बाद भी सरजमीं पर इसका असर नहीं दिख रहा है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 18 May 2022 05:38 PM (IST)Updated: Wed, 18 May 2022 08:44 PM (IST)
आरटीई की हो रही अनदेखी,  नौनिहाल संभाल रहे कारोबार
आरटीई की हो रही अनदेखी, नौनिहाल संभाल रहे कारोबार

संसू, नवहट्टा (सहरसा): शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू होने के 11 वर्ष बीतने के बाद भी सरजमीं पर इसका असर नहीं दिख रहा है। सरकारी और निजी स्कूल में बुनियादी सुविधाओं का अभाव है, वहीं स्कूल में बच्चे की शत-प्रतिशत उपस्थिति नहीं हो पा रही है। डीएम के सख्ती के बाद शिक्षकों की उपस्थिति के बावजूद छात्रों की उपस्थिति कम ही रहती है।

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स्कूल छोड़ बच्चे संभाल रहे हैं दुकानदारी

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स्कूल छोड़कर बच्चे अपने माता-पिता की दुकानदारी एवं खेतीबाड़ी में हाथ बंटा रहे हैं। अभिभावक बच्चे को विद्यालय भेजने की अपनी जिम्मेवारी से हटकर अपने घरेलू काम एवं कारोबार में बच्चे को शामिल किए हुए हैं। ग्रामीण हाट हो या बाजार दुकान पर बच्चे दिख जाते हैं। प्रखंड मुख्यालय बाजार में फल सब्जी पान आदि की दुकान पर बच्चे ग्राहक की सेवा में जुटे रहते हैं।

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विभाग बना है उदासीन

बच्चों की विद्यालय में शत-प्रतिशत उपस्थिति सुनिश्चित कराने के प्रति शिक्षा और अन्य विभाग उदासीन बना हुआ है। बाजार में दुकानदारी और कारोबार संभाल रहे बच्चों पर नजर अधिकारियों की पड़ती है लेकिन उसे रोकने की जहमत कोई नहीं उठाता। विद्यालय शिक्षा समिति के सदस्य व अधिकारी स्कूल भेजने के प्रति अभिभावकों को जागरूक नहीं कर पाते हैं।

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क्या है आरटीई अधिनियम

यह अधिनियम छह से 14 साल की उम्र के हरेक बच्चे को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार है। संविधान के 86वें संशोधन द्वारा शिक्षा के अधिकार को प्रभावी बनाया गया है। सरकारी स्कूल सभी बच्चों को मुफ्त शिक्षा उपलब्ध कराएंगे और स्कूलों का प्रबंधन स्कूल प्रबंध समितियां, विद्यालय शिक्षा समिति, विद्यालय प्रबंधन समिति आदि संभालेंगे।

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कोट

विद्यालय में बच्चों की उपस्थिति के लिए शिक्षकों, अभिभावकों एवं जनप्रतिनिधियों की भूमिका तय की जाएगी।

सत्य प्रकाश सिंह,

प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी, नवहट्टा

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डीएम ने शुरू की पहल

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बीते दिनों पूर्वी कोसी तटबंध के डरहार पंचायत के निरीक्षण के दौरान डीएम आनंद शर्मा की नजर सब्जी की दुकान संभाल रहे बच्चे पर पड़ी थी। उन्होंने अपना प्रशासनिक काफिला रोककर बच्चे से स्कूल नहीं जाने का कारण पूछा। उनके अभिभावक के बारे में पूछताछ की तथा अगल-बगल के दुकानदारों को कहा कि बच्चे को स्कूल नहीं भेजना कानूनी अपराध है। बच्चे के भविष्य संवारने के लिए शिक्षा पाना आवश्यक है। जिलाधिकारी आनंद शर्मा ने बताया कि आज शिक्षक स्कूल पहुंच रहे हैं। अब अभिभावकों, जनप्रतिनिधियों, वार्ड पार्षदों, स्कूल प्रबंधन समितियों के सदस्यों का दायित्व है कि बच्चों को स्कूल तक पहुंचाएं। एक भी बच्चा स्कूल से बाहर है तो यह दूसरे जिले और राज्यों को अच्छा मैसेज नहीं देगा। सभी लोगों का यह कर्तव्य है कि बच्चे पढ़ें और जीवन में आगे बढ़ें।


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