वैश्वीकरण का प्रभाव व भारत विषय पर सेमिनार का आयोजन
वैश्वीकरण को विदेशी व्यापार व निवेश के माध्यम से देशों के तेजी से एकीकरण की प्रक्रिया के रूप में परिभाषित किया गया है। महिला कॉलेज के अर्थशास्त्र विभाग द्वारा बुधवार को वैश्वीकरण का प्रभाव व भारत विषय पर सेमिनार को संबोधित करते हुए अर्थशास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ. प्रसिद्ध कुमार सिंह ने यह बातें कही।
संवाद सहयोगी, डेहरी ऑनसोन : रोहतास। वैश्वीकरण को विदेशी व्यापार व निवेश के माध्यम से देशों के तेजी से एकीकरण की प्रक्रिया के रूप में परिभाषित किया गया है। महिला कॉलेज के अर्थशास्त्र विभाग द्वारा बुधवार को वैश्वीकरण का प्रभाव व भारत विषय पर सेमिनार को संबोधित करते हुए अर्थशास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ. प्रसिद्ध कुमार सिंह ने यह बातें कही। उन्होंने कहा कि वैश्विक आर्थिक मंदी के दौर में भारत की अर्थव्यवस्था के संभले रहने की पीछे की वजह ग्रामीण अर्थव्यवस्था का मजबूत होना है। विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले भारत की हाल की समृद्धि तथा इसका विकास हमारे समय की अत्यंत उल्लेखनीय सफलताओं में से एक है। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद से भारत के कृषि क्षेत्र में अभूतपूर्व क्रांति आई है।
उन्होंने कहा कि पिछले कुछ दशकों में पूंजी बाधाओं में एक सामान्य कमी आई है, जिससे विभिन्न अर्थव्यवस्थाओं के बीच पूंजी का प्रवाह आसान हो जाता है। इसने वैश्विक अंतर संबंधों को बढ़ाया है। उन्होंने कहा कि विकसित देश व्यापार को उदार बनाने के लिए विकासशील देशों को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं। अपने घरेलू बाजार में बहुराष्ट्रीय फर्मों को समान अवसर प्रदान करने के लिए व्यापार नियुक्तियों में अधिक लचीलापन की अनुमति देते हैं। उपभोक्ताओं के लिए अधिक विकल्प खुले हैं। वैश्वीकरण के कारण उपभोक्ता उत्पादों के बाजार में उछाल आया है।
प्राचार्य डॉ सतीश नारायण लाल ने सेमिनार के आयोजन के लिए बधाई देते हुए छात्राओं से नियमित कालेज आने के लिए कहा। एनएसएस कार्यक्रम पदाधिकारी आशुतोष कुमार ने सेमिनार का संचालन किया ।