महंगी हो गई रोटी-दाल..
रोहतास। 'महंगी हो गई रोटी-दाल, अब बचे सिर्फ सिर के बाल।' यशवर्द्धन की ये पंक्तियां आज के पि
रोहतास। 'महंगी हो गई रोटी-दाल, अब बचे सिर्फ सिर के बाल।' यशवर्द्धन की ये पंक्तियां आज के परिप्रेक्ष्य में सही साबित हो रही हैं। एक समय की प्रसिद्ध कहावत दाल रोटी खाओ, प्रभु के गुण गाओ व घर की मुर्गी दाल बराबर की प्रासंगिकता पर आज सवाल उठने लगे हैं। सुरसा के मुंह की तरह बढ़ रही महंगाई डायन ने मध्यम वर्ग की थाली से दाल खींच ली है। प्याज ने तो पहले से ही लोगों को रुलाना शुरू कर दिया था, अब अनियंत्रित दाल की कीमतों ने सारे रिकार्ड तोड़ दिए हैं। 60 रुपये प्रति किलो के आसपास रहने वाली दाल अब 200 रुपए प्रति किलो का आंकड़ा छू चुकी है। आने वाले दिनों में दाल और काली हो सकती है। क्योंकि बाजार में दाल की नई फसल आने तक कीमतों में कमी के कोई आसार नजर नहीं आ रहे हैं। रसोई से गायब हुई दाल की भरपाई लोग सब्जी से कर रहे हैं। हालांकि सब्जियों की कीमत भी आसमान छू रही हैं, लेकिन रोटी-चावल के साथ कुछ चाहिए, इसलिए लोग मजबूरी में महंगी सब्जियां खरीद कर काम चला रहे हैं। बाजार में कोई सब्जी 20 रुपए प्रति किलो से कम नहीं है।
महंगाई से खरीदारी में कमी :
किराना व्यवसायी संजय केसरी कहते हैं कि दाल के दामों में उछाल के चलते दुकानों से दाल की खरीदारी में भी काफी कमी आई है। दाल के उत्पादन में गत वर्ष 30 लाख टन की कमी का असर अब लोगों की थाली पर पड़ना शुरू हो गया है।
महंगाई के कारण नहीं मिल रहा पर्याप्त प्रोटीन :
मनुष्य को स्वस्थ रखने के लिए संतुलित मात्रा में प्रोटीन लेने की सलाह चिकित्सक देते रहे हैं। डब्ल्यूएचओ के मानक के अनुरुप एक तरफ विश्व स्वास्थ्य संगठन हर व्यक्ति को स्वस्थ रहने के लिए प्रतिदिन कम से कम 80 ग्राम दाल खाने की नसीहत दे रहा है, तो दूसरी तरफ दाल की महंगाई से लोग बेहाल हो रहे हैं। बहरहाल कारण चाहे जो भी हो, दाल की कीमतों को जल्द ही नियंत्रित नहीं किया गया तो स्थिति और बिगड़ सकती है।
कहते हैं डीएम
दाल की कालाबाजारी रोकने के लिए छापेमारी कराई जाएगी। किसी भी स्तर पर यहां कालाबाजारी नहीं होने दी जाएगी। इसके लिए अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिए गए हैं।
संदीप कुमार
डीएम, रोहतास