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कूड़ेदान बना रोहतास के मोथा गांव का सोई जलाशय, प्रशासन अनजान

सासाराम। सरकार अमृत महोत्सव व जल जीवन हरियाली के तहत जल स्त्रोतों के जीर्णोद्धार के लिए जहां काफी रुपये खर्च कर रही है वहीं प्रखंड के मोथा गांव स्थित सोई जलाशय कूड़ेदान बन कर अपना अस्तित्व खो रहा है। गांव के 40 से अधिक घरों के कूड़ा-कचरा व मुर्गा के अवशिष्ट जलाशय में प्रतिदिन डाले जा रहे हैं। वहां तक जाने वाले रास्ता समेत सोई का कुछ भाग कूड़ा-कचरा से पूरी तरह भर दिया गया है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 17 May 2022 11:20 PM (IST)Updated: Tue, 17 May 2022 11:20 PM (IST)
कूड़ेदान बना रोहतास के मोथा गांव का सोई जलाशय, प्रशासन अनजान
कूड़ेदान बना रोहतास के मोथा गांव का सोई जलाशय, प्रशासन अनजान

सासाराम। सरकार अमृत महोत्सव व जल जीवन हरियाली के तहत जल स्त्रोतों के जीर्णोद्धार के लिए जहां काफी रुपये खर्च कर रही है, वहीं प्रखंड के मोथा गांव स्थित सोई जलाशय कूड़ेदान बन कर अपना अस्तित्व खो रहा है। गांव के 40 से अधिक घरों के कूड़ा-कचरा व मुर्गा के अवशिष्ट जलाशय में प्रतिदिन डाले जा रहे हैं। वहां तक जाने वाले रास्ता समेत सोई का कुछ भाग कूड़ा-कचरा से पूरी तरह भर दिया गया है। ग्रामीणों का आरोप है कि संबंधित अधिकारियों से शिकायत के बावजूद अब तक कोई पहल नहीं किया गया।

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ग्रामीण चंद्रदेव पांडेय, कन्हैया सिंह, बिशेंद्र यादव, रामजी महतो आदि के अनुसार करीब नौ हजार आबादी वाले इस गांव में जलाशय के नाम पर एक मात्र यह सोई पोखरा ही है, जिसके बदौलत ढाई सौ एकड़ से अधिक खेतों की सिचाई होती है। बरसात के दिनों में बाहरी पानी का दबाव बढ़ जाने से खरीफ फसल का नुकसान भी होता है। किसान अपनी फसलों का नुकसान झेल कर भी भविष्य के लिए उसे आबाद रखना चाहते हैं। ताकि बाद में जरूरत पर उनकी फसलों की सिचाई हो सके, भूजल स्तर बरकरार रहे। 12 वर्ष पहले हुई थी उड़ाही :

लगभग 12 वर्ष पहले जब सोई मिट्टी से भर गया था, तब ग्रामीण रामानंद सिंह ने उसकी उड़ाही अपने स्तर से करवाया था। उन दिनों 14 दिनों तक सोई में जेसीबी चलती रही। उसके बाद खोदाई कराने की बात तो दूर स्थानीय प्रशासन उसके बचाव के लिए भी कोई कदम नहीं उठा रहा है। कूड़ा फेंकने से ग्रामीणों में आक्रोश:

सोई के पास स्थित खेत वाले किसानों में कूड़ा फेंकने को लेकर काफी आक्रोश है। इनका कहना है कि किसी दिन यह बड़े विवाद का कारण बन सकता है। आसपास के घरों की महिलाएं उसमें पालीथिन, थैला, फटा- पुराना कपड़ा, अंडे व मुर्गे के अवशिष्ट व अन्य कचरा फेंक देती हैं। ग्रामीणों के अनुसार जलाशयों को बरकरार रखने और उनके सौंदर्यीकरण के प्रति सरकार गंभीर है। इसके लिए अमृत महोत्सव और जल जीवन हरियाली को महत्वपूर्ण योजना मान करोड़ों रुपये खर्च कर रही है। बावजूद स्थानीय प्रशासन की चुप्पी समझ से परे है। कहते हैं सीओ :

जलाशय को अतिक्रमित नहीं होने दिया जाएगा। कूड़ा डालने वालों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाएगी। 19 मई को कुरुर में अतिक्रमण कर बनाया गया घर तोड़ने के बाद मोथा के पोखरा में कूड़ा फेंकने वालों को चिह्नित कर उन पर कार्रवाई शुरू कर दी जाएगी।

अमरेश कुमार, सीओ


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