मां से मिली प्रेरणा तो कैंसर रोगियों के लिए मसीहा बन गए डॉ.सुनील
कैंसर पीड़िता मां से मिली प्रेरणा से वे चिकित्सक बने। एम्स में नौकरी के दौरान मां के सामने लिया संकल्प नहीं भूले। डॉ.सुनील हर महीने गांव आकर कैंसर पीड़ितों का इलाज करते हैं।
रोहतास [ब्रजेश पाठक ]। कैंसर पीडि़त मां ने उन्हें गरीबों की सेवा करने का एक लक्ष्य दिया। कैंसर रोगियों का दर्द कम करने के लिए वह डॉक्टर बने। गरीब मरीजों की निश्शुल्क सेवा करने का ही परिणाम है कि आज जिले के डेहरी निवासी व दिल्ली एम्स में कैंसर सर्जन डॉ. सुनील कुमार को लोग मसीहा मानते हैं। आर्थिक रूप से पिछड़े इस इलाके में वे गरीब कैंसर रोगियों का मुफ्त इलाज करते हैं।
हर माह के पहले शनिवार को वे दिल्ली से आकर स्कूल-कालेजों व जमुहार स्थित नारायण मेडिकल कालेज में जागरूकता कार्यक्रम व मुफ्त इलाज करते हैं। जरूरत हुई तो एम्स में भर्ती करा इलाज की व्यवस्था कराने में तन-मन-धन से जुट जाते हैं। निश्शुल्क क्लीनिक चला रहे डॉ. सुनील गरीब कैंसर रोगियों के लिए उम्मीद की किरण बन चुके हैं।
कौन हैं डाक्टर सुनील
डॉक्टर सुनील का जन्म डेहरी में हुआ है। एमबीबीएस व एमएस की पढ़ाई अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान नई दिल्ली से की। अमेरिका में कैंसर सर्जरी का विशेष प्रशिक्षण लिया। एम्स कैंसर सर्जरी विभाग में वे सहायक प्राध्यापक है।
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मां से मिली सेवा करने की प्रेरणा
डॉ. सुनील की मां चंद्रकांति देवी कैंसर से पीडि़त थी। इसके बाद उन्होंने कैंसर रोगियों का दर्द कम करने को ही ङ्क्षजदगी का मिशन बना लिया। उन्होंने संकल्प लिया कि वह अंतिम सांस तक कैंसर पीडि़तों का इलाज करेंगे। मां की प्रेरणा हमेशा याद रहे इसलिए उनके नाम पर चंद्रकांति देवी कैंसर फाउंडेशन की स्थापना की। फाउंडेशन के स्वयंसेवकों का काम जरूरतमंद को जल्द से जल्द इलाज मुहैया कराना है। इसके तहत वालेंटियरों को जोड़ा गया।
सीमित साधन फिर भी अच्छा काम
डॉ. सुनील रोहतास जिले के मरीजों के साथ-साथ बिहार-झारखंड के अन्य कैंसर रोगियों के लिए भी मुफ्त क्लीनिक चलाते हैं। उन्होंने इसके लिए एक बड़ा नेटवर्क बनाया है। कई लोगों को प्रारंभिक जांच का प्रशिक्षण दिया गया है। ग्रामीणों की मानें तो सीमित संसाधनों के बावजूद डॉक्टर साहब के प्रयास से सैकड़ों मरीजों को नया जीवन मिला है।
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लाइलाज नहीं है कैंसर अगर पता चल जाए
डॉक्टर सुनील का कहना है कि यदि शुरू में ही कैंसर का पता चल जाए और इलाज हो तो यह लाइलाज नहीं है। हम गांव-गांव जाकर लोगों को कैंसर के प्रति जागरूक करते हैं और उचित सलाह देते हैं। जरूरत पडऩे पर इलाज भी करते हैं। बेहतर इलाज के लिए एम्स में भी व्यवस्था कराई जाती है। कैंसर का इलाज महंगा है और बहुत कम जगह ही संभव है।