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अधिकारियों ने कछुअर धौरा गांव पहुंच मृत दंपती मामले की ली जानकारी

संवाद सहयोगी डेहरी ऑन-सोन रोहतास। अनुमंडल क्षेत्र के रोहतास थानांतर्गत बंजारी के कछु

By JagranEdited By: Published: Tue, 11 May 2021 11:29 PM (IST)Updated: Tue, 11 May 2021 11:29 PM (IST)
अधिकारियों ने कछुअर धौरा गांव पहुंच मृत दंपती मामले की ली जानकारी
अधिकारियों ने कछुअर धौरा गांव पहुंच मृत दंपती मामले की ली जानकारी

संवाद सहयोगी, डेहरी ऑन-सोन: रोहतास। अनुमंडल क्षेत्र के रोहतास थानांतर्गत बंजारी के कछुअर धौरा में सोमवार को दिहाड़ी मजदूर दंपती के मौत के मामले में मंगलवार को एसडीएम सुनील कुमार सिंह एवं एएसपी संजय कुमार के साथ अधिकारियों के दल ने गांव पहुंच घटना की जानकारी ली। बताया कि यह घटना आर्थिक तंगी से नहीं बल्कि पारिवारिक कलह के कारण घटी है। एसडीएम ने इस दौरान मृत दंपती के अनाथ हुए तीन बच्चे खुशबू सात वर्ष,खुशी पांच वर्ष और पवन तीन वर्ष को परवरिश योजना के तहत नाम जोड़ तत्काल प्रत्येक बच्चे के हिसाब से एक एक हजार रुपए उनके परवरिश करने वाले अभिभावक को देने का निर्देश बीडीओ को दिया, ताकि उनकी 18 वर्ष की आयु होने तक परवरिश करने में किसी प्रकार की कोई समस्या नहीं हो। साथ ही खुशबू की शिक्षा दीक्षा की व्यवस्था करने को लेकर भी अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिया।

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एसडीएम ने बताया कि मृतक दिहाड़ी मजदूर था। उसे प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ वित्तीय वर्ष 2017-18 में प्राप्त हुआ है। साथ ही प्रत्येक वर्ष मनरेगा में काम भी मिलता था। अप्रैल तक राशन कार्ड से 20 अप्रैल को राशन का भी उठाव किया गया है। उन्होंने बताया कि मौत का कारण पति पत्नी की आपसी रंजिश सामने आ रहा है। कितु अब उनके तीनों बच्चों को किसी भी प्रकार की समस्या नहीं हो, उसे लेकर बच्चों के पठन-पाठन से लेकर रहने, भोजन तक की व्यवस्था विभिन्न योजनाओं से की जाएगी । चाइल्ड वेलफेयर सोसायटी द्वारा बड़ी बच्ची खुशबू को प्रत्येक माह 3000 रुपए देने का भी निर्णय लिया गया है। तीनों बच्चे की परवरिश मृतक की बहन राजमुनिया देवी और बहनोई राजनाथ भुइया जो इसी थाना क्षेत्र के आमडीह गांव के निवासी हैं, वे करने के लिए तैयार हैं। बच्चे उन्हीं के पास रहेंगे। बच्चों को किसी भी प्रकार की समस्या नहीं हो, इसके लिए समय-समय पर प्रखंड प्रशासन द्वारा इसका अनुश्रवण किया जाता रहेगा।वही बीडीओ मनोज कुमार ने कहा कि दंपती को वित्तीय वर्ष 2019-20 में मनरेगा में 86 दिन कार्य मिले है। उसका भुगतान भी हो गया है, जबकि वित्तीय वर्ष 2020-21 में 36 दिन काम मिला है। जिसका भुगतान भी अप्रैल महीना में ही हो गया है। मामला चाहे जो भी रहा हो, कितु दोनों पति पत्नी के मरने के बाद घर में पैसे नहीं रहने के कारण ग्रामीण सहयोग से अंतिम संस्कार किया जाना प्रश्नचिन्ह तो खड़ा करता ही है। मौके पर सीडीपीओ सीमा मिश्रा, थानाध्यक्ष राजीव रंजन, पूर्व बीडीसी पवन सिंह यादव समेत कई जनप्रतिनिधि उपस्थित थे।


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