अब एलिसा किट से होगी फ्रंटलाइन वर्कर्स की कोरोना जांच
सासाराम। कोरोना के बढ़ते संक्रमण और उसके जांच से संबंधित आइसीएमआर द्वारा स्वदेशी तकनीक से निर्मित एलिसा टेक्नोलॉजी से रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट को मंजूरी मिल गई है। जिससे कोविड कार्य में लगे फ्रंट लाइन वर्कर्स हेल्थकेयर वर्कर्स के साथ सरकारी कार्यालयों के कर्मी बैंक एवं अन्य सार्वजनिक सेवाओं के कर्मियों की जांच की जाएगी। स्वास्थ्य विभाग ने जिला के लिए 150 किट प्रदान किया है। इस जांच को पटना के आरएमआरआइ में किया जाएगा।
सासाराम। कोरोना के बढ़ते संक्रमण और उसके जांच से संबंधित आइसीएमआर द्वारा स्वदेशी तकनीक से निर्मित एलिसा टेक्नोलॉजी से रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट को मंजूरी मिल गई है। जिससे कोविड कार्य में लगे फ्रंट लाइन वर्कर्स, हेल्थकेयर वर्कर्स के साथ सरकारी कार्यालयों के कर्मी, बैंक एवं अन्य सार्वजनिक सेवाओं के कर्मियों की जांच की जाएगी। स्वास्थ्य विभाग ने जिला के लिए 150 किट प्रदान किया है। इस जांच को पटना के आरएमआरआइ में किया जाएगा। वहीं आइसीएमआर ने ज्यादा खतरे वाले इलाके, कंटेनमेंट जोन और फ्रंटलाइन वर्कर्स और स्वास्थ्य कर्मचारियों पर ही इस किट का इस्तेमाल करने का निर्देश दिया है।
सिविल सर्जन डॉ. सुधीर कुमार की माने तो एलिसा (एंजाइम-लिक्ड इम्यूनो-सोरबेंट एस्से) तकनीक का अविष्कार 1974 में किया गया था । एक नए वायरस से लड़ने के लिए सबसे •ारूरी संक्रमण का स्तर पता लगाना होता है। जब तक वायरस का इलाज नहीं मिल जाता, तब तक आंकड़े ही दवाई की तरह काम करते हैं। एलिसा किट से यह स्पष्ट होगा कि, किसके शरीर में संक्रमण पूर्व से हो चुका है और किस में संक्रमण होने की संभावना है। यह एक नई विधि है इससे शरीर के एंटीबॉडी की जांच की जाएगी। मरीज की उंगली में सूई चुभोकर खून का सैंपल लिया जाता है, जिसका परिणाम 15 से 20 मिनट में आ जाता है।