कोरोना से बचाव के लिए वैक्सीन जरूरी: डॉ. हिना
सहरसा। शहर के प्रसिद्ध स्त्री और प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. हिना शमीम फारूकी कहती हैं कि क
सहरसा। शहर के प्रसिद्ध स्त्री और प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. हिना शमीम फारूकी कहती हैं कि कोरोना से बचाव के लिए वैक्सीन आवश्यक है। गर्भवती महिलाओं के लिए अभी भारत सरकार ने अधिकृत नहीं किया है लेकिन स्तनपान करा रही महिलाएं अवश्य वैक्सीन लें। कोरोना की चपेट में सभी उम्र के लोग हैं। गर्भवतीं हो या फिर स्तनपान करा रही महिलाएं, कोई भी कोरोना से अछूती नहीं रहीं। हालांकि गर्भवतियों को अन्य स्वस्थ व्यस्कों की तुलना में कोरोना संक्रमण की अधिक संभावना नहीं रहती बल्कि मोटे तौर पर दो-तिहाई गर्भवतियों में कोरोना के कोई लक्षण भी नहीं होते हैं।
डॉक्टर का कहना है कि कोरोना वायरस होने पर हल्के सर्दी या फ्लू जैसे लक्षण रहता है, लेकिन तीसरी तिमाही 28 सप्ताह से अधिक गर्भ में गैर-गर्भवती की तुलना में गर्भवती में गंभीर रूप से अस्वस्थ होने का खतरा बढ़ जाता है। संक्रमित गर्भवती महिलाओं में समय से पहले जन्म देने का जोखिम प्रीटर्म लेबर भी दो से तीन गुणा बढ़ जाता है। इसीलिए गर्भवती महिलाओं को सुरक्षित और विशेष सतर्क रहना चाहिए। दो गज की शारीरिक दूरी बनाएं रखें। साबुन से बार-बार हाथ धोते रहें। थ्री प्लाई सर्जिकल मास्क का उपयोग करें और यथासंभव घर में भी करें। हल्के लक्षण होने पर भी कोरोना की जांच कराना चाहिए और संक्रमण की हालत में घर में आइसोलेशन में कम से कम दस दिनों तक रहना चाहिए। गायनॉकोलोजिस्ट डॉ. हिना ने कहा कि गर्भावस्था में रक्त थक्का बनने की संभावना बढ़ी रहती है। ऐसे में जोखिम को कम करने के लिए घर में चलते फिरते रहें और शरीर में पानी की मात्रा कम नहीं होने दें। नियमित हल्के व्यायाम, स्वस्थ संतुलित आहार के साथ आयरन, कैल्सियम की गोली के अलावा विटामिन डी अवश्य लेना चाहिए। अधिकांश लोग सामान्य फ्लू से जल्दी ठीक हो जाते हैं। बुखार, खांसी थकान और सांसों में तकलीफ जैसे फ्लू के लक्षण कोरोना से मिलते जुलते है। एक ही समय मं सामान्य फ्लू और कोरोना से संक्रमण संभव है और गर्भवती महिलाओं में गंभीरता को बढ़ा सकता है। मामूली दवाइयों से ठीक नहीं होने या लक्षण बिगड़ने की स्थिति में तुरंत चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए क्योंकि यह अधिक गंभीर संक्रमण की निशानी हो सकती है।