Move to Jagran APP

उग्रवाद प्रभावित बौलिया उच्च विद्यालय का रहा है स्वर्णिम इतिहास, वर्तमान बदहाल

रोहतास उग्रवाद प्रभावित बौलिया उच्च विद्यालय का स्वर्णिम इतिहास रहा है। सुदूवर्ती क्षेत्र के इस ि

By JagranEdited By: Published: Wed, 01 Dec 2021 09:41 PM (IST)Updated: Wed, 01 Dec 2021 09:41 PM (IST)
उग्रवाद प्रभावित बौलिया उच्च विद्यालय का रहा है स्वर्णिम इतिहास, वर्तमान बदहाल
उग्रवाद प्रभावित बौलिया उच्च विद्यालय का रहा है स्वर्णिम इतिहास, वर्तमान बदहाल

रोहतास : उग्रवाद प्रभावित बौलिया उच्च विद्यालय का स्वर्णिम इतिहास रहा है। सुदूवर्ती क्षेत्र के इस विद्यालय की अपनी अलग पहचान है। जहां से पढ़कर कई अधिकारी और चिकित्सक बन देश-विदेश में अपना परचम लहरा रहे है। इस गौरवमयी विद्यालय का अतीत जितना स्वर्णिम है वर्तमान में अब बदहाली की स्थिति बन गई है। वर्ग कक्षों, संसाधनों के अलावा शिक्षकों की कमी इसके सुनहरे भविष्य पर ग्रहण लगा रहा है।

prime article banner

1951 में स्थापित इस विद्यालय से पढ़कर नौहट्टा प्रखंड के दारानगर निवासी मुरारी नंद तिवारी बंगाल,उड़ीसा, बिहार में इंकमटैक्स कमिश्नर तक का सफर तय कर चुके हैं। इसी प्रखंड के नवारा गांव के नागेंद्र पांडेय झारखंड काडर के आइपीएस अधिकारी हैं तथा हजारीबाग में अभी आइजी का पद सुशोभित कर रहे हैं। दारानगर गांव के ही कुमुद शंकर त्रिपाठी न्यूयार्क में चिकित्सक है। भदारा गांव के डा. सुरेंद्र सिंह इंग्लैंड में डाक्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष है। रोहतास प्रखंड के मझिगावा निवासी डा. एमएन मिश्र, डा. परशुराम मिश्र, नवाडीह के डा. बद्री सिंह ने भी इंग्लैंड में चिकित्सा जगत में अपनी एक अलग पहचान बनाई है साथ ही बेलौंजा गांव के कुंदन राम झारखंड के गढ़वा में स्पेशल ब्रांच डीएसपी, नौहट्टा निवासी शत्रुघ्न पाठक एडीएम पद पर, सतियाड के डा. विरेंद्र कुमार समेत कई ऐसे हैं, जो इस विद्यालय से शिक्षा ग्रहण कर देश विदेश में जिले की शान बने हुए है। इस विद्यालय के पूर्व प्रधानाध्यापक स्व. उमेश तिवारी, स्व. सच्चिदानंद पांडेय को शिक्षा क्षेत्र में बेहतर सेवा देने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री जगरनाथ मिश्र ने प्रशस्ति पत्र दिया है। विद्यालय के प्राचार्य सुमेर कुमार सिंह को भी जिलाधिकारी धर्मेंद्र कुमार ने बेहतर सेवा को लेकर प्रशस्ति पत्र से सम्मानित किया है। हाल के कुछ वर्षों में शिक्षकों में पहले की अपेक्षा पठन पाठन को ले इच्छाशक्ति की कमी के चलते शिक्षा में गिरावट आई है।

इंटर तक की मिलती है शिक्षा

पहले इस क्षेत्र की लड़कियां दसवीं पास कर उच्च शिक्षा नही प्राप्त कर पाती थी, परंतु हाल के वर्षो से उच्च विद्यालय को माध्यमिक में अपग्रेड किए जाने से इस पिछड़े इलाके के गांव की लड़कियां भी आसानी से इंटर तक की शिक्षा ग्रहण कर रही है। इसके अलावा छात्रों को रचनात्मक व सुरक्षात्मक कार्यों के प्रति प्रेरित करने के लिए एनसीसी, स्काउट एंड गाइड, लीगल लिटरेसी क्लब, ईको क्लब, स्मार्ट क्लास,शारीरिक शिक्षा,संगीत समेत अन्य शैक्षणिक गतिविधियों पर आधारित शिक्षा दी जाती है। हालांकि शिक्षकों और संसाधनों की कमी इसपर ग्रहण लगा रहा है।

प्राचार्य सुमेर कुमार सिंह कहते है कि उपलब्ध संसाधन में छात्रों को बेहतर शिक्षा मिले, इसके लिए विद्यालय प्रबंधन की ओर से हमेशा प्रयास किया जाता है। जो शिक्षक यहां से सेवानिवृत्त हो चुके हैं, उनका भी समय-समय पर सेवा, मार्गदर्शन व सहयोग लेने का कार्य किया जाता है।

विद्यालय एक नजर :

स्थापना : 1951

शिक्षण व्यवस्था : नौवीं से 12 वीं तक

कुल नामांकित छात्र-छात्रा : 1256

कुल कार्यरत शिक्षक 13


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.