सामुदायिक शौचालय की बदहाली नगर परिषद की स्वच्छता पर लगा रहा ग्रहण
रोहतास बुनियादी सुविधा के अभाव में शहर के सामुदायिक शौचालय की हालत बदहाल हो गई है।
रोहतास : बुनियादी सुविधा के अभाव में शहर के सामुदायिक शौचालय की हालत बदहाल हो गई है। खुले में शौच से मुक्ति को शहर के स्लम एरिया में तीन वर्ष पूर्व आधा दर्जन सामुदायिक शौचालय का निर्माण किया गया था। पानी व बिजली की व्यवस्था नही होने से सभी बेकार पड़े है। कुछ के तो शेड व दरवाजे तक अराजक तत्वों की भेंट चढ़ गए। देश में पहले स्थान आने वाले इंदौर को ओडीएफ के मामले में डबल प्लस का दर्जा मिला है। लोगो मे चर्चा है कि हमारे शहर को इस दूरी को तय करने में लंबा समय लगेगा।
स्लम एरिया में बने हैं आधा दर्जन शौचालय
सरकारी भूमि पर बसे लोगों को खुले से शौच से मुक्ति को ले नप ने उन क्षेत्रों में सामुदायिक शौचालय का निर्माण कराया था। उसमें पानी व विद्युत बिजली की व्यवस्था कर स्थानीय लोगो को उसकी चाबी सौपी जानी थी। सरकारी भूमि पर बसे लोगो को घर घर शौचालय बनाना संभव नही था, इस कारण डीएम के निर्देश पर उन क्षेत्रों में सामुदायिक शौचालय बनाने का निर्देश दिया था।
कई शौचालय चढ़ गया अराजक तत्वों की भेंट
वार्ड संख्या 38 तारबंगला आरा मशीन के समीप नगर परिषद द्वारा सामुदायिक शौचालय का निर्माण कराया गया था। जहां वार्ड संख्या 38 तारबंगला एवं वार्ड संख्या 35, 36 बारह पत्थर नहर पर निवास करने वाले गरीबों व अजा समुदाय को ध्यान में रखते हुए इसका निर्माण किया गया। शौचालय बनने के कुछ महीनों बाद ही अराजक तत्व शौचालय की ईट, दरवाजा ,एस्बेस्टस, चापाकल व शौचालय की सीट उखाड़ कर ले भागे। अब इसकी स्थिति बदहाल हो गई। ऐसे में खासकर बारह पत्थर की महिलाएं व बहुत सारे लोग आरा मशीन के समीप नहर किनारे खुले में शौच करने जाने को मजबूर हैं। खंडहर बन गया सामुदायिक शौचालय
खंडहर में तब्दील होने के चलते सामुदायिक शौचालय प्रयोग में भी नहीं लिया जा रहा है। ऐसे में खुले में शौच मुक्त बनाने के सरकार के तमाम प्रयास यहां असफल साबित हो रहे हैं। आधी आबादी समेत अन्य लोग खुले में शौच को विवश है। चालू शौचालय में भी गंदगी के चलते जाने से कतराते हैं लोग
शहर में स्टेशन रोड, ईदगाह कब्रिस्तान व एनीकट में तीन सार्वजनिक शौचालय है। जिसका संचालन एक एनजीओ करता है। इसकी देखरेख को उनके कर्मी भी तैनात है। साफ सफाई की बेहतर व्यवस्था नही होने से यहां लोग जाने से कतराते है। मजबूरी में कुछ लोग इसका उपयोग करते है। नप प्रशासन ने यहां डबल डेकर शौचालय की योजना बनाई है, जो अभी ठंडे बस्ते में पड़ा है ।