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संत लक्ष्मीनाथ गोसाई के कृतियों को सहेजकर रखने की जरूरत : मंत्री

सहरसा। शहर के राजेंद्र मिश्र महाविद्यालय के प्रशाल में मैथिली विभाग के तत्वावधान में साहित्य अकादमी नई दिल्ली और कला एवं संस्कृति विभाग के सहयोग से संत परमहंस लक्ष्मीनाथ गोसई आ मैथिलीक संत साहित्य विषय पर संगोष्ठी एवं तिरूहता लिपि एवं मिथिलाक्षर पर कार्यशाला का प्रारंभ हुआ।

By JagranEdited By: Published: Thu, 23 Sep 2021 07:32 PM (IST)Updated: Thu, 23 Sep 2021 07:32 PM (IST)
संत लक्ष्मीनाथ गोसाई के कृतियों को  
सहेजकर रखने की जरूरत : मंत्री
संत लक्ष्मीनाथ गोसाई के कृतियों को सहेजकर रखने की जरूरत : मंत्री

सहरसा। शहर के राजेंद्र मिश्र महाविद्यालय के प्रशाल में मैथिली विभाग के तत्वावधान में साहित्य अकादमी नई दिल्ली और कला एवं संस्कृति विभाग के सहयोग से 'संत परमहंस लक्ष्मीनाथ गोसई आ मैथिलीक संत साहित्य' विषय पर संगोष्ठी एवं तिरूहता लिपि एवं मिथिलाक्षर पर कार्यशाला का प्रारंभ हुआ। दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन राज्य के कला, संस्कृति एवं युवा मंत्री डा. आलोक रंजन ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए मंत्री ने संत परमहंस को साईं बाबा के समकक्ष संत बताया। जिनके दरबार में सारी मनोकामना की पूर्ति होती है। बाबा लक्ष्मीनाथ गोसाई की पूजा को कोसी क्षेत्र ही नहीं पूरे बिहार व पड़ोसी देश नेपाल में भी इनके श्रद्धालु आज भी है। उन्होंने परमहंस संत लक्ष्मीनाथ गोसाई के समाज व राष्ट्र हित में किए गए योगदानों की चर्चा करते हुये कहा कि उनके लिखित भजन सहित अन्य कृतियों को सहेजने की जरूरत है।

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इससे पहले मंत्री सहित बीएनएमयू के कुलपति प्रो. डा आर के पी रमण, प्रतिकुलपति प्रो डा आभा सिंह, साहित्य अकादमी के मैथिली परामर्शदात्री समिति के संयोजक अशोक अविचल, प्रधानाचार्य प्रो अरूण कुमार खा, एवं आयोजन समिति के संयोजक डा रामचैतन्य धीरज के द्वारा संयुक्त रूप से पंडित अमरेन्द्र मिश्र की प्रतिमा का अनावरण किया गया। मंच का संचालन समाजशास्त्र विभाग के डा. अक्षय कुमार चौधरी द्वारा किया गया। विद्वानों की सभा को मंचासीन लोगों द्वारा संबोधित किया गया। इस अवसर पर एक स्मारिका 'सर्वा' का लोकार्पण किया गया। मंच से झंझारपुर के सेवानिवृत्त प्रो डा. खुशीलाल झा एवं आयोजन समिति के संयोजक डा. रामचैतन्य धीरज के मैथिली भाषाक वैचारिक अस्मिता पुस्तक का लोकार्पण भी हुआ। कुलपति प्रो. आरकेपी रमण ने लक्ष्मीनाथ के साहित्य पर नये शोध की आवश्यकता बतायी। प्रधानाध्यापक सह आयोजन समिति अध्यक्ष डा. अरूण कुमार खां ने लक्ष्मीनाथ परमहंस को एक अवतारी पुरुष बताया। जिनका प्रादुर्भाव विरले होता है। उन्होंने अतिथियों का स्वागत किया। दूसरे सत्र में डा. नारायण झा, डा. अशोक कुमार मिश्रा, डा. नरेश झा, डा. अतुलेश्वर झा ने अपने अपने शोध पत्र को प्रस्तुत किया। आयोजन में एम एल टी कालेज के प्रधानाचार्य देवनारायण साह, एस एन एस आर के एस कॉलेज के प्रधानाचार्य प्रो. अशोक कुमार सिंह, आर जे एम कालेज के प्रधानाचार्य डा. सूर्यमणि कुमार, आर एन एम कालेज के प्रधानाचार्य डा. अमरेन्द्र कुमार त्रिवेदी, आर एम कालेज के सेवानिवृत्त शिक्षक शैलेन्द्र मिश्र, प्रो मिथिलानंद झा, डा. प्रकाश चन्द्र झा, महिला कालेज की डा. अंजना पाठक, प्रेमलता कालेज के पूर्व प्रधानाचार्य दिलीप कुमार मिश्र, डा. कुलानंद झा, प्रो अमरनाथ चौधरी, डा. ललित ना. मिश्र, इन्द्रकांत झा, मोहिनी मोहन खां, डा. शैलेश्वर प्रसाद, अरविद कुमार नीरज, डा. कविता कुमारी, सुप्रिया कश्यप, शुभ्रा पाण्डेय, डा. डेजी, डा. रेणु कुमारी, आलोक कुमार झा, विलो राम, डा. लीना कुमारी, रमा कुमारी, हरित कृष्ण, हीरा कुमारी, सुमित कुमार झा, श्वेता शरण वंदना कुमारी, डा. बिजली प्रकाश आदि मौजूद थी।


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