बचपन में मां-बाप व शादी के बाद पति की मौत, अब बनी महिलाओं का सहारा
सच ही कहा गया है कि नारी देवी स्वरूपा होती हैं जिसमें अपरंपार शक्ति होती है। उनके अंदर अदम्य साहस रहता है जो कभी भी उसे अपने पथ से विचलित नहीं होने देता है। विकट परिस्थिति में भी महिलाएं हिम्मत नहीं हारती हैं।
धनंजय पाठक, सासाराम : रोहतास। सच ही कहा गया है कि नारी देवी स्वरूपा होती हैं, जिसमें अपरंपार शक्ति होती है। उनके अंदर अदम्य साहस रहता है, जो कभी भी उसे अपने पथ से विचलित नहीं होने देता है। विकट परिस्थिति में भी महिलाएं हिम्मत नहीं हारती हैं। कुछ ऐसी ही शक्ति का परिचय दिया है रोहतास प्रखंड के वाजितपुर (बंजारी) की वीना ने। शादी के कुछ ही वर्ष बाद पति का निधन हो गया।बेटा-बेटी को पालने की जिम्मेदारी ने उन्हें गरीबी से संघर्ष कर कुछ करने के लिए बल दिया। आज उसी संघर्ष व हिम्मत ने उन्हें अन्य महिलाओं से अलग बना दिया है।
पांच वर्ष की उम्र में मां-बाप की मौत के बाद उनका लालन-पालन मामा के यहां हुआ। बहुत कम ही उम्र में शादी हो गई और ससुराल में गरीबी की मार झेलने पड़ी। वीना की जिदगी में कुछ ही वर्ष बाद एक और तुफान आया । इस बार उनकी पति की मौत हो गई। दस समय तीन बच्चों को पालने के जवाबदेही व घर में एक फ़ुटी कौड़ी तक नहीं। वीना बच्चों का चेहरा देख हिम्मत नहीं हारी । गरीबी से संषर्घ का रास्ता चुना व जीविका से जुड़ गई। जीविका दीदीओं का भरपूर साथ मिला। जीविका से जुड़ उन्होंने दिन-रात परिश्रम की। पहले खेती के लिए पट्टे पर जमीन ले समूह में सब्जी उपजाकर बेचने का कार्य शुरू की। कुछ ही वर्षों में गरीबी दूर होने लगी। अपनी बचत की आमदनी से दो कट्ठा जमीन भी खरीदकर उसमें भी सब्जी की खेती कर रही है। बच्चों को पढ़ा अफसर बनाने की चाहत है। वीना की माने तो कोरोना काल में भी उसने समूह के माध्यम से बने मास्क को भी लोगों तक पहुंचाने का कार्य किया। आज हर जरुरतमंद के लिए वीना जीविका दीदी के रूप में खड़ी रहती है। अपने प्रयास से चार दर्जन से अधिक वनवासी महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ उनकी आर्थिक स्थिति सु²ढ़ कर रही हैं।